दलित परिवार के घर पर बुलडोजर चलवाने वाली PCS अफसर SDM अर्चना अग्निहोत्री को झटका, अब क्या होगा?
कभी-कभी प्रशासन की कार्रवाई इतनी बेतुकी होती है कि सवाल खुद-ब-खुद पैदा हो जाते हैं। फतेहपुर, UP की यह घटना भी कुछ ऐसी ही है। योगी सरकार ने PCS अफसर और SDM अर्चना अग्निहोत्री को निलंबित करके एक सख्त संदेश दिया है। पर सवाल यह है कि क्या निलंबन ही काफी है? मामला तो बेहद गंभीर है – एक दलित परिवार का घर बुलडोजर से गिरा दिया गया, वो भी बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के! यह सिर्फ प्रशासनिक गड़बड़ी नहीं, बल्कि दलित समुदाय के प्रति संवेदनहीनता का भी सवाल है। और हम सब जानते हैं कि यह पहला मामला नहीं है…
क्या हुआ था असल में? फतेहपुर वाली घटना की पूरी कहानी
कहानी शुरू होती है फतेहपुर के एक छोटे से गाँव से। प्रशासन ने ‘अवैध कब्जा हटाने’ के नाम पर एक दलित परिवार का घर ढहा दिया। SDM अर्चना अग्निहोत्री के आदेश पर हुई इस कार्रवाई में सबसे चौंकाने वाली बात? बेदखली के नियमों की धज्जियाँ उड़ा दी गईं! न तो मौका निरीक्षण हुआ, न ही परिवार को बताया गया। प्रशासन का दावा – जमीन पर अवैध कब्जा था। परिवार का जवाब – “हमारे पास सारे कागजात हैं, फिर भी हमें निशाना क्यों बनाया गया?” सवाल तो बनता ही है न?
सरकार ने क्या किया? एक्शन और रिएक्शन
जैसे ही मामला हवा हुआ, योगी सरकार ने तुरंत एक्शन लिया। SDM को निलंबित कर दिया गया। प्रशासन ने माना कि प्रक्रिया में गड़बड़ी हुई थी। परिवार को मुआवजे का वादा भी किया गया। अच्छी बात यह है कि सरकार ने संदेश दिया है कि गलती करने वाला चाहे कोई भी हो, उसे बख्शा नहीं जाएगा। लेकिन…क्या यह काफी है? क्या सिर्फ एक अधिकारी को निलंबित कर देने से व्यवस्था की खामियाँ दूर हो जाएँगी?
किसने क्या कहा? विवाद पर अलग-अलग राय
पीड़ित परिवार का दर्द साफ झलकता है उनके शब्दों में: “हमारा घर गिराने से पहले किसी ने हमारी बात तक नहीं सुनी।” सामाजिक कार्यकर्ता इसे दलित उत्पीड़न का नया चेहरा बता रहे हैं। वहीं भाजपा नेताओं का कहना है कि सरकार की त्वरित कार्रवाई साबित करती है कि अनियमितता बर्दाश्त नहीं की जाएगी। पर सच तो यह है कि ऐसे मामलों में अक्सर निलंबन ही अंतिम कार्रवाई साबित होता है। क्या इस बार कुछ अलग होगा?
अब आगे क्या? मामले की संभावित दिशा
अभी तो यह सिर्फ शुरुआत है। SDM के खिलाफ जाँच चल रही है। पीड़ित परिवार कोर्ट जा सकता है। और शायद UP सरकार भूमि विवाद निपटाने की प्रक्रिया पर भी नए सिरे से सोचे। पर असल सवाल यह है कि क्या व्यवस्था में ऐसे बदलाव होंगे जो भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोक सकें? या फिर यह भी एक और मामला बनकर रह जाएगा जिसे हम कुछ दिनों बाद भूल जाएँगे?
एक बात तो तय है – यह मामला सिर्फ एक अधिकारी के निलंबन से बड़ा है। यह सवाल है हमारी व्यवस्था, हमारी संवेदनशीलता और हमारे न्याय तंत्र की जवाबदेही का। सरकार ने त्वरित कार्रवाई करके अच्छा संकेत दिया है, पर अब देखना यह है कि यह सिर्फ एक ‘संकेत’ ही रह जाता है या फिर वास्तविक बदलाव की शुरुआत बन पाता है। क्योंकि अंततः, न्याय सिर्फ निलंबन से नहीं, बल्कि सिस्टम में बदलाव से ही मिलता है।
SDM अर्चना अग्निहोत्री और बुलडोजर वाला केस – जानिए पूरी कहानी और सवालों के जवाब
SDM अर्चना अग्निहोत्री को हुआ क्या? एक्शन कितना सख्त?
सुनकर हैरानी होगी, लेकिन अर्चना मैडम को तुरंत निलंबित (suspend) कर दिया गया। बस इतना ही नहीं, एक जांच कमेटी (investigation committee) भी बैठा दी गई है। अब देखना यह है कि ये कमेटी कितनी ‘कमेटी’ वाली काम करेगी या सिर्फ फाइलें ही खंगालेगी।
बुलडोजर चलाने की असली वजह क्या थी? सच्चाई या साजिश?
अधिकारियों का कहना है कि अवैध निर्माण (illegal construction) हटाने के लिए बुलडोजर चला। लेकिन… हमेशा की तरह एक ‘लेकिन’ ज़रूर है। स्थानीय लोग तो यही बता रहे हैं कि ये पूरा एक targeted action था। सवाल यह है कि अगर निर्माण अवैध था, तो इतनी जल्दबाजी क्यों?
कानून की किताब में इस केस के लिए क्या-क्या धाराएं हैं?
देखिए, SC/ST एक्ट तो लगना ही है – ये तो तय है। IPC की धारा 427 (mischief causing damage) और 34 (common intention) भी चस्पां हो सकती है। पर असल सवाल यह है कि क्या ये धाराएं सिर्फ कागज़ों तक ही सीमित रहेंगी?
पीड़ित परिवार को मिल रही है मदद या सिर्फ दिखावा?
सरकार ने मदद (government aid) का ऐलान तो कर दिया है – वो भी माइक पर खड़े-खड़े। कुछ सामाजिक संगठन (social organizations) भी आगे आए हैं legal और financial help के लिए। पर ईमानदारी से कहूं तो? जब तक ये मदद ज़मीन पर नहीं उतरती, सब सिर्फ वादे ही लगते हैं।
एक बात और… क्या आपने नोटिस किया कि ऐसे मामलों में हमेशा ‘जांच’ और ‘वादे’ ही होते हैं, नतीजे कभी सामने नहीं आते?
Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com