अमेरिका में विमान का लैंडिंग गियर जलकर खाक! 179 लोगों की जान पर बन आई…
कल्पना कीजिए – आप शांति से विमान में बैठे हैं, टेकऑफ़ हुआ ही है कि अचानक धुआं दिखता है। डेनवर एयरपोर्ट पर अमेरिकन एयरलाइंस के फ्लाइट AA-123 के साथ ऐसा ही हुआ। सच कहूं तो पायलटों ने जो किया वो सलाम करने लायक था – तुरंत विमान वापस मोड़ा और इमरजेंसी लैंडिंग कराई। और सबसे बड़ी बात? सभी 179 यात्री और क्रू सुरक्षित निकल गए। भगवान का शुक्र है!
अब सवाल यह है कि आखिर हुआ क्या? दरअसल, ये बोइंग 737 विमान तो हाल ही में मेंटेनेंस से गुजरा था। फिर भी लैंडिंग गियर में आग? थोड़ा अजीब लगता है न? FAA की जांच चल रही है, लेकिन मेरा अनुमान है – या तो यांत्रिक खराबी होगी या फिर ओवरहीटिंग। पर सच पूछो तो, ऐसी घटनाएं विमानन सुरक्षा पर बड़े सवाल खड़े करती हैं। खासकर तब, जब विमान नया-नया चेकअप से गुजरा हो!
अच्छी खबर ये रही कि एयरपोर्ट की फायर ब्रिगेड ने तुरंत आग पर काबू पा लिया। वरना क्या होता, सोचकर ही डर लगता है। और हां, अमेरिकन एयरलाइंस ने तुरंत एक्शन लेते हुए सभी यात्रियों को अल्टरनेट फ्लाइट्स दी हैं। ब्लैक बॉक्स की जांच होगी, तब जाकर पता चलेगा असली वजह क्या थी।
एक यात्री ने तो बताया – “भईया, पूरा विमान हिल गया था! लगा जैसे कुछ बड़ा गड़बड़ हो गया है।” सच कहूं तो क्रू ने बेहतरीन काम किया। अमेरिकन एयरलाइंस वाले तो बस यही बोल रहे हैं कि “सुरक्षा हमारी प्राथमिकता है”। पर विमानन विशेषज्ञ डॉ. राजीव मेहरा की बात सुनिए – “लैंडिंग गियर में आग? ये तो बहुत ही दुर्लभ घटना है। मेंटेनेंस प्रोटोकॉल पर सवाल उठना लाज़मी है।”
अब आगे क्या? मेरे ख्याल से तो FAA पूरी तरह जांच करेगी। हो सकता है अमेरिकन एयरलाइंस के दूसरे विमानों के लैंडिंग गियर भी चेक किए जाएं। और अगर लापरवाही पाई गई तो… खैर, बड़ा फटकार तो लगेगा ही। सच तो ये है कि ऐसी घटनाएं हमें याद दिलाती हैं कि विमानन सुरक्षा में कोई कोताही बर्दाश्त नहीं की जा सकती। थोड़ी सी भी लापरवाही और… खैर, आप समझ ही गए होंगे।
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सोशल मीडिया पर वायरल हो रही ये खबर आपने भी देखी होगी। लेकिन असल में हुआ क्या? चलिए, बिना किसी ज्यादा technical जार्गन के समझते हैं।
1. भईया, आखिर प्लेन के पैरों में आग कैसे लग गई?
देखिए, reports तो अभी आधिकारिक तौर पर आनी बाकी हैं। लेकिन जानकारों का कहना है कि टेकऑफ के वक्त लैंडिंग गियर में कुछ तकनीकी गड़बड़ी (या फिर overheating) हुई। और यही चिंगारी आग का कारण बनी। नतीजा? प्लेन को emergency landing करना पड़ा। सच कहूं तो, ऐसी स्थिति में पायलट्स का नर्वस होना स्वाभाविक है।
2. सबसे बड़ा सवाल – क्या यात्री सुरक्षित बच पाए?
अरे भाई, यही तो सबसे राहत भरी बात है! सभी 179 यात्रियों और crew members को बखूबी सुरक्षित निकाल लिया गया। Emergency protocols को फॉलो करते हुए सबको safe location पर पहुंचाया गया। सच में, इसके लिए cabin crew की तारीफ करनी चाहिए – उन्होंने बिल्कुल cool रहकर काम किया।
3. ऐसे हालात में प्लेन को कैसे संभाला जाता है?
अब यहां बात दिलचस्प हो जाती है। आप सोच रहे होंगे – भला कोई पायलट ऐसे critical moment में कैसे react करता होगा? असल में, इन्हें specially trained किया जाता है ऐसी हर possible situation के लिए। प्रोटोकॉल साफ है – first step? Immediately air traffic control को inform करना। फिर nearest airport पर emergency landing। और हां, cabin crew का रोल भी कम अहम नहीं – वे passengers को शांत रखते हुए safety procedures follow करवाते हैं। एकदम मिली-जुली टीमवर्क!
4. क्या ऐसी घटनाएं आम हैं?
ईमानदारी से कहूं तो – नहीं। आजकल के modern airplanes तो लगभग… मानो flying computers ही होते हैं। इनमें ढेर सारे safety systems लगे होते हैं जो किसी भी fault को पहले ही पकड़ लेते हैं। लेकिन हां, technology perfect तो होती नहीं। कभी-कभार technical faults हो ही जाते हैं। पर statistics देखें तो, flying अभी भी सबसे safe options में से एक है। है ना मजेदार बात?
तो ये थी पूरी कहानी। अगर आपका कोई सवाल हो तो कमेंट में जरूर पूछिएगा। और हां, अगली फ्लाइट का टिकट कैंसिल मत कर दीजिएगा – ये तो बस एक rare incident था!
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