पूर्व RBI गवर्नर रघुराम राजन की बड़ी चेतावनी! सरकारी कर्मचारियों के लिए महत्वपूर्ण सलाह

पूर्व RBI गवर्नर रघुराम राजन ने दी सरकारी कर्मचारियों को लेकर बड़ी चेतावनी – क्या आप जानते हैं?

अरे भाई, भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर चिंता तो हम सभी को है। लेकिन जब रघुराम राजन जैसा दिग्गज आर्थिक विशेषज्ञ अपनी चिंता जताए, तो उसे हल्के में लेना ठीक नहीं। हाल ही में उन्होंने वित्त आयोग को एक ऐसा सुझाव दिया है जो सीधे-सीधे हमारे सरकारी कर्मचारियों और local authorities से जुड़ा है। असल में, उनका कहना है कि राज्यों को मजबूत बनाने के लिए local authorities को ज्यादा पैसा देना होगा और… यहां मजेदार बात… सरकारी नौकरियां बढ़ानी होंगी! मजे की बात ये कि ये सुझाव ऐसे वक्त में आया है जब हमारी अर्थव्यवस्था पहले ही कई मोर्चों पर संघर्ष कर रही है।

राजन साहब की चिंता – नई बात नहीं, लेकिन गंभीर जरूर

देखिए, राजन जी कोई नए खिलाड़ी तो हैं नहीं। ये तो वही हैं जिन्होंने 2008 के financial crisis को पहले ही भांप लिया था। भारत की आर्थिक नीतियों पर बोलना तो उनका पुराना शौक है। उनका मुख्य तर्क क्या है? सीधी सी बात – हमारे राज्यों पर वित्तीय दबाव बहुत ज्यादा बढ़ गया है। और इसका सीधा असर? आप और मैं जिन सरकारी सुविधाओं का इस्तेमाल करते हैं, उनकी क्वालिटी पर! अब समझिए न, वित्त आयोग का काम तो है केंद्र और राज्यों के बीच पैसे बांटना। राजन साहब कह क्या रहे हैं? कि जमीनी स्तर पर पैसे की कमी से विकास की रफ्तार थम रही है। और हां, इस पर तुरंत एक्शन लेना जरूरी है।

राजन के दो जबरदस्त सुझाव – क्या हैं ये?

अब बात करते हैं राजन साहब के उन दो सुझावों की जिन पर सभी की नजरें टिकी हैं। पहला तो बिल्कुल स्पष्ट – local authorities को ज्यादा बजट दो! उनका मानना है कि गांव-शहर स्तर पर अगर पैसा होगा, तो विकास के काम तेजी से होंगे। लेकिन दूसरा सुझाव… वाह! ये तो बिल्कुल अलग लेवल का है। सरकारी नौकरियां बढ़ाने की बात कर रहे हैं। क्यों? क्योंकि उनका मानना है कि पर्याप्त स्टाफ के बिना सरकारी सेवाओं की क्वालिटी सुधारना नामुमकिन है। और सबसे डरावनी बात? उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर राज्यों की वित्तीय हालत नहीं सुधरी, तो पूरे देश का आर्थिक विकास धीमा हो सकता है। सोचिए, कितनी बड़ी बात कह दी!

क्या कह रहे हैं एक्सपर्ट्स और नेता?

अब सवाल ये कि दूसरे लोग इस पर क्या सोचते हैं? ज्यादातर आर्थिक विशेषज्ञ तो राजन के सुझावों से खुश नजर आ रहे हैं। उनका कहना है कि ये long-term economic stability के लिए अच्छे सुझाव हैं। लेकिन… हमेशा की तरह… राजनीति तो बीच में आ ही गई। कुछ दलों ने सवाल उठा दिए हैं। उनका कहना है कि सरकारी नौकरियां बढ़ाने से खर्चा बढ़ेगा, जो पहले से तंग राजकोष पर और बोझ डालेगा। मजेदार बात ये कि सरकार की तरफ से अभी तक कोई आधिकारिक जवाब नहीं आया है। शायद वो सोच रहे होंगे कि क्या करें!

आगे क्या होगा? क्या आप तैयार हैं?

तो अब सबसे बड़ा सवाल – आगे क्या? वित्त आयोग के सामने ये एक गंभीर मुद्दा है। मान लीजिए अगर राजन के सुझाव मान लिए जाते हैं और local authorities को ज्यादा फंड मिलता है, तो इससे ग्रामीण और शहरी विकास को नई रफ्तार मिल सकती है। खासकर infrastructure और सरकारी सुविधाओं में सुधार देखने को मिल सकता है। पर… हमेशा एक पर होता है न? अगर इन फंड्स का सही प्रबंधन नहीं हुआ, तो fiscal deficit बढ़ने का खतरा है। सच कहूं तो ये दोहरी तलवार जैसा है।

अभी तो सभी की नजरें वित्त मंत्रालय और वित्त आयोग पर टिकी हैं। एक तरफ तो राजन के सुझावों में भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की क्षमता है, लेकिन दूसरी तरफ इन्हें लागू करने का तरीका भी बेहद अहम है। मेरा मानना है कि आने वाले दिनों में इस पर और ज्यादा बहस होगी। क्या आपको नहीं लगता कि ये एक महत्वपूर्ण मोड़ हो सकता है? सोचिए जरा…

Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com

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