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पुरी रथ यात्रा भगदड़: DCP समेत 2 अफसर सस्पेंड, DM-SP हटाए गए, ओडिशा सरकार का बड़ा एक्शन

पुरी रथ यात्रा भगदड़: DCP समेत 2 अफसर सस्पेंड, DM-SP हटाए गए… ओडिशा सरकार ने लिया एक्शन!

अरे भाई, ओडिशा के पुरी में जो हुआ वो सच में दिल दहला देने वाला है। जगन्नाथ रथ यात्रा, जो इतनी पवित्र मानी जाती है, उसी में तीन बेकसूर लोगों की जान चली गई? और 50 से ज्यादा घायल? सच कहूं तो ये खबर पढ़कर रोंगटे खड़े हो गए। सरकार ने तुरंत एक्शन लेते हुए पुरी के DCP को सस्पेंड कर दिया, साथ ही DM और SP को भी हटा दिया। लेकिन सवाल यह है कि क्या ये कार्रवाई काफी है? बड़े आयोजनों में भीड़ कंट्रोल करना आखिर इतना मुश्किल क्यों होता है?

क्या हुआ था असल में? भगदड़ की पूरी कहानी

देखिए, पुरी की रथ यात्रा तो हर साल होती है – भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के रथ खींचने की ये परंपरा सदियों पुरानी है। इस बार भी भक्तों का सैलाब उमड़ा, लेकिन गुंडिचा मंदिर के आसपास की तंग गलियों में अचानक क्या हुआ कि भगदड़ मच गई। स्थानीय लोग बताते हैं कि वहां पुलिस की तैनाती ठीक नहीं थी, न ही बैरिकेड्स की कोई ठोस व्यवस्था। हैरानी की बात ये कि विशेषज्ञ सालों से चेतावनी दे रहे थे, लेकिन अफसरों ने कान पर जूं तक नहीं रेंगने दी। क्या ये लापरवाही नहीं तो और क्या है?

सरकार ने क्या कदम उठाए? मुआवजे से लेकर अफसरों की बर्खास्तगी तक

अब सरकार की बात करें तो उन्होंने DCP सर्वेश कुमार झा समेत दो अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया। DM और SP को तो बेइज्ज़ती के साथ हटा दिया गया – एकदम सीधा एक्शन! मुख्यमंत्री माझी ने मृतकों के परिवारों को 25 लाख रुपये देने का ऐलान किया है। घायलों को भी 1 लाख से 50 हज़ार तक का मुआवजा मिलेगा। पर सच पूछो तो… क्या पैसा किसी की जिंदगी की भरपाई कर सकता है? एक जांच कमेटी भी बनाई गई है जो पूरे मामले की जांच करेगी। लेकिन याद रखिए, हमारे यहां जांचें अक्सर फाइलों में ही दफन हो जाती हैं।

राजनीति गरमाई… लेकिन पीड़ितों का दर्द कौन समझे?

अब जैसा कि होता आया है, राजनीति शुरू हो गई है। मुख्यमंत्री ने इसे “दुर्भाग्यपूर्ण” बताया तो विपक्ष सरकार पर निशाना साध रहा है। एक स्थानीय नेता का बयान तो सुनिए – “प्रशासन को पता था कि भीड़ ज्यादा होगी, फिर भी कोई तैयारी नहीं!” लेकिन असली दर्द तो उन परिवारों का है जिन्होंने अपनों को खोया। एक शोकसंतप्त व्यक्ति की बात सुनकर तो आंखें नम हो जाती हैं – “मुआवजे से क्या होगा? मेरा बेटा तो चला गया…” सच कहूं तो ये वो दर्द है जिसका कोई मुआवजा नहीं।

आगे क्या? टेक्नोलॉजी और बेहतर प्लानिंग ही समाधान

अब सबकी नजरें जांच रिपोर्ट पर हैं। पर सच तो ये है कि रिपोर्ट से ज्यादा जरूरी है कि आगे ऐसा न हो। विशेषज्ञों का कहना है कि real-time crowd monitoring सिस्टम लगाना होगा। मतलब technology का इस्तेमाल करके भीड़ पर नजर रखनी होगी। और हां, उन तंग गलियों में entry-exit points को बेहतर तरीके से मैनेज करना होगा। राजनीतिक तौर पर तो ये सरकार के लिए बड़ी चुनौती बन सकता है, खासकर जब चुनाव नजदीक हों।

आखिर में बस इतना कहूंगा – ये घटना हमें एक बार फिर याद दिलाती है कि सुरक्षा और भीड़ प्रबंधन को हल्के में लेना कितना भारी पड़ सकता है। सरकार ने तुरंत एक्शन लेकर अच्छा संदेश दिया है, लेकिन असली परीक्षा तो भविष्य में ऐसी त्रासदियों को रोकने में है। क्या हम सच में कुछ सीख पाएंगे? वक्त ही बताएगा।

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Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com

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