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“देवेगौड़ा के पोते प्रज्वल रेवन्ना को रेप केस में आजीवन कारावास – जानें पूरा मामला और SIT की जांच”

देवेगौड़ा के पोते प्रज्वल रेवन्ना को रेप केस में आजीवन कारावास – क्या ये सच में ‘बड़े आदमी’ के लिए भी न्याय है?

अरे भाई, आज तो बेंगलुरु की एक अदालत ने ऐसा फैसला सुनाया कि पूरे देश के टीवी चैनलों पर ब्रेकिंग न्यूज चल रही है। पूर्व PM एचडी देवेगौड़ा के पोते और कांग्रेस के पूर्व सांसद प्रज्वल रेवन्ना को एक रेप केस में आजीवन कारावास! साथ ही 5 लाख का जुर्माना भी। ये 2017 का वही मामला है जब एक महिला ने उन पर यौन शोषण के गंभीर आरोप लगाए थे। सच कहूं तो, ऐसे मामलों में अक्सर ताकतवर लोग बच निकलते हैं… लेकिन आज का फैसला थोड़ी उम्मीद जगाता है।

पूरा किस्सा: कैसे पहुंचा मामला अदालत तक?

देखिए, कहानी 2017 से शुरू होती है। एक महिला ने दावा किया कि प्रज्वल ने उसे नौकरी का लालच देकर शोषण किया। अब यहां दिलचस्प बात ये है कि आरोपी कोई आम आदमी नहीं, बल्कि देश के पूर्व PM का पोता है! तो सोचिए, कितनी मुश्किल रही होगी पीड़िता के लिए। खैर, कर्नाटक सरकार ने SIT बनाई, जांच हुई और आखिरकार आज ये फैसला आया।

मीडिया में तो ये केस गर्मा-गर्म चला ही, लेकिन असली सवाल ये है – क्या हमारे समाज में ऐसे मामलों को लेकर सच में संवेदनशीलता बढ़ी है? या फिर ये सिर्फ एक ‘हाई-प्रोफाइल केस’ होने की वजह से इतना चर्चा में रहा?

अदालत ने क्या कहा? सुनिए…

आज जब जज साहब ने फैसला सुनाया, तो कुछ अहम बातें सामने आईं। पहली तो ये कि SIT की जांच को खूब सराहा गया। दूसरा, सजा के साथ-साथ 5 लाख का जुर्माना जो पीड़िता को मिलेगा। और सबसे बड़ी बात – फैसला सुनते ही प्रज्वल को हिरासत में ले लिया गया। अब ये तो वक्त ही बताएगा कि आगे क्या होता है, लेकिन आज का दिन निश्चित तौर पर भारतीय न्याय प्रणाली के इतिहास में दर्ज हो गया।

किसने क्या कहा? राजनीति से लेकर सोशल एक्टिविस्ट तक

पीड़िता की तरफ से वकीलों ने तो इसे ‘न्याय की जीत’ बताया ही। लेकिन मजेदार बात ये है कि राजनीतिक दलों की प्रतिक्रियाएं देखिए – कांग्रेस ने कहा “हम कानून का सम्मान करते हैं” (जबकि आरोपी उनका ही नेता है!), और भाजपा ने इसे न्यायपालिका की ताकत बताया। सच कहूं तो, दोनों ही पार्टियां इस मौके का राजनीतिक फायदा उठाने से नहीं चूकीं।

वहीं महिला संगठनों का कहना है कि ये फैसला दूसरी पीड़िताओं के लिए एक उम्मीद की किरण है। पर सवाल ये भी है – क्या सच में ऐसे हर मामले में न्याय मिल पाएगा? या फिर ये सिर्फ एक ‘स्टेटस सिंबल’ केस बनकर रह जाएगा?

अब क्या? आगे की राह…

अब तो नजरें हाई कोर्ट पर हैं, क्योंकि प्रज्वल वहां अपील कर सकते हैं। कानूनी दांव-पेंच तो चलेंगे ही, लेकिन कर्नाटक की राजनीति पर इसका क्या असर पड़ेगा? खासकर जब विधानसभा चुनाव नजदीक हैं।

एक तरफ तो ये फैसला साबित करता है कि कानून सबके लिए एक समान है… लेकिन दूसरी तरफ, क्या हमारे समाज में ऐसे हर मामले में इंसाफ मिल पाता है? शायद नहीं। फिर भी, आज का दिन याद रखा जाएगा – जब एक ताकतवर परिवार का व्यक्ति भी कानून के सामने झुका। बस, अब देखना ये है कि ये कहानी आगे किस मोड़ पर जाती है।

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Source: NDTV Khabar – Latest | Secondary News Source: Pulsivic.com

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