qatar saudi egypt urge hamas disarm leave gaza end war 20250730005237324284

कतर, सऊदी अरब, मिस्र ने हमास से गाजा छोड़ने और निरस्त्र होने की मांग की – इजरायल से युद्ध समाप्त करने की कोशिश

अरब देशों का बड़ा कदम: हमास से कहा – “गाजा छोड़ो, हथियार डालो”

क्या ये वो मोड़ है जिसका सबको इंतज़ार था? मंगलवार को कतर, सऊदी अरब और मिस्र जैसे बड़े अरब देशों ने मिलकर एक साझा बयान जारी किया – हमास को साफ़ शब्दों में कहा गया कि गाजा पर से अपना कंट्रोल हटाओ और हथियार डाल दो। देखा जाए तो ये इजरायल के साथ चल रही 21 महीने की जंग को खत्म करने की दिशा में एक बड़ी कोशिश है। असल में, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शांति की जो बातें हो रही थीं, उन्हें ये कदम एक नई रफ्तार दे सकता है।

पूरा मामला क्या है?

याद है ना अक्टूबर 2023 का वो बड़ा हमला? जब हमास ने इजरायल पर अचानक धावा बोला था। उसी दिन से ये आग लगी हुई है, जिसमें हजारों लोगों की जान जा चुकी है। और गाजा? वहाँ तो हालात दिन-ब-दिन बदतर होते जा रहे हैं। अरब देश पहले भी कई बार “युद्ध रुको” की गुहार लगा चुके हैं, मगर हमास और इजरायल में कोई ठोस समझौता नहीं हो पाया। बीच में फँसा है गाजा का आम आदमी – बिजली, पानी, दवा जैसी बुनियादी चीज़ों के बिना ज़िंदगी काट रहा है।

इस बार क्या खास है?

इस बार तस्वीर थोड़ी अलग है। कतर, सऊदी और मिस्र जैसे दिग्गज एक साथ आ गए हैं। ये कोई हल्की-फुल्की अपील नहीं, बल्कि सीधा दबाव है। अरब लीग भी पूरी तरह पीछे खड़ी है। मतलब साफ है – पूरा अरब जगत एक सुर में बोल रहा है। हालाँकि, इजरायल की तरफ से अभी तक कोई आधिकारिक जवाब नहीं आया है। पर राजनीतिक गलियारों में चर्चा जोरों पर है। क्या वाकई ये युद्ध खत्म होने का संकेत है? या फिर एक और लंबी खींचतान?

किसने क्या कहा?

हमास के प्रवक्ता का जवाब तो जैसा होना था वैसा ही आया – “हम अपनी सुरक्षा और फिलिस्तीनी जनता के हक़ के बिना किसी समझौते पर नहीं जाएँगे।” मिस्र ने बीच का रास्ता निकालते हुए कहा, “दोनों पक्षों को समझौते के लिए तैयार होना चाहिए।” और सऊदी अरब? उनका सीधा सा संदेश है – “पूरी दुनिया को मिलकर इस युद्ध को रोकना चाहिए।”

आगे क्या होगा?

अब सवाल यह है कि ये पहल कितनी कारगर साबित होगी। अगर हमास ने मना कर दिया, तो गाजा की हालत और भी बिगड़ सकती है। इस मामले में UN और अमेरिका की भूमिका अहम होगी – वे दोनों तरफ दबाव बना सकते हैं। एक तरफ तो ये पहल उम्मीद जगाती है, लेकिन दूसरी तरफ इतिहास गवाह है कि इस इलाके में शांति की राह आसान नहीं होती।

अब सबकी नज़रें उन अगले कुछ दिनों पर हैं जो तय करेंगे कि ये जंग और लंबी खिंचेगी या फिर कभी तो शांति का दीया जलेगा। सच कहूँ तो, बिना अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप के इस गंभीर संकट का हल निकलता नज़र नहीं आ रहा।

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Source: NY Post – World News | Secondary News Source: Pulsivic.com

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