पीएम मोदी का बिहार-बंगाल दौरा: क्या ये विकास की असली सौगात है या सिर्फ चुनावी चाल?
अरे भाई, क्या आपने भी नोटिस किया? प्रधानमंत्री मोदी ने तो बिहार और बंगाल में एक ही दिन में हजारों करोड़ की योजनाओं की बारिश कर दी! अब सवाल यह है कि क्या ये सच में विकास के लिए है या फिर… आप समझ ही गए न? असल में बात ये है कि बिहार में इस साल और बंगाल में 2026 में चुनाव हैं। तो जाहिर है, ये दौरा सिर्फ ‘हैलो-हाय’ के लिए तो नहीं था।
चुनावी मौसम में ‘विकास’ की बयार
देखिए, मैं कोई राजनीतिक विश्लेषक तो नहीं, लेकिन इतना तो समझ आता है कि जब चुनाव नजदीक होते हैं, तो सरकारें अचानक बहुत ‘उदार’ हो जाती हैं। बिहार और बंगाल में तो ये खेल खुलकर दिख रहा है। सड़कें, रेल, स्वास्थ्य – सब पर अचानक इतना प्यार! हालांकि, ये भी सच है कि इन राज्यों को विकास की सख्त जरूरत है। पर सवाल तो उठता ही है न – क्यों अब?
बिहार को मिला ‘मेगा’ पैकेज – पर कितना ‘मेगा’?
10,000 करोड़! ये आंकड़ा सुनकर तो लगता है जैसे बिहार अब अमेरिका बन जाएगा। गंगा किनारे पर्यटन, नई रेल लाइनें, एक्सप्रेसवे – सब बहुत अच्छा लगता है। पर एक पुराना सवाल – क्या ये सिर्फ घोषणाएं ही रह जाएंगी? आपको याद है न पिछले कितने ‘मेगा’ प्रोजेक्ट्स अभी तक कागजों में ही हैं? मैं तो बस इतना कहूंगा – देखते हैं कि ये सब जमीन पर कब और कैसे उतरता है।
बंगाल के लिए मेट्रो और सुंदरबन – क्या ये काफी है?
कोलकाता की भीड़भाड़ वाली सड़कों के लिए मेट्रो का विस्तार वाकई अच्छी खबर है। 7,500 करोड़! पर एक मिनट… क्या आपको नहीं लगता कि सुंदरबन जैसे नाजुक इकोसिस्टम के लिए सिर्फ पैसे देना काफी नहीं है? वहां तो सही प्लानिंग और इम्प्लीमेंटेशन चाहिए। और हां, ये तो तय है कि BJP बंगाल में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है। 2021 के चुनावी नतीजे तो उनके पक्ष में रहे थे न?
राजनीति का खेल – कौन क्या बोला?
TMC का तो पुराना राग है – “चुनाव आए तो बंगाल याद आया!” RJD भी पीछे कहां है – “जमीनी हकीकत से कोई वास्ता नहीं।” और BJP? उनका तो स्टैंड क्लियर है – “विकास हमारा एजेंडा।” सच क्या है? शायद इन सबका मिलाजुला रूप। पर इतना तो तय है कि अगले कुछ महीनों में ये बहस और गरम होगी। आप भी तैयार रहिए!
अब आगे क्या?
देखिए, अभी तो सिर्फ घोषणाएं हुई हैं। असली गेम तो अब शुरू होगा – योजनाओं पर अमल होगा या नहीं? फंड का सही इस्तेमाल होगा या नहीं? और सबसे बड़ी बात – जनता इन सबको कैसे देखेगी? क्योंकि आखिरकार तो यही जनता ही तय करेगी न – ये सब सच्चा विकास था या सिर्फ चुनावी जुमला?
एक बात और – अगर आपको लगता है कि मैं किसी पक्ष में हूं, तो जनाब, आप गलत हैं। मैं तो बस एक आम आदमी की तरह सवाल उठा रहा हूं। क्योंकि हम सबका हक बनता है न – सच जानने का?
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Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com