शराब ठेका विरोध में बड़ा धमाका! पूरी पंचायत ने कहा – बस, अब और नहीं
अक्सर हम सुनते हैं कि ग्रामीण इलाकों में शराब की समस्या बढ़ रही है। लेकिन हिमाचल के शिमला जिले की चेवड़ी पंचायत ने आखिरकार एक ऐसा कदम उठाया जिसने सबको चौंका दिया! पंचायत प्रधान छविंद्र सिंह पाल के नेतृत्व में सभी सदस्यों ने सामूहिक इस्तीफा दे दिया। और वजह? सरकार का उनके इलाके में शराब ठेका खोलने का जिद्दी रवैया। सच कहूं तो यह कोई रातों-रात लिया गया फैसला नहीं था – महीनों के संघर्ष के बाद यह आखिरी चेतावनी थी।
असल में देखा जाए तो यह पूरी कहानी बहुत दिलचस्प है। गांव वाले लंबे समय से शराब ठेके के खिलाफ आवाज उठा रहे थे। और समझ भी लीजिए क्यों – शराब की वजह से घर-परिवार बर्बाद हो रहे हैं, महिलाओं को परेशानी झेलनी पड़ रही है। लेकिन सरकारी कान कब किसकी सुनते हैं? उनकी गुहार को नजरअंदाज किया गया। बल्कि उल्टा, विरोध कर रही महिलाओं पर केस तक दर्ज कर दिया गया! अब बताइए, ऐसे में और क्या रास्ता बचता था?
पिछले कुछ दिनों की बात करें तो… वाह! क्या दृश्य रहे होंगे। जब पुलिस ने महिला प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कार्रवाई की, गांव वालों का गुस्सा फूट पड़ा। और अब? अब तो यह लड़ाई प्रतिष्ठा की लड़ाई बन चुकी है। पंचायत के एक सदस्य ने मुझे बताया – “हमारे लिए यह सिर्फ शराब ठेका नहीं, हमारे बच्चों का भविष्य है।” सच में, कितनी साफ बात कही!
अब सवाल यह है कि आगे क्या? सरकार पर दबाव बढ़ा है, यह तो साफ दिख रहा है। लेकिन क्या वे अपने फैसले पर पुनर्विचार करेंगी? मेरा मानना है कि अगर जल्द ही कोई हल नहीं निकाला गया, तो यह आग और फैल सकती है। और फिर… राजनीतिक दल भी तो मौके की ताक में हैं। क्या यह मामला सिर्फ एक शराब ठेके तक सीमित रहेगा? शायद नहीं।
एक तरफ तो यह घटना दिखाती है कि स्थानीय स्वशासन कितना मजबूत हो सकता है। लेकिन दूसरी तरफ… सरकार और जनता के बीच की यह खाई कितनी गहरी हो चुकी है! अब देखना यह है कि प्रशासन इस गुस्से को कैसे संभालता है। क्योंकि ऐसा नहीं है कि सिर्फ चेवड़ी पंचायत ही इस समस्या से जूझ रही है। पूरे देश में ऐसे कितने ही गांव हैं जहां यह लड़ाई चल रही है।
अंत में बस इतना कहूंगा – यह कोई छोटी-मोटी घटना नहीं है। यह एक संदेश है। एक चेतावनी है। और शायद… एक शुरुआत भी। क्या हमारी सरकारें इस संदेश को समझ पाएंगी? वक्त बताएगा।
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शराब ठेका विरोध – जानिए पूरी कहानी और आपके सवालों के जवाब
1. पंचायत ने शराब ठेका के खिलाफ इस्तीफा क्यों दिया? असल में क्या हुआ?
देखिए, पूरी पंचायत ने एक साथ इस्तीफा दे दिया है। और वजह? शराब ठेका। अब आप सोच रहे होंगे – इतना बड़ा कदम? पर असल में यह कोई एक दिन का फैसला नहीं है। गाँव में शराब की दुकान खुलने के बाद से ही महिलाओं को परेशानियाँ बढ़ गई थीं, युवाओं का पैसा और सेहत दोनों बर्बाद हो रहे थे। ईमानदारी से कहूँ तो, यह तो होना ही था।
2. क्या प्रधान और सभी सदस्यों का इस्तीफा स्वीकार हो गया है? Latest Update क्या है?
अभी तक तो कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। मगर यहाँ दिलचस्प बात यह है कि पूरी पंचायत एक साथ खड़ी है – कोई अलग-अलग राय नहीं। प्रशासन की तरफ से कुछ साफ़ होगा, तभी पता चलेगा। पर इतना तो तय है – यह कोई नाटक नहीं, गंभीर मामला है।
3. गाँव वालों की क्या राय है? क्या सच में सब खुश हैं?
ज्यादातर लोग तो मानो जैसे राहत की सांस ले रहे हैं! खासकर महिलाएं – उनके लिए तो यह किसी जीत से कम नहीं। युवाओं के परिवार भी खुश हैं। लेकिन… हमेशा एक ‘लेकिन’ तो होता ही है न? कुछ लोगों को चिंता है कि गाँव का राजस्व कम हो जाएगा। पर सच पूछो तो, क्या पैसा ही सब कुछ है?
4. क्या यह आंदोलन दूसरे गाँवों में भी फैलेगा? Domino Effect हो सकता है?
अरे भई, अगर यहाँ सफलता मिली तो दूसरे गाँव भी तो देख रहे हैं न! पहले से ही कई जगहों पर लोग बोल रहे हैं – “हमें भी चाहिए ऐसा ही फैसला”। एक तरह से यह तो चिंगारी साबित हो सकती है। पर याद रखिए, हर गाँव की अपनी अलग स्थिति होती है। क्या पता, कहीं और कुछ अलग ही Scenario हो?
Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com