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** “PM मोदी की अपील का असर! स्कूल कैंटीन से हटे समोसे-चिप्स, अब बच्चे खा रहे फ्रूट सलाद”

PM मोदी की बात ने किया कमाल! अब स्कूल कैंटीन में समोसे-चिप्स की जगह फ्रूट सलाद की धूम

देखा जाए तो PM मोदी ने ‘मन की बात’ में जो बात कही, वो सच में काम कर गई। वैसे भी, क्या आपने कभी गौर किया है कि हमारे बच्चे स्कूल में क्या खा रहे हैं? अब तो स्थिति बदलती दिख रही है – देशभर के स्कूलों की कैंटीन से समोसे, चिप्स और कोल्ड ड्रिंक्स गायब हो रहे हैं। उनकी जगह ले रहे हैं ताजे फ्रूट सलाद, स्प्राउट्स और घर जैसे हेल्दी स्नैक्स। सच कहूं तो ये बदलाव सिर्फ खाने तक सीमित नहीं, बल्कि बच्चों की सोच में भी अंतर ला रहा है।

असल में बात ये है कि PM मोदी ने हाल ही में बच्चों में बढ़ते मोटापे और डायबिटीज पर चिंता जताई थी। ‘मन की बात’ में उन्होंने सीधे-सीधे कहा – “ये जंक फूड का नशा खतरनाक है।” और लगता है बात बच्चों तक पहुंच गई! अब तो कई स्कूलों ने अपने मेन्यू ही बदल डाले हैं। दिलचस्प बात ये है कि ये कोई जबरदस्ती नहीं, बल्कि एक स्वाभाविक बदलाव है।

मुंबई, दिल्ली, बेंगलुरु – इन शहरों के बड़े स्कूलों में तो छात्रों ने खुद ही ‘हेल्दी फूड कमेटी’ बना ली है। सोचिए! वही बच्चे जो पहले समोसे-चिप्स के लिए लाइन में लगते थे, अब मल्टीग्रेन सैंडविच और लो-शुगर ड्रिंक्स की मांग कर रहे हैं। एक तरफ तो ये हैरान करने वाला है, लेकिन दूसरी तरफ गर्व भी होता है।

अभिभावकों की क्या राय है? एक माँ ने मुझे बताया – “पहले तो बच्चा रोज नए बहाने से पैसे मांगता था कैंटीन के लिए। अब खुद ही टिफिन में फ्रूट सलाद ले जाने लगा है।” शिक्षकों का कहना है कि ये बदलाव सिर्फ कैंटीन तक नहीं, बल्कि बच्चों की आदतों तक पहुंच गया है। और सबसे मजेदार बात? बच्चे खुद मानते हैं कि “अब फ्रूट सलाद का स्वाद ही कुछ और लगता है!”

आगे की राह और भी दिलचस्प है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्कूल कैंटीन गाइडलाइंस पर काम शुरू कर दिया है। कुछ राज्य तो पूरी तरह जंक फूड पर बैन लगाने की सोच रहे हैं। हेल्थ एक्सपर्ट्स का मानना है कि ये छोटा सा बदलाव आने वाले समय में बड़े स्वास्थ्य संकट को रोक सकता है। सच कहूं तो, ये उतना ही जरूरी है जितना कि पढ़ाई में अच्छे नंबर लाना।

अंत में बस इतना ही – PM मोदी की यह अपील सिर्फ एक भाषण नहीं, बल्कि एक आंदोलन बन गई है। और सबसे खुशी की बात? ये बदलाव ऊपर से नहीं, बल्कि नीचे से आ रहा है। बच्चे खुद समझ रहे हैं कि क्या सही है। शायद यही तो है असली परिवर्तन की शुरुआत। है न?

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PM मोदी की Healthy India अपील और स्कूल कैंटीन में हुए बदलाव – जानिए सबकुछ!

क्या आपने भी नोटिस किया है कि अचानक से स्कूल कैंटीन के मेनू से समोसे-चिप्स गायब क्यों हो गए? असल में, ये सब PM मोदी की उस अपील का नतीजा है जिसने पूरे education system को हिला कर रख दिया। लेकिन क्या ये बदलाव सच में कारगर है? चलिए डिटेल में समझते हैं।

1. वो कौन सी अपील थी जिसने स्कूल कैंटीन का नक्शा ही बदल दिया?

देखिए, PM मोदी ने ‘Healthy India’ campaign में एक बहुत सिंपल सी बात कही थी – “बच्चों की टिफिन में पोषण होना चाहिए, केवल स्वाद नहीं।” और भईया, ये बात ऐसी चली कि स्कूल वालों को अपनी कैंटीन्स पर शर्म आने लगी! अब वहां से oily समोसों की जगह ताजे फल और crunchy salads नजर आने लगे हैं। सच कहूं तो, ये बदलाव देखकर मुझे अपने स्कूल टाइम की याद आ गई जब हम लंच में सिर्फ चिप्स खाते थे। काश तब भी ऐसा होता!

2. अब स्कूल कैंटीन में मिलता क्या है? (और क्या बच्चे खा रहे हैं?)

तो अब सीन कुछ यूं है – sprouts वाले sandwiches, colorful fruit chaats, और कुछ जगह तो detox juices तक! है न कमाल की बात? पर सच्चाई ये भी है कि कुछ बच्चे अब भी चुपके से बाहर जाकर चाट खाते देखे गए हैं। इंसान है भई, आदतें एकदम से नहीं बदलतीं। लेकिन अच्छी बात ये है कि 60% स्कूल्स ने अब healthy options introduce कर दिए हैं। एकदम ज़बरदस्त। सच में।

3. पेरेंट्स और टीचर्स क्या कह रहे हैं? (और बच्चे?)

अब यहां दो तरह के reactions हैं। एक तरफ तो पेरेंट्स खुशी से झूम रहे हैं – “आखिरकार बच्चे सही खाना खाएंगे!” वहीं कुछ टीचर्स का कहना है कि बच्चों का ध्यान अब क्लास में ज्यादा है। लेकिन… हमेशा एक लेकिन तो होता ही है न? कुछ बच्चों को ये नया खाना “बोरिंग” लग रहा है। पर ये तो शुरुआत है भई, धीरे-धीरे सब ठीक हो जाएगा।

4. क्या ये पूरे भारत में लागू होगा? या सिर्फ कुछ स्कूलों तक सीमित रहेगा?

सच पूछो तो अभी ये पूरी तरह से compulsory नहीं है। लेकिन देखा जाए तो कुछ states जैसे केरल और महाराष्ट्र तो बहुत seriously इसे ले रहे हैं। वहां तो अब कैंटीन में कोल्ड ड्रिंक्स तक बैन हो चुके हैं! हालांकि, सरकार की तरफ से guidelines जरूर आ चुकी हैं। मेरा मानना है कि अगले 2-3 सालों में ये ट्रेंड पूरे देश में फैल जाएगा। क्या आपको नहीं लगता?

तो ये थी पूरी स्टोरी। अब आप ही बताइए – क्या ये बदलाव सही दिशा में है? या फिर बच्चों की मासूम खुशियाँ (यानी जंक फूड!) छीन ली गई हैं? कमेंट में जरूर बताएं!

Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com

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