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SCO में पाकिस्तान की नापाक चाल! चीन का साथ, रूस ने नहीं की भारत की मदद, कूलभूषण-बलूचिस्तान पर बड़ा सवाल

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एससीओ में पाकिस्तान की फिर वही पुरानी चाल! चीन तो साथ दे ही रहा था, लेकिन रूस ने क्यों नहीं दिया भारत का साथ?

अरे भई, SCO की रक्षा मंत्रियों की बैठक में पाकिस्तान ने फिर वही नटखटपना दिखाया। जैसे ही मौका मिला, चीन के साथ मिलकर भारत के खिलाफ कूलभूषण जाधव और बलूचिस्तान का राग अलापना शुरू कर दिया। अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत को घेरने की कोशिश? है न मास्टरस्ट्रोक? लेकिन हमारे राजनाथ सिंह जी ने जवाब ऐसा दिया कि पाकिस्तानी प्रतिनिधि का चेहरा देखने लायक था। असल में मजेदार बात ये रही कि इस पूरे ड्रामे में हमारे पुराने दोस्त रूस ने ग़ज़ब की चुप्पी साध ली। क्या ये रूस की नई विदेश नीति का संकेत है? कूटनीतिक गलियारों में तो इसी की चर्चा गर्म है।

पीछे क्या है पूरी कहानी?

देखिए, ये कोई नई बात तो है नहीं। पाकिस्तान तो जाधव केस और बलूचिस्तान को लेकर हमेशा से ही भारत को बदनाम करने की कोशिश करता रहा है। मानो ये उनका पुराना रटा-रटाया राग हो। और चीन? अरे वो तो अपने ‘ऑल वेदर फ्रेंड’ को सपोर्ट करेगा ही न! लेकिन इस बार जो नया ट्विस्ट आया, वो है रूस का रवैया। सच कहूँ तो ये थोड़ा चिंताजनक है। वो रूस जो हमारा सबसे पुराना साथी माना जाता था, अब धीरे-धीरे चीन और पाकिस्तान की ओर झुकता नजर आ रहा है। क्या ये भारत के लिए नई मुसीबत खड़ी करने वाला है?

बैठक में हुआ क्या असल में?

SCO की इस बैठक में पाकिस्तान ने सीधे-सीधे भारत पर आतंकवाद फैलाने का आरोप लगा दिया। बड़ा मजा आया जब उन्होंने जाधव केस और बलूचिस्तान को उठाकर भारत को अंतरराष्ट्रीय कानून तोड़ने वाला देश बताने की कोशिश की। और चीन? उसने तो तुरंत पाकिस्तान का साथ देते हुए वही पुराना रिकॉर्ड बजा दिया – “क्षेत्रीय स्थिरता के लिए संयम बरतें”। लेकिन हमारे राजनाथ सिंह जी ने जवाब में क्या कहा? “ये सारे आरोप बेबुनियाद हैं!” और सच कहूँ तो उन्होंने पाकिस्तान को उसके असली रंग में दिखा दिया – आतंकवाद का असली पोषक कौन है, ये साफ कर दिया।

रूस की चुप्पी: गेम चेंजर?

इस पूरे मामले में सबसे बड़ा झटका? रूस की अजीब सी चुप्पी। अजीब इसलिए क्योंकि ऐसे मौकों पर वो हमेशा भारत का साथ देता आया है। लेकिन इस बार? सन्नाटा। क्या ये रूस की बदलती प्राथमिकताओं का संकेत है? देखिए न, पिछले कुछ सालों से रूस चीन के साथ गले तक जुड़ा हुआ है। यूक्रेन वाली पेंच के बाद तो वो पश्चिमी देशों के दबाव में भी है। ऐसे में क्या वो भारत को नजरअंदाज कर रहा है? कूटनीतिक एक्सपर्ट्स की मानें तो रूस जानबूझकर चुप है – चीन और पाकिस्तान से रिश्ते खराब नहीं करना चाहता।

अब आगे क्या?

तो अब सवाल ये है कि भारत का अगला कदम क्या होगा? एक्सपर्ट्स की राय है कि हमें SCO में दूसरे देशों का साथ जुटाना होगा। कजाकिस्तान, किर्गिस्तान जैसे देशों के साथ हमारे रिश्ते अच्छे हैं – ये हमारे लिए मददगार साबित हो सकते हैं। लेकिन सच्चाई ये है कि पाकिस्तान और चीन तो अपना राग अलापते ही रहेंगे। अगले SCO समिट में फिर वही नाटक देखने को मिलेगा। सबसे बड़ी चुनौती? भारत-रूस रिश्तों को लेकर। रूस का ये रवैया द्विपक्षीय संबंधों में दरार ला सकता है। और ये कोई छोटी बात नहीं है।

इस पूरे प्रकरण से एक बात तो साफ हो गई – अंतरराष्ट्रीय राजनीति में अब पुराने दोस्त-दुश्मन के चश्मे से देखना बंद करना होगा। भारत को चाहिए कि वो लचीली विदेश नीति अपनाए – नए गठजोड़ बनाए। SCO जैसे मंचों पर चीन-पाकिस्तान की जोड़ी का मुकाबला करने के लिए हमें अपनी कूटनीतिक मसल्स और मजबूत करनी होंगी। वरना… खैर, आप समझ ही गए होंगे!

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SCO में पाकिस्तान ने क्या गुल खिलाया?

देखिए, SCO की मीटिंग तो हमेशा से ही दिलचस्प रही है। लेकिन इस बार पाकिस्तान ने अपनी पुरानी आदत से मुंह नहीं मोड़ा। कूलभूषण और बलूचिस्तान का राग अलापकर भारत को घेरने की कोशिश की। है ना मजेदार? चीन तो उनका साथ दे ही रहा था, लेकिन रूस का रुख थोड़ा हैरान करने वाला रहा। क्या आपको नहीं लगता कि ये सब एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है?

चीन का पाकिस्तान के साथ ये ‘दोस्ती का नाटक’ क्यों?

असल में बात बहुत सीधी है। चीन और पाकिस्तान? ये तो वही बात हुई – जैसे चोर और सिपाही की दोस्ती! CPEC और बलूचिस्तान में चीन का खुद का फायदा जुड़ा है। Strategic partner वगैरह तो बाद की बात है। सच तो ये है कि चीन किसी का दोस्त नहीं, सिर्फ अपना फायदा देखता है। आपको क्या लगता है?

रूस ने भारत का साथ क्यों छोड़ा? क्या ये नई रणनीति है?

यहां बात दिलचस्प हो जाती है। रूस ने इस बार खुलकर भारत का समर्थन नहीं किया। कारण? शायद उनकी foreign policy में बदलाव आ रहा है। एक तरफ तो वो भारत के साथ हैं, दूसरी तरफ चीन-पाकिस्तान से भी रिश्ते बनाए रखना चाहते हैं। थोड़ा घोड़े दौड़ाने वाली बात लगती है ना? पर अंतरराष्ट्रीय राजनीति में ऐसा ही चलता है।

कूलभूषण से लेकर बलूचिस्तान तक – पाकिस्तान का असली मकसद क्या है?

सच कहूं तो ये कोई नई बात नहीं। पाकिस्तान हमेशा से ही international platforms पर भारत को बदनाम करने की कोशिश करता रहा है। Human rights violations का झूठा नारा लगाकर। पर सवाल ये है – क्या दुनिया इनकी इन हरकतों को समझ नहीं रही? बलूचिस्तान में तो खुद पाकिस्तान के human rights records बहुत खराब हैं। Irony देखिए ना!

एक बात और – क्या आपने गौर किया कि जब भी पाकिस्तान को कुछ कहना होता है, वो हमेशा दूसरों के मुद्दे उठाता है? अपने घर का हाल तो बताएं पहले!

Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com

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