पाकिस्तान की साजिश: कैसे उत्तर-पूर्वी राज्य हथियाने की कोशिश हुई नाकाम?

पाकिस्तान की वो साजिश जो धरी की धरी रह गई – क्या उत्तर-पूर्व पर नज़र गड़ाने की कोशिश फिर फेल हो गई?

देखिए, हमारी खुफिया एजेंसियों ने फिर एक बार कमाल कर दिया। असल में बात ये है कि पाकिस्तानी आईएसआई और उसके चहेते संगठनों ने उत्तर-पूर्व के राज्यों में आग लगाने की पूरी प्लानिंग बना रखी थी। सोचा था कि युवाओं को भड़काकर हिंसा करवा देंगे, पर हमारे एजेंट्स ने इनकी चाल समय रहते पकड़ ली। अब सवाल ये उठता है कि आखिर पाकिस्तान को हमेशा भारत के अंदरूनी मामलों में दखल देने की क्या ज़रूरत है? शायद वो भूल गए हैं कि 1971 के बाद से ही इनकी कोई भी चाल कामयाब नहीं हुई।

इतिहास गवाह है – पाकिस्तान की पुरानी आदत

असल में ये कोई नई बात नहीं है। आज़ादी के बाद से ही पाकिस्तान उत्तर-पूर्व में अपनी गंदी राजनीति चलाता आया है। मणिपुर हो या असम, इन्होंने हमेशा अलगाववादियों को पैसे और हथियार देकर मोहरा बनाया है। लेकिन पिछले कुछ सालों में जब मोदी सरकार ने उत्तर-पूर्व में शांति और विकास पर जोर दिया, तो ये लोग और चिढ़ गए। इस बार तो इन्होंने सोशल मीडिया और युवाओं को टारगेट करने की नई रणनीति अपनाई। पर सच तो ये है कि जब तक हमारे जवान सीमा पर हैं, ये सपने देखते रह जाएंगे।

तो कैसे फेल हुई ये पूरी प्लानिंग?

कहानी दिलचस्प है! हमारी एजेंसियों को पाकिस्तानी एजेंट्स और स्थानीय लोगों के बीच हो रही गुप्त बातचीत का पता चल गया। IB के कमांडोज ने पूरे मामले पर नज़र रखी। और जैसे ही इन्होंने युवाओं को भड़काने की कोशिश शुरू की, बम! हमारे कमांडोज ने एक्शन ले लिया। कई संदिग्धों को पकड़ा गया। साइबर एक्सपर्ट्स ने तो सोशल मीडिया पर फैल रहे झूठ को रोकने में बढ़िया काम किया। सरकार ने भी तुरंत बॉर्डर सिक्योरिटी बढ़ा दी। एक तरह से पूरी टीम ने मिलकर पाकिस्तान की नाक में दम कर दिया।

रिएक्शन का तूफान – क्या किसने क्या कहा?

इस मामले ने तो पूरे देश में बहस छेड़ दी। गृह मंत्री ने साफ कहा – “हम किसी को भी भारत के टुकड़े नहीं करने देंगे।” उत्तर-पूर्व के सीएम भी इस ऑपरेशन की तारीफ करते नहीं थक रहे। लेकिन विपक्ष के नेताओं का कहना है कि सरकार को और सख्त होना चाहिए। स्थानीय लोगों ने तो पाकिस्तान की इस हरकत पर खूब बवाल मचाया। सच कहूं तो, ऐसे मौकों पर पूरा देश एकजुट हो जाता है – यही तो हमारी ताकत है।

आगे की रणनीति – अब क्या?

अब सरकार क्या करेगी? पहले तो पाकिस्तान के खिलाफ कूटनीतिक स्तर पर दबाव बढ़ेगा। उत्तर-पूर्व में सुरक्षा और भी टाइट होगी। साइबर सेक्योरिटी पर खास फोकस रहेगा। एक्सपर्ट्स का मानना है कि पाकिस्तान ऐसी कोशिशें करता ही रहेगा – जैसे बच्चा दूध के लिए रोता ही रहता है। लेकिन हमें हमेशा अलर्ट रहना होगा। सरकार ने युवाओं के लिए जागरूकता कैंपेन भी शुरू करने का फैसला लिया है।

आखिर में, ये पूरा मामला साबित करता है कि हमारी सुरक्षा एजेंसियां किसी से कम नहीं। पर साथ ही, ये हम सभी के लिए एक सबक भी है – देश की सुरक्षा सिर्फ सरकार या सेना की ज़िम्मेदारी नहीं, हम सभी की है। थोड़ी सी सतर्कता, और ऐसी कोई भी ताकत हमें नुकसान नहीं पहुंचा सकती। है न?

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पाकिस्तान की साजिश: क्या वाकई उत्तर-पूर्व को अशांत करने की कोशिश की गई?

अरे भाई, ये पाकिस्तान वाली बातें सुनकर अक्सर दिमाग घूम जाता है ना? आखिर क्यों ये लगातार हमारे उत्तर-पूर्व पर नज़र गड़ाए बैठे हैं? चलिए, आज इसी पर गप्पें मारते हैं।

1. सच में क्या पाकिस्तान ने उत्तर-पूर्व में घुसपैठ की कोशिश की थी?

सुनो, बात ये है कि पाकिस्तान का ‘घर का भेदी’ वाला गेम तो पुराना है। उन्होंने कुछ आतंकी ग्रुप्स को पैसे दिए, ट्रेनिंग दी – बस वही पुरानी फिल्म का रीरन। लेकिन असल मज़ा तो तब आया जब हमारे रॉ और आर्मी वालों ने इनकी सारी चालें धरी की धरी रहने दीं। एकदम मास्टरस्ट्रोक!

2. भारत ने इनकी चाल कैसे धरी की धरी रहने दी?

देखिए, यहां हमने तीन तरह से काम किया:
– साइबर सुरक्षा को इतना मजबूत किया कि उनके हैकर्स की उड़ान निकल गई
– बॉर्डर पर ऐसी निगरानी की कि चिड़िया भी पर नहीं मार पाती
– और सबसे बढ़कर – लोकल लोगों का भरोसा जीता

सच कहूं तो, ये कोई एक दिन का काम नहीं था। सालों की मेहनत का नतीजा है।

3. क्या अभी उत्तर-पूर्व वाकई में सुरक्षित है?

अब ये सवाल तो बिल्कुल वैसा ही है जैसे कोई पूछे ‘क्या अब दिल्ली में ठंड कम हुई?’ सर्दी तो रहेगी ही, लेकिन अब हमने स्वेटर पहनना सीख लिया है।

मतलब? हां, स्थिति पहले से कहीं बेहतर है। रोड्स बनीं, नौकरियां मिलीं, लोगों को लगने लगा कि दिल्ली वाले सच में उनका ख्याल रखते हैं। यही तो चाहिए था ना?

4. आगे ऐसी साजिशों से कैसे बचें?

बिल्कुल वैसे ही जैसे आप मच्छरों से बचते हैं:
1. दरवाज़े-खिड़कियों पर जाली लगाओ (यानी बॉर्डर सिक्योरिटी)
2. कीटनाशक छिड़को (यानी साइबर सिक्योरिटी)
3. और सबसे जरूरी – पानी इकट्ठा न होने दो (यानी युवाओं को रोजगार दो)

समझ गए ना? असल में बात इतनी ही सीधी है। जब युवाओं के हाथ में मोबाइल होगा नौकरी वाला, तो कोई उन्हें गलत रास्ते पर कैसे ले जाएगा?

तो यार, बात तो हो गई। अब आप ही बताइए – क्या हमें डरने की जरूरत है? मेरा जवाब तो साफ है – जब तक हम सतर्क हैं, तब तक कोई खतरा नहीं। बस!

Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com

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