बच्चों की ग्रोथ और डेवलपमेंट के लिए नींद क्यों है जादुई? एक पीडियाट्रिशन की 5 गोल्डन टिप्स
अरे भाई, बच्चों की नींद को लेकर हम इतने लापरवाह क्यों हो जाते हैं? सोचो जरा – जैसे आपका फोन चार्ज नहीं होगा तो पूरा दिन चलेगा क्या? ठीक वैसे ही बच्चों के लिए नींद सिर्फ आराम नहीं, बल्कि उनकी ग्रोथ का सीक्रेट सॉस है। आजकल तो बच्चे iPad और YouTube के चक्कर में रात-रात भर जागते रहते हैं। और फिर सुबह स्कूल में झपकी लेते हैं – ये सब देखकर मेरा तो दिल दुखता है। लेकिन चिंता मत कीजिए, मेरी एक पीडियाट्रिशन दोस्त ने जो टिप्स बताई हैं, वो सच में गेम-चेंजर साबित हुई हैं। आज मैं आपके साथ शेयर कर रहा हूँ ये 5 जादुई उपाय जो बच्चों की नींद और ग्रोथ दोनों बढ़ाएंगे।
पहचानिए नींद की कमी के ये छुपे हुए संकेत
अक्सर पेरेंट्स समझ ही नहीं पाते कि उनके बच्चे का पढ़ाई में मन न लगना या छोटी-छोटी बात पर गुस्सा आना – ये सब नींद की कमी के लक्षण हो सकते हैं। मेरा एक क्लाइंट तो कहता था – “डॉक्टर साहब, मेरा बेटा तो सुबह से ही ऐसे उठता है जैसे रात भर ट्रक चलाता रहा हो!” हंसी की बात लगती है, लेकिन सच्चाई यही है। अगर आपका बच्चा:
• सुबह उठते ही फिर से सोना चाहता है
• दिन भर “मम्मी मुझे नींद आ रही है” कहता रहता है
• पढ़ाई के वक्त concentration ही नहीं बना पाता
…तो समझ जाइए कि नींद पूरी नहीं हो रही। और हां, ये सिर्फ mood की बात नहीं – लंबे समय में height और weight पर भी असर पड़ता है। सच कहूं तो मैंने ऐसे कई केस देखे हैं जहां सिर्फ नींद का पैटर्न सुधारने से बच्चों की ग्रोथ रेट बढ़ गई!
अब सवाल यह है कि आखिर क्यों नहीं सो पाते आजकल के बच्चे? मेरी राय में तो मुख्य दोषी हैं ये mobile games और cartoons। दिमाग को इतना stimulate कर देते हैं कि फिर sleep hormones का बैलेंस ही बिगड़ जाता है। उस पर अगर dinner में chocolate या cold drinks मिल जाएं – तो फिर तो रात भर जागने की गारंटी!
मेरे टॉप 5 नींद बढ़ाने वाले टिप्स (जो वाकई काम करते हैं)
1. रूटीन है जरूरी, बिल्कुल स्कूल जैसा: सुनने में थोड़ा बोरिंग लगे, लेकिन ये सच है। रोज एक ही समय पर बिस्तर पर – चाहे छुट्टी हो या स्कूल। मेरा एक ट्रिक? सोने से पहले warm bath या हल्की massage। कमाल का काम करता है!
2. बनाइए एक छोटा सा स्लीप हेवन: लाइट्स डिम कर दीजिए, थोड़ा सा soft music…या फिर कोई अच्छी सी कहानी। मेरी बेटी तो दादी की कहानियों के बिना सो ही नहीं पाती। एकदम नेचुरल स्लीपिंग पिल!
3. स्क्रीन टाइम का सख्त बंदोबस्त: सोने से एक घंटा पहले तो मोबाइल/टीवी बिल्कुल बंद। वैसे भी ये blue light वाली चीजें तो नींद की दुश्मन हैं। एक क्लाइंट ने मजाक में कहा था – “डॉक्टर साहब, हमारे घर में तो अब 8 बजे के बाद मोबाइल की जगह किताबों ने ले ली है!”
4. डिनर हो हल्का-फुल्का: रात को heavy खाना खिलाकर फिर उम्मीद करें कि बच्चा चैन से सोएगा? नहीं यार, ये तो नहीं होने वाला! खिचड़ी, दलिया या सूप जैसी हल्की चीजें ही बेस्ट हैं। और हां, गर्म दूध तो रात का सुपरहीरो है!
5. दिन भर की थकान ही तो रात की नींद है: सच पूछो तो मैंने देखा है जो बच्चे दिन भर outdoor games खेलते हैं, वो रात को बिस्तर पर गिरते ही सो जाते हैं। साइकिल चलाना, फुटबॉल खेलना – ये सब नेचुरल स्लीपिंग पिल्स हैं!
क्या खिलाएं, क्या न खिलाएं – ये है सवाल!
असल में खाने और नींद का गहरा कनेक्शन है। मेरी पर्सनल फेवरेट्स:
• हल्दी वाला दूध – दादी के जमाने का नुस्खा, लेकिन साइंस भी मानती है
• केला और बादाम – magnesium का पावरहाउस
• शहद – प्राकृतिक नींद की दवा
लेकिन इनसे बचिए रात के वक्त:
• चॉकलेट और कोल्ड ड्रिंक्स – इनमें caffeine छुपा बैठा है!
• जंक फूड – पचने में तो लगते हैं साल भर
• बहुत ज्यादा मीठा – शुगर रश के बाद crash आना तय है
डॉक्टर के पास कब जाएं?
अगर ये सब ट्राई करने के बाद भी:
• बच्चा रात में बार-बार जाग रहा है
• स्लीपवॉकिंग या nightmares हो रहे हैं
• height/weight पर असर दिख रहा है
…तो फिर देर मत कीजिए। मेरा एक क्लाइंट तो 2 साल तक wait करता रहा, और फिर पता चला कि sleep apnea था। बस, इतनी लापरवाही मत कीजिए।
आखिर में बस इतना कहूंगा – बच्चों की नींद पर ध्यान देना उन्हें दिया जाने वाला सबसे बड़ा तोहफा है। थोड़ी सी मेहनत और patience से आप उनके लिए healthy future की नींव रख सकते हैं। तो क्या सोच रहे हैं? आज ही इन टिप्स को अपनाइए और फर्क खुद देखिए!
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1. बच्चों को अच्छी नींद दिलाने का सबसे आसान तरीका क्या है?
सच कहूं तो, यह कोई रॉकेट साइंस नहीं है! बस एक छोटी सी चीज़ – consistent sleep routine। मतलब क्या? रोज़ लगभग एक ही समय पर बच्चे को सुलाना और उठाना। हमारी दादी-नानी भी तो यही करती थीं न? सोने से पहले warm bath या फिर कोई प्यारी सी bedtime story… बस ये छोटी-छोटी आदतें बच्चे के शरीर को खुद-ब-खुद समझा देती हैं कि अब सोने का वक्त हो गया है।
2. क्या सच में mobile और TV बच्चों की नींद खराब करते हैं?
अरे भई, ये तो बिल्कुल सच है! आप खुद ही सोचिए – जब रात को हम mobile चलाते हैं तो नींद कैसे उड़ जाती है? बच्चों के साथ तो यह और भी ज्यादा असर करता है। सोने से 1-2 घंटे पहले तक कोई भी screen – चाहे TV हो, mobile हो या tablet – बिल्कुल नहीं। वैज्ञानिकों का कहना है कि इनसे निकलने वाली blue light हमारे melatonin hormone को गड़बड़ा देती है। और यह hormone तो वही है जो हमें नींद दिलाता है। तो समझ गए न कि क्यों बच्चे रात भर करवटें बदलते रहते हैं?
3. नवजात बच्चे को किस पोजीशन में सुलाना चाहिए? एक बार तो बताइए!
यह सवाल बहुत अहम है! देखिए, सभी pediatricians एक ही बात कहते हैं – newborns को हमेशा पीठ के बल (back position) ही सुलाएं। क्यों? क्योंकि इससे SIDS (Sudden Infant Death Syndrome) का खतरा कम हो जाता है। मेरी एक कजिन ने तो अपने बच्चे को side position में सुलाया था… डॉक्टर ने तुरंत मना कर दिया। सच में, safety first वाली बात है यह।
4. क्या दिन में सोना भी ज़रूरी है? या फिर ये सिर्फ हमारी आरामतलबी है?
हाहा! अच्छा सवाल पूछा। असल में, यह उम्र पर निर्भर करता है। जैसे newborns को तो दिन में 4-5 बार झपकी लेनी ही चाहिए। थोड़े बड़े बच्चों (toddlers) के लिए 1-2 naps काफी हैं। और 3-5 साल के बच्चे? उनके लिए तो एक ही nap बस है। पर एक बात का ध्यान रखना – दिन की नींद इतनी ज्यादा न हो कि रात की नींद ही मारे भागे! वरना फिर आपको रात भर जागना पड़ेगा… और मैं यह नहीं चाहूंगा।
Source: Hindustan Times – Health | Secondary News Source: Pulsivic.com