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“21 में से 12 पाकिस्तानी युवाओं ने AK-47 फेंकी! जम्मू-कश्मीर में बड़ी कामयाबी”

21 में से 12 पाकिस्तानी युवाओं ने AK-47 फेंकी! जम्मू-कश्मीर में सेना की बड़ी कामयाबी

अरे भाई, जम्मू-कश्मीर में तो सेना ने आजकल जोरदार काम किया है! पहलगाम हमले के बाद जो ऑपरेशन ऑलआउट चल रहा था, उसमें कुलगाम में इनकाउंटर हुआ और अब तक 21 आतंकियों का सफाया हो चुका है। पर यहाँ मजेदार बात ये है कि इनमें से 12 तो पाकिस्तानी नागरिक निकले! सच कहूँ तो ये आँकड़ा एक बड़ी बात की तरफ इशारा कर रहा है – कश्मीरी युवाओं का आतंकवाद से मोहभंग हो रहा है। असल में समस्या अब सीमा पार से आ रहे इन घुसपैठियों की है। सेना के लिए तो ये बड़ी जीत है ही, साथ ही ये घाटी की मानसिकता में आ रहे बदलाव का भी संकेत है।

पीछे की कहानी क्या है?

देखिए, पिछले कुछ महीनों से जम्मू-कश्मीर में आतंकी घटनाएँ बढ़ रही थीं। खासकर पहलगाम वाला हमला तो जैसे आखिरी बूँद थी। तभी तो सेना ने ऑपरेशन ऑलआउट छेड़ दिया – एकदम सख्त और निर्णायक कार्रवाई। मकसद साफ था – पाकिस्तान से आने वाले इन घुसपैठियों को खत्म करना जो घाटी में अशांति फैलाने पर तुले हुए हैं। अब तक के नतीजे बता रहे हैं कि स्थानीय युवाओं का रुझान बदल रहा है। पर सवाल ये है कि क्या पाकिस्तान इस संदेश को समझ पाएगा?

ताजा अपडेट क्या है?

अभी तक की जानकारी के मुताबिक, 21 आतंकी ढेर हो चुके हैं – और हैरानी की बात ये कि इनमें से 12 पाकिस्तानी हैं! ये आँकड़े तो साफ कह रहे हैं कि कश्मीरी युवा अब हिंसा से दूर भाग रहे हैं। कुलगाम में अभी भी मुठभेड़ जारी है, और लगता है कि और आतंकी मारे जाएँगे। सुरक्षाबलों को AK-47s और गोला-बारूद भी मिला है – जो साबित करता है कि पाकिस्तानी घुसपैठिए सीधे तौर पर शामिल हैं। सेना का कहना साफ है – “कश्मीरी युवा अब बदल रहे हैं, असली समस्या तो सीमा पार से आ रही है।”

लोग क्या कह रहे हैं?

इस ऑपरेशन पर प्रतिक्रियाएँ आनी शुरू हो गई हैं। सेना प्रवक्ता तो बिल्कुल साफ बोले – “पाकिस्तान अभी भी आतंकवाद को हवा दे रहा है। पर अच्छी बात ये है कि कश्मीरी युवा अब शांति और विकास चाहते हैं।” वहीं भाजपा के एक नेता ने तो मोदी सरकार की पीठ थपथपा दी – “ये हमारी सख्त नीति का नतीजा है कि स्थानीय युवा आतंकवाद से दूर हो रहे हैं।” और तो और, स्थानीय लोगों ने भी कहा – “बस, अब हिंसा बंद हो। पाकिस्तानी घुसपैठ रुके।” सच कहूँ तो, ये सभी बयान एक ही बात की तरफ इशारा कर रहे हैं।

अब आगे क्या?

ऑपरेशन ऑलआउट तो जारी रहेगा ही – खासकर उन छिपे हुए आतंकियों के खिलाफ जो अभी भी घाटी में मौजूद हैं। पर साथ ही, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान पर दबाव बढ़ने वाला है कि वो घुसपैठ रोके। और हाँ, कश्मीरी युवाओं को मुख्यधारा में लाने के लिए रोजगार और शिक्षा के नए अवसर भी जरूरी हैं। वरना सोचिए, अगर युवाओं के पास काम नहीं होगा तो वो किस ओर जाएँगे?

आखिरी बात

सेना की ये सफलता दिखाती है कि स्थानीय स्तर पर आतंकवाद कमजोर पड़ रहा है। पर दुख की बात ये कि पाकिस्तान से आने वाले आतंकी अभी भी बड़ी चुनौती बने हुए हैं। सेना की सक्रियता ने साबित कर दिया है कि देश की सुरक्षा उनकी पहली प्राथमिकता है। अब बस ये देखना बाकी है कि पाकिस्तान इस संदेश को समझेगा या फिर अपनी पुरानी हरकतों पर अड़ा रहेगा। आपको क्या लगता है?

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“21 में से 12 पाकिस्तानी युवाओं ने AK-47 फेंकी!” – जानिए पूरी कहानी और इसके मायने

सुनकर हैरानी होगी ना? पर यही हुआ है हाल ही में जम्मू-कश्मीर में। लेकिन इसके पीछे की असली कहानी क्या है? चलिए समझते हैं…

1. क्या हुआ था असल में? जम्मू-कश्मीर में यह ऑपरेशन क्यों खास है?

देखिए, यह कोई रूटीन एक्शन नहीं था। सुरक्षा बलों ने जो किया, वो एक बड़ी सफलता है – 21 में से 12 युवाओं ने अपने AK-47 गिरा दिए! यानी आधे से ज्यादा। सोचिए, ये लोग पाकिस्तान से ट्रेनिंग लेकर आए थे, लेकिन हमारे जवानों ने उन्हें सिर्फ पकड़ा ही नहीं, बल्कि समझा-बुझाकर हथियार छुड़वा लिए। बात सिर्फ गन्स की नहीं, मनोबल की है।

2. क्या यह LOC के इलाके में हुआ? और क्यों यह जगह इतनी अहम है?

हां बिल्कुल! LOC के पास ही यह सब हुआ। आपको पता ही होगा – यही वो नाजुक लाइन है जहां से ज्यादातर घुसपैठ की कोशिशें होती हैं। पर इस बार हमारे सैनिकों ने पहले ही पकड़ लिया। सच कहूं तो, यह कोई छोटी बात नहीं कि इतने सारे युवाओं ने खुद ही हथियार डाल दिए।

3. सबसे बड़ा सवाल – आखिर क्यों फेंकी इन्होंने AK-47?

अरे भई, सीधी बात है – डर लगा होगा ना! पर मजाक छोड़िए… असल में ये सभी पाकिस्तानी एजेंसियों के हाथों की कठपुतली थे। ट्रेनिंग दी गई, हथियार दिए गए, और भेज दिया गया। लेकिन जब हमारे जवानों ने घेर लिया, तो इनमें से ज्यादातर ने समझदारी दिखाई। शायद ये जानते थे कि भारतीय सुरक्षा बलों के सामने टिक पाना मुश्किल है।

4. यह घटना कश्मीर की सुरक्षा के लिए क्या संदेश देती है?

देखा जाए तो यह एक तरह का साइकोलॉजिकल विनिंग है। एक तरफ तो यह हमारे सैनिकों की क्षमता दिखाता है, दूसरी तरफ आतंकवादियों के दिमाग में डर बैठाता है। सोचिए, अगर ये खबर पाकिस्तान तक पहुंची तो वहां के युवाओं को क्या संदेश जाएगा? “भारत की तरफ जाने का कोई फायदा नहीं”। और यही तो हम चाहते हैं ना?

फिलहाल तो यह एक बड़ी सफलता है। पर असली सवाल यह है कि क्या यह ट्रेंड बनेगा? वक्त ही बताएगा…

Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com

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