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“पुतिन का भारत दौरा: ICC वारंट के बावजूद क्यों नहीं होगी गिरफ्तारी? जानें पूरा सच!”

पुतिन का भारत दौरा: ICC वारंट के बावजूद गिरफ्तारी क्यों नहीं? असली वजह जानकर हैरान रह जाएंगे!

अभी कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर एक बात खूब ट्रेंड कर रही है – व्लादिमिर पुतिन का आने वाला भारत दौरा। सामान्य हालात में तो ये कोई बड़ी बात नहीं होती, लेकिन इस बार बात ही कुछ और है। असल में, ICC ने पुतिन के खिलाफ वारंट जारी किया है, फिर भी भारत उन्हें गिरफ्तार नहीं करेगा। अब सवाल यह है कि आखिर ऐसा क्यों? तो चलिए, इस पूरे मामले को गहराई से समझते हैं।

ICC वारंट और भारत का स्टैंड – क्या है कनेक्शन?

ये सारा ड्रामा तो मार्च 2023 में शुरू हुआ था, जब ICC ने यूक्रेन मामले में पुतिन के खिलाफ वारंट काट दिया। वैसे तो पश्चिमी देशों को ये बहुत जंच गया, लेकिन भारत के लिए ये इतना आसान नहीं। देखिए न, भारत ने 1998 में रोम संविधि पर साइन तो कर दिए थे, पर ICC का मेंबर बना ही नहीं। मतलब साफ है – हम पर ICC के फैसले मानने की कोई बाध्यता नहीं। सीधी सी बात है न?

और भी बात है – रूस के साथ हमारे रिश्ते तो दशकों पुराने हैं। चाहे डिफेंस डील हो या UN में सपोर्ट, रूस हमेशा हमारा साथ देता आया है। ऐसे में पुतिन को गिरफ्तार करने की बात सोचना भी बेमानी है। कुछ लोगों को ये गलत लग सकता है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय राजनीति में रिश्ते और हित ही सब कुछ तय करते हैं।

क्या है प्लान? दौरे को लेकर लेटेस्ट अपडेट

अभी तक तो आधिकारिक तौर पर तारीख की घोषणा नहीं हुई, लेकिन सूत्रों की मानें तो दिसंबर 2023 में पुतिन भारत आ सकते हैं। और हाँ, भारत सरकार ने अपना स्टैंड क्लियर कर दिया है – पूरे राजनयिक सम्मान के साथ स्वागत होगा, कोई गिरफ्तारी नहीं। कुछ देशों ने दबाव बनाने की कोशिश भी की, पर हमारे विदेश मंत्रालय ने साफ कह दिया – “हम अपने नियमों से चलेंगे।” एकदम स्टाइलिश रिप्लाई, है न?

किसका क्या है रिएक्शन?

रूस तो पहले ही ICC के वारंट को ‘बेबुनियाद’ बता चुका है। उनका कहना है कि ये पूरा मामला पश्चिमी देशों की साजिश है। वहीं भारत ने भी अपनी पोजीशन क्लियर कर दी है – “हमारे फैसले हमारे राष्ट्रीय हितों के अनुसार होंगे।” कुछ यूरोपियन देशों ने नैतिकता का राग अलापने की कोशिश की, लेकिन नई दिल्ली ने उनकी एक न सुनी। सच कहूँ तो, ये पूरा मामला दिखाता है कि भारत अब किसी के दबाव में नहीं आने वाला।

आगे क्या? भविष्य की संभावनाएं

एक्सपर्ट्स की मानें तो ये दौरा भारत-रूस रिलेशन को नई एनर्जी दे सकता है। डिफेंस और एनर्जी सेक्टर में बड़े डील हो सकते हैं। हालाँकि, ICC और वेस्टर्न देश अपना प्रेशर जारी रख सकते हैं। पर एक बात तय है – ये मामला इंटरनेशनल लॉ और डिप्लोमेटिक इम्यूनिटी पर बहस को और गहरा कर देगा।

तो दोस्तों, निष्कर्ष ये कि पुतिन का ये दौरा सिर्फ एक डिप्लोमेटिक इवेंट नहीं, बल्कि भारत की स्वतंत्र विदेश नीति का प्रतीक है। ये साबित करता है कि हम अब किसी के इशारे पर नहीं नाचते। ICC वारंट हो या कोई और दबाव, भारत अपने हितों को सबसे ऊपर रखेगा – ये बात तो अब पक्की हो चुकी है। क्या आपको नहीं लगता?

पुतिन का भारत दौरा: ICC वारंट के बावजूद गिरफ्तारी क्यों नहीं? – सवाल-जवाब

1. ICC वारंट क्या है और यह पुतिन पर क्यों जारी किया गया?

देखिए, ICC यानी International Criminal Court का वारंट कोई आम कागज नहीं है। यह तो वैसा ही है जैसे कोई इंटरनेशनल पुलिस वारंट हो, लेकिन सिर्फ सीरियस अपराधों के लिए। अब सवाल यह है कि पुतिन पर क्यों? तो बात यूक्रेन में चल रहे युद्ध की है। ICC का मानना है कि वहाँ war crimes हुए हैं, और पुतिन इसके लिए जिम्मेदार हैं। सच कहूँ तो, यह पूरा मामला काफी पेचीदा है।

2. क्या भारत ICC का सदस्य है? अगर नहीं, तो क्या इसका मतलब है कि पुतिन को गिरफ्तार नहीं किया जाएगा?

अरे नहीं भाई! भारत ICC का मेंबर ही नहीं है। तो फिर सवाल यह उठता है कि क्या हमें उनके वारंट को फॉलो करना चाहिए? जवाब है – नहीं। यह ऐसा ही है जैसे आपके सोसाइटी के रूल्स आप पर लागू नहीं होते अगर आप उसके मेंबर नहीं हैं। सीधी सी बात – पुतिन यहाँ आएँगे, घूमेंगे-फिरेंगे, और बिना किसी टेंशन के वापस चले जाएँगे।

3. क्या पुतिन के भारत आने से भारत-रूस संबंधों पर कोई असर पड़ेगा?

असल में देखा जाए तो इससे रिश्ते और भी मजबूत होने की उम्मीद है। सालों से हमारे देश का रूस के साथ खास रिश्ता रहा है – चाहे defense का मामला हो या फिर energy का। पुतिन का यह दौरा तो एक तरह से दोस्ती को और गहरा करने का मौका है। हालाँकि, कुछ लोगों को यह सही नहीं लग रहा, लेकिन यहाँ राजनीति हमेशा से practical रही है, ना?

4. क्या अन्य देशों ने भी ICC वारंट को नजरअंदाज किया है?

बिल्कुल! हम अकेले नहीं हैं। चीन हो या सऊदी अरब – ICC के नॉन-मेंबर देशों ने पुतिन का स्वागत किया है। और सच पूछो तो, यह कोई नई बात भी नहीं है। अंतरराष्ट्रीय राजनीति में हर देश अपने हितों को पहले रखता है। एकदम सिंपल सी बात है।

Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com

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