पंचकूला में विवाहिता की रहस्यमय मौत पर बवाल, शव के साथ थाना घेरा – हरियाणा का बड़ा मामला

पंचकूला में बेटी की रहस्यमय मौत: क्या सच में ‘घर’ महफूज़ नहीं रहा?

अभी कल की ही बात है – हरियाणा के पंचकूला में 28 साल की शैली कंसल का शव उसके अपने ही बेडरूम में मिला। और हैरानी की बात ये कि शरीर पर चोट के ऐसे निशान थे जो साफ़ कह रहे थे कि ये कोई सामान्य मौत नहीं। सच कहूं तो, ये वाकया इतना डरावना है कि पूरा इलाका सन्न रह गया। परिवार वाले तो मानो टूट से गए, और उनका गुस्सा देखिए – शव को लेकर सीधे थाने पहुंच गए। सीधे-सीधे आरोप लगा दिया पति पंकज कंसल पर।

अब थोड़ा पीछे चलते हैं। शादी को तो पांच साल हो गए थे, लेकिन क्या वाकई ये रिश्ता खुशहाल था? परिवार वालों का कहना है – बिल्कुल नहीं! शैली के भाई ने बताया कि उनकी बहन अक्सर घरेलू हिंसा की शिकायत करती थी। और अब जब कुछ दिनों से उसका फोन नहीं लग रहा था, तो परिवार को शक हुआ। पुलिस ने जब दरवाज़ा तोड़ा… अरे भई! वो दृश्य किसी को भी सिहरा देने वाला था।

अब तक की कहानी ये है कि पुलिस ने पोस्टमार्टम तो करवा लिया, लेकिन सस्पेक्ट पति से सिर्फ पूछताछ ही हुई है। और यहीं से शुरू होती है असली मुसीबत। स्थानीय लोगों का गुस्सा फूट पड़ा – थाने के बाहर जमकर हंगामा हुआ। आरोप? पुलिस प्रभावशाली लोगों के दबाव में काम कर रही है। अब तो मामला इतना बढ़ गया कि परिवार ने सीधे सीएम और महिला आयोग से मदद मांगी है।

इस पूरे मामले में सबसे डरावनी बात क्या है? शैली के भाई का वो बयान: “मेरी बहन को उसके अपने ही पति ने मारा है!” सुनकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं। एक स्थानीय निवासी ने जो कहा, वो सोचने पर मजबूर कर देता है – “क्या हमारे समाज में औरतों के लिए कोई सुरक्षा नहीं?” पुलिस वाले तो हमेशा की तरह रटा-रटाया जवाब दे रहे हैं – “रिपोर्ट का इंतज़ार कर रहे हैं।”

अब सवाल ये उठता है कि आगे क्या? पोस्टमार्टम रिपोर्ट अगर हत्या की पुष्टि करती है, तो मामला गंभीर मोड़ ले सकता है। महिला आयोग से लेकर मानवाधिकार संगठन तक सभी की नज़रें इस पर टिकी हैं। और सच तो ये है कि ये केस हरियाणा में एक बार फिर उस पुराने सवाल को उठा रहा है – क्या हमारी बेटियां अपने ही घरों में सुरक्षित नहीं?

अंत में बस इतना कहूंगा – शैली सिर्फ एक नाम नहीं, एक सवाल है। एक ऐसा सवाल जो तब तक खड़ा रहेगा, जब तक उसके परिवार को इंसाफ नहीं मिल जाता। और जब तक हमारी व्यवस्था सच में बदल नहीं जाती। सोचिए, क्या हम सच में इतने बेबस हैं?

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Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com

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