फेड पर राजनीतिक दबाव: कनाडा ने क्यों छेड़ा खतरनाक खेल?
अरे भाई, कनाडा वालों ने तो हद ही कर दी! हाल में उनकी सरकार ने Federal Reserve (Fed) पर जो राजनीतिक दबाव डाला, उसने तो पूरी दुनिया के अर्थशास्त्रियों की नींद उड़ा दी। सोचिए – एक देश की सरकार दूसरे देश के central bank को influence करने की कोशिश करे? यह कोई मजाक थोड़े ही है! असल में, यह मामला तब और गरमा गया जब Fed की आज़ादी पर सवाल उठने लगे। और यह सिर्फ अमेरिका की बात नहीं है, पूरी global economy के लिए यह चिंता की बात है।
बैकग्राउंड: जब पॉलिटिक्स और इकोनॉमिक्स की टक्कर हो
देखिए, Federal Reserve दुनिया की सबसे ताकतवर monetary institutions में से एक है। इसके एक फैसले से न जाने कितने देशों की economy हिल जाती है। अब तक तो Fed अपनी independence का डंका पीटता आया है, लेकिन सच यह है कि राजनीतिक दबाव से यह कभी पूरी तरह आज़ाद रहा ही नहीं। पर इस बार तो सीन बिल्कुल अलग है! एक sovereign government सीधे दूसरे देश के central bank पर दखल दे रही है। यह तो वाकई में चिंता की बात है, है न?
क्या-क्या हुआ? पूरा सीन समझिए
जैसे-जैसे details सामने आ रहे हैं, तस्वीर और साफ हो रही है। पहला बड़ा खुलासा – कनाडाई अधिकारियों ने interest rates कम करने के लिए Fed पर दबाव डालने की कोशिश की! क्यों? क्योंकि उनकी export-oriented economy को इससे फायदा होता। दूसरा मज़ेदार पहलू – Fed ने इसको सीधे तौर पर ठुकरा दिया। बिल्कुल साफ कह दिया कि “हम अपनी policy independence नहीं छोड़ेंगे”। और तीसरा सबसे दिलचस्प – IMF और World Bank जैसे बड़े players भी अब इस मामले पर चिंता जता रहे हैं।
रिएक्शन्स: हर कोई अपनी-अपनी राग अलाप रहा
अब इस पर प्रतिक्रियाओं का तांता लग गया है। कनाडा सरकार का कहना है कि यह कोई “दबाव” नहीं था, बस normal dialogue था। हां, अपने national interests को लेकर थोड़ा ज़ोर ज़रूर दिया! वहीं दूसरी तरफ, मशहूर अर्थशास्त्री डॉ. राजीव मेहरा ने तो इसे “खतरनाक precedent” बताकर alarm बजा दिया है। उनका कहना है कि अगर central banks की independence खत्म हुई तो global economy का क्या होगा? और तो और, कनाडा के opposition leaders ने तो सरकार को खुली चुनौती दे डाली है।
आगे क्या? कुछ साफ नहीं!
अब सवाल यह है कि आगे क्या होगा? क्या Fed अपनी policies में इस घटना का असर दिखाएगा? ज्यादातर experts का मानना है कि Fed अपनी autonomy बनाए रखेगी, लेकिन Canada-U.S. relations पर यह ज़रूर दाग लगा गया है। और सबसे बड़ा सवाल – क्या international financial institutions अब नए guidelines लाएंगे? एक बात तो तय है – global economy के इस नाज़ुक दौर में यह घटना किसी red signal से कम नहीं है।
ईमानदारी से कहूं तो, इस पूरे मामले ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में राजनीतिक हस्तक्षेप का खेल बहुत खतरनाक हो सकता है। अब देखना यह है कि दुनिया इससे सीखती है या फिर हमें ऐसे और episodes देखने को मिलेंगे। आपको क्या लगता है?
Source: Financial Times – Global Economy | Secondary News Source: Pulsivic.com