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पीएम मोदी की 5 देशों की यात्रा: भारत के लिए क्यों है खास? जानें ग्लोबल साउथ से क्या मिलेगा

पीएम मोदी की 5 देशों की यात्रा: क्या ये सिर्फ एक फॉरेन ट्रिप है या कुछ और?

अब देखिए न, 2 जुलाई से हमारे PM मोदी एक बड़े विदेश दौरे पर निकल रहे हैं। आठ दिन, पांच देश – घाना, त्रिनिदाद और टोबैगो, अर्जेंटीना, ब्राजील और नामीबिया। लेकिन ये कोई हॉलिडे ट्रिप तो है नहीं, असल में ये भारत की विदेश नीति का एक सोचा-समझा चाल है। Global South (जी हां, ये टर्म अब बहुत चलन में है) में भारत की साख बढ़ाने का मौका। सवाल ये है कि क्या हम सच में वैश्विक मंच पर अपनी आवाज़ मजबूत कर पाएंगे? या फिर ये सब दिखावा है?

Global South: क्यों है ये भारत के लिए इतना अहम?

Global South… यानी वो देश जो अमीर देशों के क्लब में नहीं आते। अफ्रीका, लैटिन अमेरिका, एशिया के वो देश जो कहते हैं – “अरे भई, हमें भी तो सुनो!” पिछले कुछ सालों में भारत ने इन देशों से रिश्ते बढ़ाने में खासी मेहनत की है। G20 में अफ्रीकन यूनियन को शामिल करवाना हो या फिर BRICS में अपनी पैठ बनाना – मोदी सरकार इस मोर्चे पर काफी एक्टिव दिख रही है। पर सच्चाई ये है कि चीन पहले से ही इन देशों में काफी पैर पसार चुका है। तो क्या भारत सच में कोई अंतर ला पाएगा?

हर देश का अपना मकसद: क्या-क्या है एजेंडा?

अब जरा डिटेल में समझते हैं:
घाना: यहां आतंकवाद और समुद्री सुरक्षा पर बात होगी। समझ लीजिए हमारी नौसेना के लिए अच्छी खबर हो सकती है।
त्रिनिदाद और टोबैगो: यहां तो हमारे अपने लोग बसते हैं! NRI कनेक्शन को और मजबूत करने के साथ-साथ नए बिजनेस चांस भी तलाशे जाएंगे।
अर्जेंटीना-ब्राजील: G20 और BRICS के जरिए वैश्विक इकोनॉमी पर अपनी बात रखने का मौका।
नामीबिया: यूरेनियम और हीरे… कहने को तो छोटा सा देश है, पर संसाधनों का खजाना!

क्या कह रहा है राजनीतिक गलियारा?

सरकार का कहना है कि ये ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की भावना को दिखाता है। विपक्ष? उनका तो हमेशा का राग अलापना – “पहले घर की सुध लो!” पर अंतरराष्ट्रीय एक्सपर्ट्स की नजर में ये चीन को टक्कर देने की कोशिश है। और सच कहूं तो चीन ने तो अफ्रीका में पहले ही अपनी जड़ें जमा ली हैं। क्या भारत इस रेस में पीछे से आकर आगे निकल पाएगा?

भविष्य में क्या मिल सकता है हमें?

अगर सब कुछ ठीक रहा तो:
✓ नए trade agreements से हमारे एक्सपोर्ट को बढ़ावा
✓ यूएन जैसे फोरम्स में इन देशों का सपोर्ट
✓ और सबसे बड़ी बात – चीन के प्रभाव को कम करने का मौका!

पर याद रखिए, अंतरराष्ट्रीय राजनीति में कुछ भी तय नहीं होता। आज के दोस्त कल के… खैर, आप समझ गए होंगे।

तो क्या है फाइनल वर्ड? मोदी की ये यात्रा सिर्फ पांच देशों का दौरा नहीं, बल्कि भारत के वैश्विक सपनों का प्रतीक है। पर सपने देखना एक बात है, और उन्हें पूरा करना दूसरी। देखते हैं कि ये चाल काम करती है या नहीं। आपको क्या लगता है?

यह भी पढ़ें:

PM Modi की 5 देशों की यात्रा – जानिए सबकुछ आसान भाषा में!

1. कौन-कौन से देश गए PM Modi और ये सफर क्यों है खास?

देखिए, PM Modi ने UAE, फ्रांस, पापुआ न्यू गिनी, ऑस्ट्रेलिया और Fiji का दौरा किया। अब सवाल यह है कि ये यात्राएं इतनी important क्यों हैं? असल में, ये सिर्फ रूटीन विजिट नहीं हैं। यह भारत और Global South के बीच एक मजबूत रिश्ते की नींव रखने जैसा है। Trade से लेकर diplomacy तक – नए दरवाजे खुलेंगे। और हाँ, ये सब हमारे लिए कितना फायदेमंद होगा, यह तो वक्त ही बताएगा!

2. Global South…ये शब्द सुनते ही कन्फ्यूज होते हैं आप? समझिए आसान भाषा में

अरे भई, इतना कॉम्प्लिकेटेड क्या सोचना! Global South का मतलब है वे developing देश जो Asia, Africa, Latin America और Pacific region में बसे हैं। अब भारत का इनसे जुड़ना…सोचिए जैसे आपके पड़ोस में नए दोस्त बन रहे हों! Economic cooperation होगा, technology मिलेगी, और सबसे बड़ी बात – दुनिया में हमारी आवाज़ और मजबूत होगी। एक तरह से देखें तो ये हमारे लिए विन-विन सिचुएशन है।

3. विदेश नीति को मिलेगा कितना फायदा? एक नज़र इस पहलू पर

ईमानदारी से कहूं तो, ये यात्रा सिर्फ हाथ मिलाने भर की नहीं है। ‘Neighbourhood First’ और ‘Act East’ जैसी हमारी policies को ये एक नई एनर्जी देगी। और सबसे अच्छी बात? Energy security से लेकर climate change तक, terrorism जैसे मुद्दों पर अब हम अकेले नहीं लड़ेंगे। साथ मिलकर। क्या आपको नहीं लगता कि ये एक स्मार्ट मूव है?

4. क्या China के साथ रिश्तों पर पड़ेगा कोई असर? सच्चाई जानिए

सुनिए, ये थोड़ा सेंसिटिव टॉपिक है। हां, ये यात्राएं भारत के strategic partners के साथ रिश्तों को मजबूत करती हैं…और हां, इससे China के प्रभाव को काउंटर करने में मदद मिल सकती है। लेकिन सीधे-सीधे India-China relations पर क्या असर पड़ेगा? मेरी राय में, ज्यादा नहीं। पर याद रखिए – अंतरराष्ट्रीय राजनीति में कुछ भी ब्लैक एंड व्हाइट नहीं होता। ग्रे एरिया हमेशा रहता है। समझ रहे हैं न?

Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com

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