पाकिस्तान का दिवालियापन: 2 लाख करोड़ का कर्ज और IMF के सामने हाथ फैलाने की कहानी
दोस्तों, सच कहूं तो पाकिस्तान की हालत वैसी ही हो गई है जैसे कोई शख्स जिसका हर महीने EMI चुकाने का वक्त आ जाए, लेकिन जेब में एक पैसा न हो। साल भर में 2 लाख करोड़ रुपये (24 अरब डॉलर) का कर्ज चुकाना है, और पाकिस्तान के पास… खैर, क्या कहें… कुछ खास नहीं है। IMF से मदद मांगने की कहानी तो अब पुरानी हो चुकी है। असल में? हालात दिन-ब-दिन बदतर होते जा रहे हैं। इतने बुरे कि अब तो दिवालियेपन की बातें भी होने लगी हैं।
ये मसला पुराना है, लेकिन अब हद से ज्यादा बिगड़ गया
सच तो ये है कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था कभी भी स्टेबल नहीं रही। लेकिन पिछले कुछ सालों में तो ये समस्या वाकई में हाथ से निकल गई है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद से – जब भारत ने जवाबी कार्रवाई की थी – पाकिस्तान को सेना पर खर्च बढ़ाना पड़ा। और फिर चीन का वो CPEC (China-Pakistan Economic Corridor) का कर्ज तो मानो मुसीबत में घी डालने जैसा था। IMF से तो बार-बार कर्ज लिया, पर सुधार? वो कहां होने थे!
अब क्या हाल है? समय कम, पैसा कम, टेंशन ज्यादा
जून 2024 तक 24 अरब डॉलर चुकाने हैं… पर विदेशी मुद्रा भंडार? बस 8 अरब डॉलर! यानी सिर्फ एक तिहाई। और IMF ने तो 1.1 अरब डॉलर की अगली किस्त देने से ही मना कर दिया। कारण? सुधारों पर अमल नहीं। साथ ही, रुपया लगातार गिर रहा है, महंगाई 40% के आसपास – आम आदमी की जिंदगी तो मुश्किलों से भर गई है।
कौन क्या कह रहा है? सरकार, एक्सपर्ट्स और जनता की राय
सरकार वाले तो हमेशा की तरह आश्वासन दे रहे हैं। वित्त मंत्री का कहना है – “हम IMF से बात कर रहे हैं, जल्द हल निकल आएगा।” लेकिन अर्थशास्त्रियों की राय? वो कह रहे हैं कि बात अब संकट से भी आगे निकल चुकी है। “अगर अभी कड़े कदम नहीं उठाए गए तो…” वैसे आम जनता तो पहले ही गुस्से में है – नौकरियां जा रही हैं, रोजमर्रा की चीजें महंगी हो रही हैं।
आगे क्या? कुछ तो होगा!
अगर जल्द ही IMF या किसी और देश से नया कर्ज नहीं मिला तो? दिवालिया घोषित होने का खतरा। चीन से उम्मीद है, पर वो भी अपनी शर्तें रखेगा – और वो शर्तें शायद और मुश्किलें लाएं। राजनीतिक अस्थिरता? विरोध प्रदर्शन? ये सब तो होने ही वाले हैं अगर हालात नहीं सुधरे।
आखिरी बात: ये कोई छोटी-मोटी चेतावनी नहीं
दोस्तों, पाकिस्तान आज अपने इतिहास के सबसे बड़े आर्थिक संकट से जूझ रहा है। अगर अभी कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया तो… खैर, परिणाम तो आप समझ ही रहे होंगे। और ये सिर्फ पाकिस्तान की ही नहीं, पूरे क्षेत्र की चिंता का विषय बन चुका है। सच कहूं? स्थिति वाकई में डरावनी है।
पाकिस्तान की आर्थिक हालत पर बात करें तो सच में डरावना है। 2 लाख करोड़ का कर्ज? ये कोई मज़ाक नहीं, बल्कि एक ऐसी सच्चाई है जो बता रही है कि देश अब पूरी तरह IMF के भरोसे चल रहा है। सोचिए, जब आप खुद कर्ज में डूबे हों और फिर भी और उधार मांग रहे हों – कुछ ऐसी ही हालत है पाकिस्तान की।
अब सवाल यह है कि आखिर यह हालात क्यों बने? असल में, गलत नीतियों और बेकार प्रबंधन ने तो जैसे पाकिस्तान की कमर तोड़ दी है। और सबसे बुरी बात? इसका असर आम जनता पर पड़ रहा है। रोटी के दाम से लेकर पेट्रोल तक, सब कुछ आसमान छू रहा है।
तो क्या पाकिस्तान इस संकट से उबर पाएगा? ईमानदारी से कहूं तो… मुश्किल लगता है। क्योंकि जब तक मूल समस्याओं को नहीं सुधारा जाता, तब तक ये IMF के पैकेज भी सिर्फ एक प्लास्टर की तरह काम करेंगे। असली इलाज तो देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में है। लेकिन वो दिन कब आएगा? कोई नहीं जानता।
Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com