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पुतिन ने ब्रह्मोस मिसाइल बनाने में की थी मदद! चीन ने क्यों किया था विरोध? जानें पूरा सच

पुतिन ने ब्रह्मोस मिसाइल बनाने में मदद की थी! चीन को क्यों खटकी यह बात? असली वजह जानकर हैरान रह जाएंगे

शुरुआत

अगर भारत की सेना के दांतों में दम है तो वो है ब्रह्मोस मिसाइल। ये सिर्फ एक मिसाइल नहीं, बल्कि हमारी ताकत का प्रतीक है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसे बनाने में खुद पुतिन ने मदद की थी? और चीन को ये बात इतनी क्यों नागवार गुजरी? आज हम इसी की पूरी कहानी जानेंगे।

ब्रह्मोस मिसाइल: जानिए इसके बारे में सबकुछ

ये है खासियत

ब्रह्मोस दुनिया की सबसे तेज क्रूज मिसाइल्स में से एक है। इसे भारत और रूस ने मिलकर बनाया है। नाम भी दोनों देशों की नदियों – ब्रह्मपुत्र और मोस्कवा से लिया गया है। सच कहें तो ये मिसाइल हमारे देश का गर्व है।

क्यों है खास?

  • रफ्तार: ये मच 3 तक की स्पीड से उड़ सकती है – यानी आवाज से भी तेज!
  • दम: 400 किमी तक मार कर सकती है
  • लचीलापन: जमीन, समुद्र या हवा – कहीं से भी लॉन्च की जा सकती है

पुतिन का रोल: कैसे मिली रूस से मदद?

दोस्ती की मिसाल

1998 की बात है। भारत और रूस ने एक डील साइन की। पुतिन के समय में रूस ने हमें मिसाइल टेक्नोलॉजी दी। साथ ही पैसे और एक्सपर्ट्स की भी मदद मिली। ये वो दौर था जब हमारे लिए ऐसी टेक्नोलॉजी हासिल करना बहुत मुश्किल था।

क्यों था ये सपोर्ट अहम?

रूस की कंपनी NPO Mashinostroyeniya ने बड़ी भूमिका निभाई। पुतिन के बैकअप से ही हम सुपरसोनिक मिसाइल बना पाए। असल में ये दोनों देशों की दोस्ती का सबूत है।

चीन की बदहजमी: आखिर क्यों?

क्या थी चीन की टेंशन?

चीन को लगा कि ब्रह्मोस उसके लिए खतरा बन सकती है। दरअसल, ये मिसाइल चीन की सीमा तक आसानी से पहुंच सकती है। भारत-रूस की ये जोड़ी चीन को रास नहीं आई।

चीन ने क्या किया?

चीन ने UN में शोर मचाया, लेकिन भारत ने साफ कह दिया कि ये हमारा सुरक्षा का अधिकार है। दूसरे देशों ने भी इसे भारत की बढ़ती ताकत के तौर पर देखा।

डॉ. शिवथानु पिल्लई: ब्रह्मोस के असली हीरो

कौन थे ये शख्स?

डॉ. पिल्लई ब्रह्मोस प्रोजेक्ट के दिमाग थे। उन्होंने ही इस मिसाइल को सच्चाई में बदला। वो न सिर्फ एक बेहतरीन साइंटिस्ट थे, बल्कि एक विजनरी लीडर भी थे।

उनकी विरासत

अग्नि मिसाइल से लेकर कई और प्रोजेक्ट्स में उनका योगदान रहा। उन्होंने भारत को डिफेंस में आत्मनिर्भर बनाने का सपना देखा था।

आखिरी बात

ब्रह्मोस सिर्फ एक मिसाइल नहीं, बल्कि भारत-रूस दोस्ती की निशानी है। चीन का विरोध तो हमारी ताकत का सबूत है। और डॉ. पिल्लई जैसे वैज्ञानिकों को हमेशा याद रखा जाएगा।

FAQs: वो सवाल जो अक्सर पूछे जाते हैं

Q1. ब्रह्मोस कितनी दूर तक मार कर सकती है?

इसकी रेंज 400 किमी तक है। नए वर्जन में ये और बढ़ सकती है।

Q2. क्या ये न्यूक्लियर वेपन ले जा सकती है?

हां, ये परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है।

Q3. क्या चीन के पास ऐसी कोई मिसाइल है?

चीन के पास DF सीरीज की मिसाइलें हैं, लेकिन ब्रह्मोस जैसी सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल नहीं है।

Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com

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