पूर्णिया में SIR के बाद 2.73 लाख वोटर्स गायब! क्या है पूरा माजरा?
अरे भई, बिहार के पूर्णिया जिले में तो राजनीतिक भूचाल आ गया है! निर्वाचन आयोग ने अपने SIR (Special Intensive Revision) के बाद जो किया, उसने सबको चौंका दिया – 2.73 लाख से ज्यादा नाम वोटर लिस्ट से काट दिए गए। यानी पूर्णिया के कुल वोटर्स का लगभग 12% हिस्सा। अब तो समझिए, राजनीतिक दफ्तरों में क्या-क्या हो रहा होगा!
SIR हुआ क्यों? असली वजह जानते हैं?
देखिए, SIR यानी खास जाँच-पड़ताल। मतलब, वोटर लिस्ट से फर्जी, डुप्लीकेट और गैर-जरूरी नामों को हटाना। और पूर्णिया जैसे संवेदनशील इलाके में, जहाँ 40% से ज्यादा मुस्लिम आबादी है, ये मामला और भी गरमा गया है।
असल में, पिछले कुछ सालों से यहाँ वोटर लिस्ट में कितनी गड़बड़ियाँ चल रही थीं – एक आदमी के कई नाम, मर चुके लोगों के नाम, ऐसे पते जो कभी थे ही नहीं… है न हैरानी वाली बात?
एक अधिकारी ने तो बताया, “भई, कुछ केस तो ऐसे थे जहाँ एक ही फोटो वाले कई वोटर ID मिले!” इसीलिए इस बार डिजिटल टेक्नोलॉजी और ग्राउंड लेवल चेकिंग का डबल अटैक किया गया।
कितने नाम कटे? असली आँकड़े जानकर चौंक जाएंगे
अब पूर्णिया में सिर्फ 19.94 लाख वोटर बचे हैं, जबकि पहले 22.68 लाख थे। यानी लगभग 3 लाख का फर्क! इनमें से:
- 1.12 लाख – डुप्लीकेट एंट्री (एक ही आदमी के कई नाम)
- 83,000 – फर्जी या ‘हवा-हवाई’ वोटर
- 78,000 – जिनका तो स्वर्गवास हो चुका था!
सबसे ज्यादा असर पूर्णिया शहर, बनमनखी, कासबा, रूपौली और धमदाह विधानसभा क्षेत्रों पर पड़ा है। और यहाँ तो और भी मजेदार बात – इनमें से तीन क्षेत्रों में 50% से ज्यादा अल्पसंख्यक वोटर हैं। अब समझिए मामले की नाजुकता!
राजनीति गरमाई: कौन क्या बोला?
अब तो बिहार की राजनीति में तूफान आ गया है। RJD वाले तो बिल्कुल गरमा गए – “ये सरकार की साजिश है अल्पसंख्यक वोटर्स को हटाने की!” कांग्रेस ने भी निशाना साधा – “लोकतंत्र पर हमला!”
वहीं BJP और JDU की तारीफों के पुल बँधे हुए हैं – “शाबाशी दो निर्वाचन आयोग को!” BJP के एक नेता ने तो बड़ी पटाखा वाली लाइन मारी – “फर्जी वोटर हटाना हमारा फर्ज़ था।”
सच कहूँ तो, ये सब सुनकर लगता है 2025 के चुनाव की गरमाहट पहले ही शुरू हो गई है!
अगर आपका नाम कट गया तो? पैनिक नहीं, ये करें
अच्छी खबर ये है कि अगर किसी का नाम गलती से हट गया है, तो 1 जुलाई 2023 तक वो इसे दोबारा जुड़वा सकता है। कैसे? बस ये तीन आसान तरीके:
- निर्वाचन आयोग की official website पर जाकर ऑनलाइन फॉर्म भरें
- अपने इलाके के BLO (बूथ लेवल अधिकारी) से मिलें
- सीधे जिला निर्वाचन अधिकारी के ऑफिस चले जाएँ
कुछ सामाजिक संगठनों ने तो गाँव-गाँव जाकर लोगों को जागरूक करना शुरू कर दिया है। एक एक्टिविस्ट ने बताया, “हम लोगों को बता रहे हैं कि उनके voting rights का क्या करें।”
2025 के चुनाव से पहले ये मामला बिहार की राजनीति को नया मोड़ दे सकता है। क्या पता, पूर्णिया का ये तूफान पूरे बिहार को हिला दे! क्या कहते हैं आप?
Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com