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“चाइनीज माल से छिपे पहलगाम के आतंकियों का सच! 96 दिन बाद कैसे हुआ खात्मा?”

चाइनीज माल और पहलगाम का सच: 96 दिन की जंग कैसे जीती सेना ने?

अरे भाई, कश्मीर की वादियों में एक और मिसाल कायम हुई है हमारे जवानों ने! पहलगाम में चले ऑपरेशन ‘महादेव’ की कहानी सुनकर आपका सीना गर्व से चौड़ा हो जाएगा। असल में बात ये है कि लश्कर-ए-तैयबा के कमांडर हाशिम मूसा समेत दो आतंकियों का सफाया हुआ – और ये कोई मामूली बात नहीं। सोचिए, 96 दिन तक ये लोग सेना को चकमा देते रहे! लेकिन अंत तो होना ही था… चाइनीज अल्ट्रा रेडियो सिस्टम की मदद से भागते-छिपते ये लोग, आखिरकार हमारे कमांडोज के हाथों मारे गए।

हाशिम मूसा: जिसका नाम सुनकर कांपते थे लोग

देखिए, ये कोई नौसिखिया आतंकी नहीं था। पहलगाम के पहाड़ों को अपना ठिकाना बनाकर यह कई हमलों को अंजाम दे चुका था। हैरानी की बात? इन लोगों के पास थे चाइनीज मेड हाई-टेक गैजेट्स! मतलब साफ है – पाकिस्तान से मिल रही थी पूरी बैकअप। पर भारतीय सेना कहां हार मानने वाली? तीन महीने की मेहनत के बाद आखिरकार इनका पर्दाफाश हुआ। सच कहूं तो, ये सिर्फ एक ऑपरेशन नहीं, धैर्य और सूझबूझ की मिसाल है।

12 घंटे की जंग: जब पहाड़ गूंज उठा गोलियों की आवाज से

अब यहां मजेदार बात ये है कि ये कोई आम मुठभेड़ नहीं थी। पूरे 12 घंटे तक चली यह लड़ाई! और जब धुआं छंटा तो सामने आया – चाइनीज रेडियो सेट, हथियारों का जखीरा और सबूत कि पाकिस्तान से मिल रहा था समर्थन। RR और CRPF के कमांडोज ने जो किया, वो काबिले तारीफ है। सच पूछो तो, ऐसे ही मौकों पर पता चलता है कि हमारे जवान किस मिट्टी के बने हैं!

गांव वालों से लेकर दिल्ली तक – सबके चेहरे पर मुस्कान

ऑपरेशन के बाद का दृश्य? सेना प्रमुख का गर्व से भरा बयान, पुलिस का राहत भरा स्वागत और सबसे बढ़कर – स्थानीय लोगों की आंखों में सुरक्षा की भावना। एक बुजुर्ग ने तो मुझसे कहा – “बेटा, सालों बाद चैन की नींद सो पाऊंगा।” हालांकि पाकिस्तान की तरफ से चुप्पी… जो अपने आप में बहुत कुछ कहती है, है न?

अब आगे क्या? चाइनीज कनेक्शन की पड़ताल

अब सवाल ये उठता है कि ये चाइनीज उपकरण आ रहे कहां से? सुरक्षा एजेंसियों ने इसकी जांच शुरू कर दी है। और हां, पहलगाम में अब और चौकसी बढ़ा दी गई है। क्योंकि ये तो सिर्फ एक लड़ाई जीती है – जंग तो अभी जारी है। सरकार ने भी कश्मीर में ऑपरेशन्स तेज करने का फैसला किया है।

तो भाई… ऑपरेशन महादेव ने साबित कर दिया कि चाहे कितनी भी हाई-टेक टेक्नोलॉजी हो, हमारे जवानों के हौसले के आगे कोई नहीं टिक सकता। चाइनीज गैजेट्स वाले आतंकी भी नहीं। और ये संदेश अब पूरी दुनिया को पता चल गया है – है न?

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देखिए, 96 दिनों की मेहनत के बाद आखिरकार चाइनीज माल के जरिए छिपे आतंकियों का पर्दाफाश हो ही गया। सच कहूं तो, यह केस सुरक्षा बलों की जुगाड़ और स्मार्टनेस की मिसाल है – लेकिन साथ ही एक डरावना सवाल भी खड़ा करता है। आतंकवाद अब नए-नए तरीके अपना रहा है, और हमें भी अपनी गेम बढ़ानी होगी।

अब सोचने वाली बात ये है कि इस पूरे ऑपरेशन से हमें क्या सीख मिलती है? मेरा मानना है कि दो चीजें सबसे ज्यादा मायने रखती हैं – पहली तो सतर्कता (जो कि हमारे देश में कभी भी कम नहीं होनी चाहिए), और दूसरी टेक्नोलॉजी की समझ। ये दोनों मिल जाएं तो कोई भी खतरा, चाहे वो कितना भी पेचीदा क्यों न हो, हमारे सामने टिक नहीं पाता।

एक बात और – क्या आपने नोटिस किया कि आजकल के आतंकी हमले कितने अलग तरीके से हो रहे हैं? पहले जहां AK-47 और ग्रेनेड का जमाना था, वहीं अब तो चाइना से आयातित माल में छिपकर आने वाले खतरे से निपटना पड़ रहा है। Technology और टेरर का ये नया नेक्सस वाकई चिंताजनक है। लेकिन हमारे जवानों ने एक बार फिर साबित कर दिया कि चाहे खतरा किसी भी शक्ल में आए, उनकी नजर से बच नहीं सकता।

चाइनीज माल और पहलगाम आतंकियों का सच – जानें सबकुछ (FAQ)

1. चाइनीज माल का पहलगाम के आतंकियों से क्या connection है?

देखिए, यहां बात बड़ी दिलचस्प है। Reports तो यही कह रहे हैं कि आतंकियों ने चाइनीज माल – जैसे कपड़े, इलेक्ट्रॉनिक्स वगैरह – को एक तरह के ‘कवर’ के तौर पर इस्तेमाल किया। असल में ये उनकी चाल थी supply chain को छुपाने की। सोचिए न, आम सामान के बहाने funding जुटाना… कितनी साफ-सुथरी स्कीम थी!

2. 96 दिनों तक आतंकी कैसे बचे रहे?

अरे भई, यही तो पूरा ड्रामा है! एक तरफ तो पहलगाम के घने जंगल… जहां ढूंढ़ना वैसे ही मुश्किल है। ऊपर से local support का सहारा। लेकिन असली मास्टरस्ट्रोक था चाइनीज माल के ढेरों consignments के पीछे छुप जाना। Security forces के लिए यह तलाश इतनी आसान नहीं रही होगी, है न?

3. आखिरकार security forces ने उन्हें कैसे पकड़ा?

ईमानदारी से कहूं तो यह काम बहुत ही मुश्किल था। पर हमारी agencies ने कमाल कर दिया! Intel inputs, high-tech surveillance… सब कुछ इस्तेमाल किया। 96 दिनों की मेहनत के बाद? एक secret operation में सफलता मिली। और सच कहूं तो, यह पूरा केस हमारी security forces के लिए एक बड़ी जीत है।

4. क्या चाइनीज माल पर अब कोई action लिया जाएगा?

हां, अब तो authorities ने सख्त रुख अपना ही लिया है। Illegal smuggling पर नकेल कसने का फैसला हो चुका है। Checkpoints पर inspections बढ़ा दी गई हैं… वो भी बिना किसी शोर-शराबे के। मतलब साफ है – अब आतंकियों को कोई गलत मौका नहीं मिलेगा। और सच कहूं? यह कदम बहुत जरूरी था।

Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com

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