ऑपरेशन सिंदूर के बाद फिर सक्रिय हुआ पाकिस्तान का बहावलपुर आतंकी सेंटर, जैश-ए-मोहम्मद का कैडर लौटा

Operation सिंदूर के बाद भी धड़क रहा है बहावलपुर का आतंकी दिल: JeM वापसी पर सवाल?

याद है न वो ऑपरेशन सिंदूर? जब भारत ने पाकिस्तान के बहावलपुर में JeM के आतंकी कैंप को धूल चटा दी थी। लेकिन लगता है ये धूल ज्यादा देर तक नहीं ठहरी। खबर ये है कि महज एक महीने के अंदर ही वहां फिर से हलचल शुरू हो गई है। सूत्रों की मानें तो JeM के लड़ाके वापस लौट आए हैं और तबाह हुई इमारतों को चुपके से दोबारा खड़ा किया जा रहा है। सवाल तो ये उठता है कि क्या पाकिस्तान सच में आतंकवाद के खिलाफ है? जवाब तो हम सब जानते हैं।

पीछे मुड़कर देखें: पुलवामा से सिंदूर तक का सफर

2019 का वो काला दिन याद है न? 14 फरवरी को पुलवामा में हमारे 40 CRPF जवान शहीद हुए थे। उसके जवाब में भारत ने बहावलपुर पर जो सर्जिकल स्ट्राइक की, वो तो इतिहास बन चुकी है। लेकिन असल मसला ये है कि पाकिस्तान ने सबक नहीं सीखा। पिछले महीने फिर भारत ने सीमा पार करके आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया। पाकिस्तान की रोने-धोने वाली प्रतिक्रिया? “अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन!” मजे की बात ये कि आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करने की बात तो दूर, उन्हें सरंक्षण देना जारी रखा।

अब क्या चल रहा है? बिल्डिंग बनाने की होड़!

ताजा खबरें तो हैरान कर देने वाली हैं। बहावलपुर में मलबे को हटाकर नई इमारतें खड़ी की जा रही हैं। और JeM के लड़ाके? वो तो मानो कभी गए ही नहीं थे। भारत के लिए ये चिंता की बात तो है ही, लेकिन असली सवाल ये है कि पाकिस्तानी सेना और ISI की भूमिका क्या है? सूत्र तो यही कहते हैं कि ये सब उनकी मौन सहमति से ही हो रहा है। सच तो ये है कि आतंकवाद पाकिस्तान की ‘राज्य नीति’ बन चुका है।

दुनिया क्या कह रही है? सिर्फ बयानबाजी!

भारत का तो स्टैंड क्लियर है – “पाकिस्तान फेल हुआ है आतंकवाद के खिलाफ।” पाकिस्तान? उनका रिकॉर्डेड बयान आ गया – “संप्रभुता का उल्लंघन!” संयुक्त राष्ट्र ने शांति की अपील की है, लेकिन अब तक कुछ ठोस? बिल्कुल नहीं। अंतरराष्ट्रीय समुदाय की ये चुप्पी क्या संदेश देती है? सोचने वाली बात है।

आगे का रास्ता: दबाव या फिर एक और सर्जिकल स्ट्राइक?

अब भारत के पास क्या विकल्प हैं? पहला तो अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान को घेरना। दूसरा, सीमा पर सैन्य तैनाती बढ़ाना। और अगर आतंकी गतिविधियां बढ़ीं तो? एक और सैन्य कार्रवाई की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। पर सच तो ये है कि अकेले भारत के प्रयास काफी नहीं होंगे। वैश्विक दबाव की जरूरत है। जो अभी तक नदारद है।

तो कुल मिलाकर क्या? बहावलपुर में फिर से सुलगती आग सिर्फ भारत-पाक तनाव नहीं बढ़ाएगी। ये पूरे क्षेत्र की सुरक्षा के लिए खतरा है। और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चुप्पी? वो तो इस आग में घी का काम कर रही है। सच कड़वा है, लेकिन सच तो सच है।

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Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com

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