PM मोदी को घाना का सर्वोच्च सम्मान मिला – पर क्या यह सिर्फ एक औपचारिकता है?
अरे भाई, भारत और अफ्रीका के बीच जो दोस्ती बन रही है, वो अब धीरे-धीरे गहराने लगी है। और इसका ताजा उदाहरण? हमारे PM मोदी को घाना सरकार ने अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मान से नवाजा है। सच कहूं तो, ये कोई छोटी बात नहीं है। लेकिन सवाल यह है कि क्या ये सिर्फ एक प्रोटोकॉल वाली बात है या फिर इसके पीछे कोई बड़ी राजनीति भी है? असल में, इसी मौके पर दोनों देशों ने रक्षा और सुरक्षा जैसे अहम मुद्दों पर 4 बड़े समझौतों पर दस्तखत किए। और मोदी जी ने तो “Security through solidarity” का नारा भी दिया – जो सुनने में तो अच्छा लगता है, पर असल में इसका क्या मतलब होगा?
देखिए, भारत और घाना का रिश्ता कोई नया नहीं है। आजादी के बाद से ही हमारे बीच व्यापार से लेकर शिक्षा तक के रिश्ते रहे हैं। लेकिन हाल के सालों में जिस तरह चीन अफ्रीका में अपने पैर पसार रहा है, उसने भारत को भी एक्शन में ला दिया है। और घाना? अफ्रीका का ये देश तेजी से आगे बढ़ रहा है – तो समझदारी इसी में है कि हम उसके साथ मजबूत रिश्ते बनाएं। सच तो ये है कि ये सिर्फ दो देशों की बात नहीं, बल्कि पूरी वैश्विक राजनीति का एक मोहरा है।
अब आते हैं इस यात्रा के मसलों पर। पहली बात तो ये कि मोदी जी को सम्मान मिला – अच्छी बात है। लेकिन असली खेल तो उन 4 समझौतों में है। सैन्य प्रशिक्षण, समुद्री सुरक्षा, Defence Supply और साइबर सुरक्षा – ये वो मुद्दे हैं जिन पर आजकल हर देश की नजर होती है। और हमारी नौसेना और घाना की नौसेना मिलकर हिंद महासागर और अटलांटिक में सुरक्षा के लिए काम करेंगे। एक तरह से देखें तो ये भारत की समुद्री ताकत बढ़ाने की एक चाल है। पर क्या ये सच में काम करेगा? वक्त ही बताएगा।
प्रतिक्रियाएं? वो तो आनी ही थीं। मोदी जी ने अपना वाला “Security through solidarity” वाला जुमला दोहराया। घाना के राष्ट्रपति ने भी इस साझेदारी की तारीफ की। पर मजे की बात ये है कि रक्षा विशेषज्ञों की नजर में ये सब चीन को संतुलित करने की कोशिश से ज्यादा कुछ नहीं है। और सच कहूं? शायद वो सही भी हैं।
भविष्य में क्या होगा? अगर ये समझौते सही से लागू हुए तो भारत को अफ्रीका में और मजबूती मिल सकती है। ‘Make in India’ को भी फायदा हो सकता है। और हां, चीन को थोड़ा झटका भी लग सकता है। पर ये सब तभी होगा जब हम इन समझौतों को सिर्फ कागजों तक ही न रहने दें।
अंत में बस इतना कि ये समझौते भारत की विदेश नीति में एक बड़ा कदम तो हैं ही, साथ ही ये दिखाते हैं कि हम अब सिर्फ बातें नहीं, असल में कुछ करके भी दिखाना चाहते हैं। ‘Act East’ और ‘Africa Outreach’ की नीति को तो ये एक बड़ा पुश मिला ही है। पर क्या ये सब कुछ सिर्फ दिखावा है या फिर कुछ ठोस नतीजे भी निकलेंगे? वो तो आने वाला वक्त ही बताएगा।
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अब देखिए, PM मोदी को घाना का सर्वोच्च सम्मान मिला है – और ये कोई छोटी बात नहीं है। असल में, ये भारत की बढ़ती ताकत का एक बड़ा संकेत है। मतलब साफ है – दुनिया अब हमें गंभीरता से ले रही है।
और सिर्फ यही नहीं! दोनों देशों के बीच 4 बड़े समझौते हुए हैं। अब आप सोच रहे होंगे – ‘ये सब क्या मतलब?’ तो समझिए, ये कोई रस्मी कागजी कार्रवाई नहीं है। ये वो कदम हैं जो भारत और घाना के रिश्तों को एक नई दिशा देने वाले हैं।
सच कहूं तो, ये सिर्फ दो देशों की बात नहीं है। जब ऐसे समझौते होते हैं, तो पूरी दुनिया नोटिस लेती है। और हमारे लिए? ये गर्व की बात है। एक तरह से कहें तो, भारत अब global stage पर अपनी छाप छोड़ रहा है। बिल्कुल सही समय पर।
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