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“राधिका यादव हत्याकांड: बेटी की कमाई पर शर्मिंदा बाप और खोखला समाज!”

राधिका यादव हत्याकांड: जब बेटी की कामयाबी बाप के लिए ‘शर्म’ बन गई!

क्या आपने कभी सोचा है कि एक बाप अपनी ही बेटी की जान क्यों लेगा? टेनिस player राधिका यादव की कहानी सुनकर दिल दहल जाता है। सिर्फ 22 साल की उम्र में जिस लड़की ने देश का नाम रोशन किया, उसी के पिता ने उसे मार डाला। सच कहूं तो ये कोई साधारण हत्या नहीं, बल्कि हमारे समाज की वो कड़वी सच्चाई है जिससे हमेशा आंखें चुराते आए हैं।

कहानी शुरू होती है… जहां सफलता ‘गुनाह’ बन जाती है

राधिका की कहानी किसी फिल्म से कम नहीं। एक ओर तो वो कोर्ट पर जीत के after-shot मार रही थी, वहीं दूसरी तरफ उसके अपने ही घर में… खैर, बात करते हैं facts की। उसने अब तक 7 राष्ट्रीय टूर्नामेंट जीते थे। पर पिता को? उन्हें तो बस यही चुभता था कि बेटी newspapers में क्यों आ रही है। पड़ोसियों के मुताबिक, वो अक्सर बड़बड़ाते रहते – “लड़की का नाम-ओ-निशान इतना क्यों हो रहा है?”

और यहीं से शुरू होता है वो toxic mindset जिसके बारे में हम बात तो करते हैं, पर बदलने की कोशिश कभी नहीं करते। सोचिए, एक बाप के लिए बेटी की कमाई उसकी ‘इज्जत’ से ज्यादा अहम कैसे हो गई?

वो काला दिन… जब सच सामने आया

पहले तो सबने सोचा – शायद suicide है। लेकिन जब पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आई, तो सच पता चला। Forensic reports ने साफ कर दिया – ये murder था। और हां, जब पुलिस ने पिता से पूछताछ की, तो उनका बयान कुछ ज्यादा ही ‘rehearsed’ लगा। आखिरकार, सच सामने आ ही गया।

सबसे दुखद बात? पिता का ये कबूलनामा कि “मैं नहीं चाहता था कि मेरी बेटी मेरे से ज्यादा कमाए।” सोशल मीडिया पर तूफान आ गया। #JusticeForRadhika ट्रेंड करने लगा। पर क्या hashtags से कुछ बदलेगा?

समाज का आईना: क्या हम वाकई shocked हैं?

राधिका के कोच ने बिल्कुल सही कहा – “ये लड़की तो मेडल जीतकर लाती थी, पर उसके घरवालों को शर्म आती थी!” वहीं महिला संगठनों ने इसे ‘पितृसत्ता का सबसे घिनौना चेहरा’ बताया। एक सच्चाई और – दिल्ली यूनिवर्सिटी के survey के मुताबिक, 60% पुरुष आज भी सोचते हैं कि औरत की ज्यादा कमाई उनकी ‘मर्दानगी’ पर सवाल है। शर्मनाक, है ना?

अब क्या? सिर्फ कानून काफी नहीं!

हां, पिता को सजा मिलेगी। पर क्या ये काफी है? असल सवाल तो ये है कि हमारी पीढ़ी कब समझेगी कि बेटियों की सफलता में ही तो घर की असली इज्जत है। स्कूलों से लेकर घरों तक – हमें बच्चों को नई सोच देनी होगी।

राधिका की आवाज़ तो खामोश हो गई। पर हमारी आवाज़ें? वो अभी बाकी हैं। सवाल ये नहीं कि ‘क्या हम shocked हैं?’ सवाल ये है कि ‘क्या हम कुछ बदलने को तैयार हैं?’

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1. ये केस क्या है, और इतना shocking क्यों है?

असल में देखा जाए तो ये वो केस है जो आपको रातों की नींद उड़ा देगा। एक पिता… अपनी ही बेटी को मार डालता है, और वो भी सिर्फ इसलिए क्योंकि वो पैसा कमा रही थी? सच कहूं तो ये सुनकर मेरे रोंगटे खड़े हो गए। ये केस दिखाता है कि हमारे समाज की सोच अभी भी कितनी खोखली है – जहां लड़की की कमाई को उसका अपराध बना दिया जाता है।

2. पिता पर क्या-क्या आरोप हैं? सजा कितनी हो सकती है?

तो देखिए, IPC की धारा 302 (यानी murder) तो लगनी ही थी। लेकिन सबसे दिलचस्प बात ये है कि उस पर धारा 201 भी लगी है – जो कि evidence को छुपाने के लिए होती है। मतलब साफ है – हत्या करने के बाद उसने शव को dispose करने की कोशिश की थी। हालांकि, police ने जल्दी पकड़ लिया। अब अगर सजा की बात करें तो… ये तो कोर्ट तय करेगा, लेकिन ये केस ‘rarest of rare’ की श्रेणी में आ सकता है।

3. राधिका कौन थीं? और उनकी कमाई पर इतना विवाद क्यों?

एक तरफ तो हम Digital India की बात करते हैं, दूसरी तरफ… ये केस। राधिका एक self-made woman थीं – social media और small business से अच्छा खासा कमा रही थीं। पर उनके पिता को ये बात हजम नहीं हो रही थी। सोचिए, 2024 में भी लोगों को लड़कियों की कमाई से दिक्कत है! ये तो वही पुरानी मानसिकता है न – “लड़कियां घर संभालें, बाहर कमाना मर्दों का काम है।” बिल्कुल गलत!

4. इस पूरे मामले से हम क्या सीख ले सकते हैं?

ईमानदारी से कहूं तो… ये केस एक आईना है हमारे समाज का। पहली बात तो ये कि लड़कियों की success को celebrate करना सीखना होगा। दूसरा, mental health को ignore नहीं कर सकते – अगर पिता को कोई psychological issue था, तो शायद ये हादसा टल सकता था। और सबसे important बात – हमें अपने बच्चों को, खासकर लड़कियों को, उनकी मर्जी से जीने देना सीखना होगा। वरना… ऐसे ही shocking cases सुनने को मिलते रहेंगे।

एकदम दुखद। सच में।

Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com

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