पुणे पोर्श एक्सीडेंट: कल आ सकता है बड़ा फैसला! जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड की सुनवाई आज

पुणे पोर्श हादसा: क्या आज मिलेगा इंसाफ? JJB का फैसला सुनने को बेताब पूरा देश!

अरे भाई, पुणे का वो पोर्श वाला केस तो आपने भी देखा होगा – जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। 19 मई की रात, नशे में धुत एक 17 साल के बच्चे ने पोर्श उड़ाते हुए दो मासूम जिंदगियों को खत्म कर दिया। और सबसे हैरानी की बात? JJB ने महज 14 घंटे में ही आरोपी को बेल दे दी! सच कहूं तो ये फैसला सुनकर मेरा भी दिमाग चकरा गया। आज फिर सुनवाई है, और पूरा देश बस यही जानना चाहता है – क्या इस बार न्याय मिलेगा?

क्या हुआ था उस रात?

कहानी शुरू होती है कालेवाड़ी से – पुणे का वो इलाका जहां रात के अंधेरे में एक पोर्श कार ने दो बाइक सवार युवाओं (आशीष और अनवर) को रौंद डाला। मरने वालों की उम्र भी क्या थी – बस 20-22 साल! और आरोपी? real estate के बड़े सेठ का बेटा। अब आप ही बताइए, क्या ये सिर्फ एक accident था या फिर पैसे और ताकत का खेल?

पुलिस ने पहले तो साधारण सी धारा 304A लगाई, मानो कोई छोटी-मोटी लापरवाही हो। लेकिन जब blood alcohol report आई तो पता चला – ड्राइवर तो नशे में था ही! तभी धारा 185 भी जुड़ गई। पर JJB का पहला फैसला? सुनकर लगा जैसे मजाक बना दिया हो – 100 शब्द का निबंध, थोड़ी सी community service और बस! क्या यही सजा है दो जिंदगियों की कीमत?

अब तक क्या-क्या हुआ?

पिछले कुछ दिनों में तो मामला और गरमाया है। सोशल मीडिया पर #JusticeForAshishAnwar ट्रेंड कर रहा है, लोग सड़कों पर उतर आए हैं। पुलिस अब कुछ सख्त कदम उठाने की सोच रही है। आज की सुनवाई में बड़ा सवाल यही है – क्या इस नाबालिग को वयस्कों वाले कानून के तहत ट्रायल होगा?

पीड़ित परिवारों का दर्द देखकर तो दिल दहल जाता है। आशीष के पिता का वो बयान – “हमारा बेटा चला गया, और हत्यारा सिर्फ 17 साल का होने के कारण बच जाएगा?” – सुनकर किसका दिल नहीं दुखेगा? कानून के जानकार भी कह रहे हैं कि अगर जानबूझकर लापरवाही साबित होती है तो आरोपी को वयस्क मानकर सजा मिलनी चाहिए।

राजनीति और समाज पर क्या असर?

राजनीतिक दलों ने तो इस मौके को हाथों-हाथ ले लिया है। विपक्ष वालों का कहना है – “अमीरों के लिए अलग कानून चलता है!” कुछ तो जुवेनाइल जस्टिस एक्ट में बदलाव की मांग करने लगे हैं।

असल में ये केस सिर्फ एक हादसा नहीं, एक टर्निंग पॉइंट बन सकता है। अगर JJB आरोपी को वयस्क मानने का फैसला करता है, तो ये भारत के जुवेनाइल जस्टिस सिस्टम में एक बड़ा भूचाल ला देगा। कानूनविद् कह रहे हैं कि इसके बाद नाबालिग अपराधियों के खिलाफ सख्त कानून बनाने की मांग तेज होगी।

समाज पर भी इसका गहरा असर पड़ेगा। सवाल उठ रहे हैं – क्या पैसा और ताकत कानून से ऊपर है? क्या युवाओं को जिम्मेदारी की समझ नहीं होनी चाहिए? आज का फैसला न सिर्फ इस केस में इंसाफ तय करेगा, बल्कि आने वाले वक्त में ऐसे मामलों के लिए एक मिसाल भी कायम करेगा। सच कहूं तो, पूरा देश बस यही देखना चाहता है – क्या इस बार न्याय की जीत होगी?

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1. आज केस में क्या होगा? क्या कोई बड़ा फैसला आएगा?

देखिए, आज JJB की सुनवाई है और सभी की नज़रें इस पर टिकी हैं। सच कहूं तो, ये केस इतना सेंसेटिव है कि आज कुछ भी हो सकता है। अंडरएज ड्राइवर और उसके माता-पिता के खिलाफ क्या एक्शन लिया जाता है – यही तो सबसे बड़ा सवाल है। लेकिन इतना तय है कि आज कुछ न कुछ बड़ा ज़रूर होगा।

2. JJB का रोल क्या है? ये बोर्ड असल में करता क्या है?

असल में बात ये है कि JJB का मुख्य काम नाबालिगों के मामलों को हैंडल करना होता है। यानी अगर आरोपी 18 साल से छोटा है, तो उसकी सुनवाई यहीं होती है। अब सवाल ये उठता है कि JJB क्या फैसला लेगा? क्या सजा देगा? या फिर rehabilitation का कोई रास्ता निकालेगा? बात समझ आई न?

3. क्या सच में नाबालिग को जेल हो सकती है? या सिर्फ डराने की बातें हैं?

ईमानदारी से कहूं तो, कानून के मुताबिक 18 साल से कम उम्र के बच्चे को जेल नहीं भेजा जा सकता। Maximum 3 साल की सजा हो सकती है, लेकिन वो भी किसी correctional home में। पर इस केस में तो हालात बिल्कुल अलग हैं। JJB शायद कोई सख्त फैसला ले – क्योंकि जनता का गुस्सा भी तो देखना होता है न!

4. पीड़ित परिवार को न्याय कैसे मिलेगा? Compensation का क्या होगा?

यहां दो चीज़ें हैं – पहला तो Motor Vehicles Act के तहत compensation मिलेगा। लेकिन असली मामला तो car owner यानी लड़के के parents के खिलाफ है। सोचिए, आप अपनी गाड़ी किसी नाबालिग को देंगे? तो जाहिर है, parents पर भी केस चलेगा। Compensation तो मिलेगा ही, पर क्या वो दो जिंदगियों की कीमत चुका पाएगा? ये सवाल तो हमेशा रह जाएगा।

Source: NDTV Khabar – Latest | Secondary News Source: Pulsivic.com

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