रेचल रीव्स ने कहा क्या? “जोखिम पर नियंत्रण अब हद से ज़्यादा हो गया है!”
अरे भाई, ब्रिटेन के वित्तीय जगत में तूफ़ान आ गया है! और ये तूफ़ान लाया है लंदन Stock Exchange की पूर्व CEO रेचल रीव्स ने। सच कहूँ तो, उनका ये बयान किसी बम से कम नहीं है – “हमारे financial sector पर नियमों का बोझ इतना बढ़ गया है कि ये अब economy की ग्रोथ को ही दबोच रहा है।” सुनकर लगता है न कि कोई बड़ी बात कह दी? पर असल में ये तो बस शुरुआत है।
मज़े की बात ये है कि ये बयान ऐसे वक्त आया है जब ब्रेक्जिट के बाद से ब्रिटेन अपनी global position बचाने की जद्दोजहद में लगा हुआ है। रीव्स ने साफ़-साफ़ कहा – “देखो न्यूयॉर्क और सिंगापुर को! वहाँ businesses को साँस लेने की जगह मिलती है, जबकि हमारे यहाँ तो हर छोटे फैसले के लिए भी regulatory approval चाहिए।” सच में, ये बात सोचने पर मजबूर कर देती है – कहीं हम innovation को मार तो नहीं रहे?
किसने क्या कहा? बिजनेस लीडर्स से लेकर सरकार तक!
अब तो मज़मा लग गया है! एक तरफ़ बड़े-बड़े industry leaders रीव्स के साथ खड़े हैं – “हाँ यार, ये नियम तो startups को ही मार डालेंगे!” वहीं दूसरी तरफ़ opposition वालों का कहना है – “ये सब तो बड़े कॉर्पोरेट्स के लिए रोना रो रहे हैं।” ऐसा लगता है जैसे दोनों तरफ़ के तर्कों में दम है।
और सरकार? वो तो बीच का रास्ता निकाल रही है। वित्त मंत्रालय का कहना है – “हम balance बनाने की कोशिश कर रहे हैं।” पर साथ ही ये भी मान रहे हैं कि कुछ नियमों को ढील देने की ज़रूरत हो सकती है। मतलब साफ़ है – बात तो उन्हें भी समझ आ रही है!
आगे क्या? ब्रिटेन के सामने बड़े सवाल
अब सवाल ये उठता है कि आगे क्या होगा? एक तरफ़ global race में पिछड़ जाने का डर, दूसरी तरफ़ बिना लगाम के जोखिम उठाने का ख़तरा। विशेषज्ञों की चेतावनी तो और भी डरावनी है – “अगर जल्दी policy reforms नहीं हुए, तो बड़ी companies तो बस बैग पैक करके दूसरे देश चली जाएँगी!”
और हैरानी की बात ये कि ये मामला सिर्फ़ ब्रिटेन तक सीमित नहीं है। पूरी दुनिया में यही बहस चल रही है – “कितना regulation ठीक है और कितना ज़्यादा?” रेचल रीव्स ने जो बहस छेड़ी है, वो शायद एक बड़े global discussion की शुरुआत है। अब देखना ये है कि हर देश इस regulation और growth के झूले में संतुलन कैसे बिठाता है!
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रेचल रीव्स का वो बयान जिसने बना दिया सबको बहस का मुरीद – “जोखिम पर नियंत्रण” से जुड़े हर सवाल का जवाब
1. असल में रेचल ने क्या कहा, और क्यों है ये इतना चर्चा में?
देखिए, रेचल का कहना सीधा-सादा है – आजकल हम risk को लेकर बहुत ज्यादा careful हो गए हैं। और ये creativity को मार रहा है। सच कहूं तो, ये वही बात है जैसे बच्चे को गिरने के डर से चलना ही न सिखाओ। थोड़ा risk? जरूरी है भाई!
2. ये बयान किस माहौल में आया? समझने की कोशिश करते हैं
असल में ये पूरा मामला film industry के नए-नए rules से जुड़ा है। आपने notice किया होगा – आजकल हर छोटी चीज़ पर restrictions लग रही हैं। रेचल कह रही हैं कि ये over-control कला के लिए जहर है। और सच में, क्या हम सब कुछ control कर सकते हैं? कभी नहीं!
3. सोशल मीडिया पर क्या चल रहा है? दोनों तरफ के लोग
Twitter और Instagram पर तो माजरा गरम है! एक तरफ वो लोग जो कह रहे हैं “हां भई, finally कोई तो बोला!” और दूसरी तरफ safety को लेकर चिंतित लोग। पर एक बात clear है – debate अभी खत्म होने वाली नहीं। आपकी क्या राय है, बताइएगा जरूर!
4. क्या ये सिर्फ बातें हैं, या रेचल ने खुद जिया है?
अरे भई, ये तो वो बात हुई जैसे “practice what you preach”! रेचल ने अपने career में कभी safe नहीं खेला – Matrix से लेकर John Wick तक, हर role में कुछ न कुछ experimental। शायद इसीलिए उनकी बात में दम है। Risk लिया, तो reward मिला। सीधी सी बात है न?
Source: Financial Times – Global Economy | Secondary News Source: Pulsivic.com