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पुतिन से पंगा लेना मौत के मुंह में जाना! ओडिशा में 3 रशियन्स का रहस्यमयी खात्मा, केजीबी का भारत में खतरनाक गेम

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पुतिन से पंगा लेना मौत को दावत देना है? ओडिशा में 3 रशियन्स की हुई रहस्यमयी मौत!

अरे भाई, ओडिशा में तीन रशियन्स की मौत ने तो हलचल मचा दी है! ये सिर्फ एक crime case नहीं, बल्कि भारत-रूस के उन पुराने रिश्तों पर सवाल खड़ा कर देने वाली घटना है। और सबसे दिलचस्प बात? ये सब उस वक्त हो रहा है जब दोनों देश defense deals को लेकर गले तक मिले हुए हैं। सुरक्षा एजेंसियों के कान खड़े हो गए हैं – कहीं इसके पीछे KGB का हाथ तो नहीं? अगर ये सच निकला तो… बस सोचिए, हमारी सुरक्षा के लिए क्या मतलब होगा!

इतिहास के पन्ने पलटें: भारत-रूस का ‘स्पेशल’ कनेक्शन

देखिए न, हम और रूस का रिश्ता वैसा ही है जैसे राजा-भिखारी वाली दोस्ती – एक को हथियार चाहिए, दूसरे को पैसा! सालों से रूस हमें advanced military equipment देता आया है। पर पुतिन के आने के बाद से रूस का attitude थोड़ा… खैर, आप समझ ही रहे होंगे। वो अपने फायदे के लिए कुछ भी कर सकता है। और अब जब हम अमेरिका-यूरोप के साथ भी गप्पे मार रहे हैं, तो रूस को ऐसा लगता है जैसे कोई पुराना दोस्त नाराज़ हो गया हो। KGB का record तो आप जानते ही हैं – विदेशों में लोगों को ‘हैंडल’ करने में उन्हें महारत हासिल है। क्या ये उसी का एक नया chapter है?

ताज़ा खबर: अब तक क्या-क्या पता चला?

सीन ऐसा था जैसे कोई हॉलीवुड थ्रिलर – ओडिशा के एक local guest house में तीन रशियन टूरिस्ट्स के शव! पुलिस को poison या murder के संकेत मिले हैं। और तो और, हमारी intelligence agencies को एक रशियन एजेंट पर शक है जो हाल ही में भारत आया था। रशियन एंबेसी वालों ने भी मामले को ‘संदिग्ध’ बताया है। पर सच क्या है? अभी तो सिर्फ अंदाज़ा ही लगाया जा सकता है।

कौन क्या बोला: राजनीति का खेल शुरू!

हमारे विदेश मंत्रालय वाले तो ‘डिप्लोमेटिक’ भाषा में बात कर रहे हैं – “पूरी जाँच होगी” वगैरह-वगैरह। पर security experts की राय जरा अलग है। उनका कहना है कि अगर KGB का role सामने आया तो ये हमारे लिए बड़ी मुसीबत खड़ी कर सकता है। और फिर राजनीतिक दलों ने तो मौके का फायदा उठाना शुरू कर दिया है – कुछ नेता रूस के साथ रिश्तों पर सवाल उठाने लगे हैं। असल में, हर कोई अपनी रोटी सेक रहा है!

आगे क्या? भारत के लिए क्या मायने हैं?

अब सवाल यह है कि ये सब हमारे लिए क्या मतलब रखता है? अगर KGB का हाथ साबित हुआ तो… भईया, हमें अपनी security policies में बड़े बदलाव करने पड़ सकते हैं। और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर? अमेरिका-यूरोप वाले तो इस मौके का फायदा उठाकर हमें रूस से दूर करने की कोशिश करेंगे ही। एक तरफ तो हमें रशियन्स पर नजर रखनी होगी, दूसरी तरफ अपने रिश्तों को भी संभालना होगा। मुश्किल स्थिति है, है न?

आखिरी बात: ये सब किस बड़े खेल का हिस्सा है?

ईमानदारी से कहूँ तो, ये कोई साधारण murder case नहीं लगता। लगता है जैसे कोई बड़ा geopolitical game चल रहा हो। हमारे foreign policy experts की नींद उड़ गई होगी! भारत को अब बड़ी सूझ-बूझ से काम लेना होगा। हमारी ताकत हमेशा से यही रही है कि हम हर किसी के साथ संतुलन बनाकर चलते हैं। पुतिन चाहे जितने भी tough बनें, पर भारत-रूस का रिश्ता दोनों के फायदे का है। अब देखना ये है कि ये पूरा मामला किस तरफ मुड़ता है। एक बात तो तय है – अगले कुछ दिनों में बहुत कुछ सामने आने वाला है। तैयार रहिए!

यह भी पढ़ें:

पुतिन से पंगा लेना मौत के मुंह में जाना! – कुछ जरूरी सवाल और उनके जवाब

1. ओडिशा में 3 रशियन्स की मौत: क्या सच में कोई साजिश है?

ये केस तो सच में किसी हॉलीवुड थ्रिलर जैसा लगता है। तीन रशियन नागरिकों की मौत… और फिर केजीबी के हाथ होने की अफवाहें! पर सच क्या है? देखिए, पुलिस तो जांच कर ही रही है, लेकिन इंटेलिजेंस वालों के चेहरे देखकर लगता है कुछ तो गड़बड़ जरूर है। ठोस सबूत? अभी तक नहीं मिले। पर याद रखिए, जहां धुआं होता है, वहां आग तो होती ही है न?

2. भारत-रशिया रिलेशन्स पर क्या पड़ेगा असर?

अभी तक तो दोनों देशों के बीच सब ठीक-ठाक लग रहा है। लेकिन सवाल यह है कि अगर केजीबी का नाम सामने आया तो? तब क्या होगा? सच कहूं तो भारत सरकार इस मामले में बहुत सावधानी से कदम उठा रही है। एक तरफ तो हमारे पुराने दोस्त हैं रशिया, दूसरी तरफ अगर सच में कोई गलत हाथ सामने आया तो… समझदारी की बात है न?

3. केजीबी का भारत में क्या चल रहा है?

अरे भई, ये सवाल तो मैं भी अपने दोस्तों से पूछता रहता हूं! कुछ लोग कहते हैं जासूसी नेटवर्क बना रहे हैं, कुछ कहते हैं ये सब बकवास है। सच्चाई? शायद इन दोनों के बीच कहीं होगी। भारतीय एजेंसियां तो अपना काम कर ही रही हैं – नजर रखने का, इंफॉर्मेशन जुटाने का। पर ये भी सच है कि आजकल दुनिया में जासूसी का गेम पहले से कहीं ज्यादा कॉम्प्लेक्स हो गया है।

4. पुतिन के खिलाफ जाने का मतलब सच में मौत को बुलावा देना है?

ईमानदारी से कहूं तो… हिस्ट्री देख लीजिए। पुतिन के critics का क्या हश्र हुआ है? एक-एक करके रहस्यमय तरीके से गायब। ये नया केस भी उसी कहानी का नया चैप्टर लगता है। हालांकि, अभी तक क्रेमलिन का कोई डायरेक्ट कनेक्शन सामने नहीं आया है। पर सवाल तो उठता ही है न? संयोग इतने सारे कैसे हो सकते हैं भला!

Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com

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