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रवींद्रनाथ टैगोर की 100 साल पुरानी चिट्ठी 5.9 करोड़ में नीलाम – ऐतिहासिक रिकॉर्ड!

रवींद्रनाथ टैगोर की 100 साल पुरानी चिट्ठी 5.9 करोड़ में बिकी? सच में!

अरे भाई, क्या बात है! भारतीय साहित्य की दुनिया में आज एक ऐसा किस्सा हुआ है जिस पर यकीन करना मुश्किल है। नोबेल पुरस्कार विजेता गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर की हस्तलिखित चिट्ठियाँ – वो भी 100 साल पुरानी – मुंबई की एक नीलामी में 5.9 करोड़ रुपये में बिक गईं! ये नीलामी AstaGuru नाम की एक प्रतिष्ठित auction house ने करवाई थी, और देखते ही देखते ये खबर सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। सोचो, आखिर इन पुराने कागजों में ऐसा क्या खास है? असल में, ये सिर्फ कागज नहीं, हमारी सांस्कृतिक विरासत का एक जीता-जागता हिस्सा हैं।

गुरुदेव की कलम से निकले ख़त, दिल से निकली बातें

वैसे तो टैगोर को हम सब कवि के रूप में जानते हैं, लेकिन ये आदमी तो एक पूरा यूनिवर्स था! कवि, दार्शनिक, संगीतकार – सब कुछ। उनकी किताबें तो हर जगह मिल जाएंगी, लेकिन ये पत्र? ये तो उनके दिल की आवाज़ हैं। इनमें वो बातें लिखी हैं जो शायद उन्होंने कभी सार्वजनिक तौर पर नहीं कहीं। उस ज़माने की राजनीति, समाज, उनके निजी विचार – सब कुछ। AstaGuru ने तो जैसे इतिहास का एक खजाना ही बेच दिया। कलेक्टर्स के लिए तो ये सोने से भी ज्यादा कीमती हैं।

नीलामी का पूरा ड्रामा

अब सुनिए इस नीलामी का किस्सा। 5.9 करोड़! ये कोई मामूली रकम थोड़े ही है। ये तो एक रिकॉर्ड है। और सबसे मजेदार बात? ये नीलामी hybrid format में हुई थी – कोई online बोली लगा रहा था, तो कोई offline। जैसे कोई बॉलीवुड फिल्म का सस्पेंस सीन हो। कुछ पत्र तो ऐसे थे जिनमें टैगोर के unpublished विचार थे। सोचिए, 100 साल बाद भी उनकी नई बातें पता चल रही हैं! और जिसने खरीदा, वो तो anonymous ही रहा। शायद कोई बड़ा कलेक्टर होगा, या फिर कोई संस्था।

लोग क्या कह रहे हैं?

संस्कृति मंत्रालय तो खुशी से झूम उठा। उनका कहना है कि ये हमारी विरासत को बचाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। डॉ. अमित शर्मा जैसे इतिहासकारों का कहना है कि ये पत्र टैगोर को समझने की एक नई खिड़की खोलते हैं। और खरीददार? उसने तो कहा कि ये सिर्फ पैसे की बात नहीं, इतिहास को संजोने का मौका है। सच कहूँ तो, ऐसा लगता है जैसे किसी ने हमारी याददाश्त ही खरीद ली हो।

आगे क्या होगा?

अब सवाल यह है कि ये पत्र कहाँ जाएंगे? कुछ experts कह रहे हैं कि शायद इन्हें म्यूजियम में display किया जाए। कुछ का मानना है कि academic research के लिए इस्तेमाल होगा। एक बात तो तय है – इसके बाद टैगोर की दूसरी rare चीजों की कीमत आसमान छूने वाली है। और हाँ, सरकार को अब ऐसी historical items के लिए नई guidelines बनानी पड़ सकती हैं।

अंत में बस इतना कहूँगा – ये नीलामी सिर्फ कुछ कागजात बेचने की बात नहीं थी। ये तो हमारी पीढ़ी को याद दिलाने की कोशिश थी कि हमारी विरासत कितनी कीमती है। और हाँ, अगर आपके घर में भी कोई पुरानी चिट्ठियाँ पड़ी हों… तो उन्हें संभालकर रखिएगा। कौन जाने, कल को वो भी करोड़ों की हो जाएँ!

रवींद्रनाथ टैगोर की 100 साल पुरानी चिट्ठी – क्या आप जानते हैं ये रोचक बातें?

1. ये चिट्ठी किसको लिखी गई थी? और भईया, इतनी हाइप क्यों?

देखिए, ये कोई आम चिट्ठी नहीं है। टैगोर ने इसे अपने दोस्त अल्बर्ट आइंस्टीन को लिखा था – हां वही आइंस्टीन जिन्होंने E=mc² दिया! अब सोचिए, जब दो दिग्गजों के बीच बातचीत हो तो वो कितनी दिलचस्प होगी? सच कहूं तो ये सिर्फ एक चिट्ठी नहीं, इतिहास का एक टुकड़ा है।

2. 5.9 करोड़ में खरीदने वाला शख्स कौन है?

असल में यहां मजेदार बात ये है कि खरीदार की पहचान अभी तक रहस्य बनी हुई है। कोई प्राइवेट कलेक्टर है जिसने मुंबई की एक बड़ी ऑक्शन हाउस में ये डील की। क्या कोई बॉलीवुड सेलेब? या फिर कोई बिजनेस टाइकून? अंदाजा लगाइए!

3. क्या यह सच में अब तक की सबसे महंगी चिट्ठी है?

बिल्कुल! 5.9 करोड़… सुनकर ही दिमाग चकरा जाता है न? भारत में तो ये रिकॉर्ड तोड़ देने वाली बात है। मतलब साफ है – टैगोर और आइंस्टीन का नाम ही काफी है कीमत बढ़ाने के लिए। एक तरह से देखें तो ये सिर्फ कागज नहीं, एक खजाना है।

4. क्या हम ऑनलाइन इस चिट्ठी को पढ़ सकते हैं?

अफसोस की बात ये है कि अभी तक पूरी चिट्ठी की ऑफिशियल कॉपी नहीं आई है। हालांकि नीलामी से पहले कुछ लाइन्स मीडिया में लीक हुई थीं। पर सच पूछो तो असली मजा तो तब आएगा जब पूरी चिट्ठी सामने आएगी – शायद तब इसकी कीमत और बढ़ जाए!

वैसे एक बात और… अगर आपको ये जानकारी अच्छी लगी हो तो शेयर जरूर करें। कौन जाने, शायद हमारे पाठकों में से कोई इस रहस्यमय खरीदार को जानता हो!

Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com

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