बिहार में फिर से राष्ट्रपति शासन? सच क्या है और क्या हो सकता है?
अरे भई, बिहार की राजनीति तो इन दिनों गर्मा गई है न! जैसे ही राजद के पप्पू यादव ने नीतीश सरकार पर कानून-व्यवस्था फेल होने का आरोप लगाया, सबके मन में वही पुराना सवाल कौंध गया – क्या इस बार भी राष्ट्रपति शासन लगेगा? सच कहूं तो हालात बिल्कुल ठीक नहीं लग रहे। पिछले कुछ महीनों से हत्याएं, अपहरण, गैंगवार… जैसे किसी गैंगस्टर मूवी का सीन चल रहा हो। लेकिन सवाल यह है कि क्या सिर्फ हिंसा बढ़ने से ही केंद्र सरकार अनुच्छेद 356 लगा देगी? चलो, समझते हैं पूरा मामला।
बिहार और राष्ट्रपति शासन: एक पुराना रिश्ता
देखिए, बिग बी के राज्य को राष्ट्रपति शासन का कोई नया अनुभव नहीं है। 1968, 1972, 1995… यार यह तो जैसे हर दशक में होता रहता है! मजे की बात यह कि 2005 में भी यही हुआ था। Constitution के मुताबिक तो सरकार फेल होने पर केंद्र यह कदम उठा सकता है। पर अभी? नीतीश के पास तो पूरा बहुमत है। ऐसे में केंद्र के लिए यह फैसला आसान नहीं होगा। खासकर जब Supreme Court ने बोम्मई केस में साफ कह दिया था कि बिना मजबूत वजह के elected सरकार को हटाया नहीं जा सकता।
राजनीति का खेल: कौन क्या बोल रहा?
अब जरा नेताओं के बयानों पर नजर डालते हैं। पप्पू यादव तो बिल्कुल फिल्मी स्टाइल में बोल रहे हैं – “अराजकता फैल चुकी है, निर्दोष मर रहे हैं!” वहीं सरकार वालों का कहना है कि पुलिस पूरी ताकत से काम कर रही है। BJP? वो तो हमेशा की तरह safe खेल रही है। उनका कहना है कि “अगर सरकार फेल हो रही है तो केंद्र को कदम उठाना चाहिए।” मतलब साफ है – दोनों तरफ से राजनीति चल रही है। असली सवाल यह है कि जनता का क्या?
अब आगे क्या? कुछ संभावित सीनारियो
तो अब क्या हो सकता है? केंद्र के पास कुछ ऑप्शन्स हैं:
1. पहले तो बिहार सरकार से रिपोर्ट मांग सकते हैं। अगर रिपोर्ट खराब आई तो…?
2. फिर Article 356 का रास्ता खुल सकता है। पर फिर से याद दिला दूं – नीतीश के पास बहुमत है।
3. सबसे likely सीनारियो? शायद कुछ न हो। क्योंकि राजनीति में अक्सर status quo ही जीतता है।
एक बात तो तय है – अगर हालात नहीं सुधरे तो विपक्ष इस मुद्दे को और उछालेगा। और फिर…? वही पुराना गाना – बिहार में फिर से राजनीतिक उठापटक!
आखिरी बात: क्या होगा अगला मूव?
ईमानदारी से कहूं तो अभी कुछ भी कहना मुश्किल है। केंद्र चुप है, नीतीश सरकार दावा कर रही है कि स्थिति संभल रही है। पर ground reality क्या कहती है? वही जो अखबारों में हेडलाइन्स बन रही है। मेरा personal analysis? जब तक सरकार में बहुमत है, राष्ट्रपति शासन की संभावना कम ही है। लेकिन यह बिहार है दोस्त… यहां कुछ भी हो सकता है! आपको क्या लगता है? कमेंट में बताइएगा जरूर।
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बिहार में राष्ट्रपति शासन की बात चल रही है, और सच कहूँ तो ये कोई नई बात नहीं है। राज्य की राजनीति तो हमेशा से ही उथल-पुथल भरी रही है – आपको याद होगा पिछले कुछ सालों का इतिहास। लेकिन असल सवाल ये है कि क्या इस बार सच में ऐसा होगा? देखिए, सरकार और विपक्ष दोनों ही अपनी-अपनी चालें चल रहे हैं, और यही तय करेगा कि आगे क्या होता है।
एक तरफ तो political analysts इस पर नजर गड़ाए बैठे हैं, वहीं आम जनता के लिए ये फिर से एक मुश्किल वक्त ला सकता है। सच बात तो ये है कि बिहार की जनता ने ऐसे हालात पहले भी देखे हैं… पर क्या वो एक बार फिर इसी दौर से गुजरने को तैयार है? बड़ा सवाल है।
(Note: I’ve preserved the original HTML `
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Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com