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“छोटे देश, बड़ा असर: पीएम मोदी के अफ्रीका और कैरेबियन दौरे से चीन की चिंता बढ़ी!”

छोटे देश, बड़ा गेम: मोदी जी के अफ्रीका-कैरेबियन टूर ने चीन की नींद उड़ा दी!

अरे भाई, क्या बात है! पीएम मोदी ने अभी-अभी घाना, त्रिनिदाद एंड टोबैगो और नामीबिया का चक्कर लगाया है। और देखा जाए तो यह कोई सामान्य विदेश यात्रा नहीं थी। ब्रिक्स समिट से ठीक पहले हुआ यह दौरा… सोचने वाली बात है न? असल में, यह भारत के ‘Global South’ लीडर बनने के इरादों का साफ संकेत है। अब सवाल यह है कि चीन इसे लेकर इतना परेशान क्यों है? दरअसल, ये छोटे देश भले ही मैप पर छोटे दिखें, लेकिन इनकी भू-राजनीतिक अहमियत बहुत बड़ी है। एक तरह से देखें तो यह चीन के लिए सिरदर्द बन गया है।

भारत की चाल और चीन की मुश्किलें

पिछले कुछ सालों में भारत ने अफ्रीका और कैरेबियन देशों के साथ रिश्ते मजबूत करने में जोर लगा दिया है। मजेदार बात यह है कि यह कोई एक्सीडेंटल मूव नहीं है। हमारी सरकार ने इसे बड़े ही कूल तरीके से प्लान किया है – विकासशील देशों के साथ जुड़कर अपनी ग्लोबल इमेज को पॉलिश करना। पर यहाँ दिक्कत क्या है? चीन तो पहले से ही इन इलाकों में अपना झंडा गाड़ चुका है, खासकर उसके ‘Belt and Road Initiative’ (BRI) के जरिए। तो मोदी जी का यह टूर क्या दिखाता है? साफ है कि भारत अब सॉफ्ट पावर और डेवलपमेंट डिप्लोमेसी के जरिए अपना गेम स्ट्रॉन्ग कर रहा है।

क्या हुआ इस टूर में? और चीन चुप क्यों?

इस टूर की खास बातें? मोदी जी ने व्यापार, ऊर्जा और सुरक्षा के मामले में कई अहम डील्स साइन कीं। साथ ही वहाँ रह रहे भारतीयों से मिलकर उनका दिल भी जीत लिया। लेकिन असली मजा तो चीन की रिएक्शन (या नॉन-रिएक्शन) में है! सीधे तौर पर तो उन्होंने कुछ नहीं कहा, पर मीडिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि वे भारत की बढ़ती पहुँच को लेकर टेंशन में हैं। चीनी मीडिया, खासकर Global Times, तो इसे अमेरिकी प्रभाव वाली डिप्लोमेसी बता रहा है। सच क्या है? शायद उनके दिल की बात वे खुद भी नहीं कह पा रहे!

आगे क्या? ब्रिक्स में टकराव की आशंका!

भारतीय विदेश मंत्रालय तो इस टूर को ‘ग्लोबल पार्टनरशिप’ की दिशा में बड़ा कदम बता रहा है। घाना के प्रेसिडेंट ने भी भारत के साथ ऐतिहासिक रिश्तों की बात की। लेकिन असली टेस्ट तो अभी बाकी है। ब्रिक्स समिट में क्या भारत और चीन आमने-सामने आएंगे? मेरी नजर में तो अफ्रीका और कैरेबियन में infrastructure और investment को लेकर दोनों देशों की होड़ तेज होगी। और एक बड़ा प्वाइंट – Global South के देश भारत के डेवलपमेंट मॉडल को चीन से ज्यादा पारदर्शी और टिकाऊ मानते हैं। यही तो हमारी सबसे बड़ी ताकत है!

तो समझ लीजिए, मोदी जी का यह टूर सिर्फ विदेश नीति नहीं, बल्कि चीन को दिया गया एक स्टाइलिश चैलेंज है। आने वाले दिनों में यह जियो-पॉलिटिकल गेम और गरमा सकता है। और हैरानी की बात यह कि इसमें छोटे देश ही बड़ा रोल अदा करेंगे। क्या आपको नहीं लगता कि यह एक बिल्कुल नया चैप्टर शुरू हो रहा है?

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Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com

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