राहुल गांधी का ‘डिनर पॉलिटिक्स’: जब खाने की टेबल पर चुनावी धोखाधड़ी के ‘सबूत’ परोसे गए
अब ये क्या नया ड्रामा है? बुधवार को राहुल गांधी ने INDIA गठबंधन के नेताओं के साथ जो बैठक की, उसने दिल्ली की राजनीति को फिर से गरमा दिया। असल में, ये कोई सामान्य बैठक नहीं थी – इसमें चुनावी धोखाधड़ी के ‘सबूत’ नाम की थाली परोसी गई। और हैरानी की बात ये कि करीब 25 पार्टियों के 50 से ज़्यादा नेताओं ने इस डिनर में हिस्सा लिया! साथ ही 11 अगस्त को चुनाव आयोग के खिलाफ बड़ा प्रदर्शन करने का फैसला भी हुआ। मज़े की बात ये कि ये सब ‘डिनर पॉलिटिक्स’ के नाम से चर्चा में आ गया।
पूरा माजरा क्या है? INDIA गठबंधन और चुनावी सुधारों की लड़ाई
देखिए, INDIA गठबंधन बनाने का मकसद तो साफ था – BJP के खिलाफ एकजुट होना। लेकिन अब ये मामला EVM और VVPAT मशीनों पर अटक गया है। सच कहूं तो विपक्ष को ये शिकायत नई नहीं – वो तो बरसों से चुनावी प्रक्रिया में ‘गड़बड़झाला’ का रोना रो रहे हैं। राहुल गांधी तो खैर… उन्होंने तो चुनाव आयोग को लेकर ऐसे-ऐसे बयान दिए हैं कि सुनकर हैरानी होती है। और अब ये प्रेजेंटेशन? लगता है उनकी ये मुहिम अब और तेज़ होने वाली है।
बैठक की खास बातें: डेटा, सबूत और… एक्शन प्लान!
तो क्या पेश किया गया इस बैठक में? राहुल ने कुछ ‘डेटा पॉइंट्स’ दिखाए, जिसमें EVM और VVPAT मशीनों की कथित खामियों के ‘सबूत’ थे। सच बताऊं? ये सब इतना तकनीकी था कि समझ में आए तो आए, नहीं तो… खैर, नेताओं ने तो सब मान लिया! और फिर 11 अगस्त का वो प्लान – दिल्ली में बड़ा धरना। TMC, DMK, AAP जैसी पार्टियों के नेता भी मौजूद थे। कुल मिलाकर, विपक्ष इस बार एक साथ खड़ा दिखा।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं: BJP का जवाब और ‘डिनर पॉलिटिक्स’ का मज़ाक
कांग्रेस तो ‘लोकतंत्र खतरे में’ वाली रट लगा रही है। ममता बनर्जी ने भी पारदर्शिता की बात की। लेकिन BJP वालों ने तो सीधे कह दिया – “ये सब बहाने हैं! हार नहीं हज़म हो रही।” और तो और, उन्होंने इसे ‘डिनर पॉलिटिक्स’ का नाम दे डाला। मतलब साफ – खाने-पीने के बीच झूठे आरोप गढ़े जा रहे हैं। हालांकि, विपक्ष के लिए ये मज़ाक का विषय नहीं है।
आगे क्या? धरना से लेकर संसद तक!
अब नज़र 11 अगस्त पर है। विपक्ष का बड़ा प्रदर्शन होने वाला है। और फिर मॉनसून सत्र में भी ये मुद्दा उठेगा। राजनीतिक जानकार कह रहे हैं कि अगर विपक्ष ज़ोर लगाए, तो चुनाव प्रक्रिया में बदलाव की मांग तेज़ हो सकती है। पर सवाल ये है – क्या ये सब आने वाले लोकसभा चुनावों को प्रभावित कर पाएगा?
एक बात तो साफ है – ये मामला राजनीति का नया ट्विस्ट लेकर आया है। विपक्ष एकजुट दिख रहा है, और चुनाव सुधार उनकी प्राथमिकता बन गया लगता है। अगले कुछ हफ्ते और दिलचस्प होंगे। देखते हैं, ये ड्रामा कहां तक जाता है!
राहुल गांधी का ‘डिनर पॉलिटिक्स’ और चुनावी धोखाधड़ी के सबूत – क्या है पूरा मामला?
ये ‘डिनर पॉलिटिक्स’ वाला ड्रामा क्या है?
देखिए, ये ‘डिनर पॉलिटिक्स’ वाला टर्म थोड़ा फैंसी लगता है, लेकिन असल में बात बहुत सीधी है। राहुल गांधी ने INDIA ब्लॉक के नेताओं के साथ कुछ डिनर मीटिंग्स कीं – और इन्हीं में चुनावी धोखाधड़ी के कुछ दावों पर बातचीत हुई। अब सवाल ये है कि क्या ये सिर्फ चाय-पकौड़े वाली गपशप थी या कुछ गंभीर?
सबूत हैं या सिर्फ दावे?
ईमानदारी से कहूं तो अभी तक स्थिति कुछ अजीब है। एक तरफ तो राहुल और उनके साथी दावा कर रहे हैं कि उनके पास कुछ सबूत हैं, लेकिन दूसरी तरफ अभी तक कोई ठोस दस्तावेज़ या वीडियो प्रूफ जनता के सामने नहीं आया है। ये उसी तरह है जैसे कोई कहे “मेरे पास बम का सबूत है” लेकिन दिखाए ना। थोड़ा संदेह तो स्वाभाविक है न?
BJP वालों का क्या कहना है?
अरे भई, BJP तो मज़ाक उड़ा रही है! उनका कहना है कि ये सब opposition की बेकार हो चुकी राजनीति है। उनके एक नेता ने तो ट्विटर पर यहां तक लिख दिया – “जब कुछ नहीं सूझता तो डिनर पार्टी कर लो”। पर सच क्या है? वो तो वक्त ही बताएगा।
चुनाव आयोग तक जाएगा मामला?
अभी तक तो कोई औपचारिक शिकायत दर्ज नहीं हुई है। लेकिन opposition के कुछ नेताओं के इशारे से लग रहा है कि वो इस मामले को proper चैनल्स के ज़रिए उठा सकते हैं। पर याद रखिए, राजनीति में इशारों और वास्तविक कदमों में बहुत फर्क होता है। देखते हैं कब तक ये डिनर टॉक्स, कोर्ट रूम तक पहुंचती हैं!
एक बात और – अगर सच में कोई बड़ा सबूत है तो जल्द ही सामने आना चाहिए। वरना ये मामला भी उन हज़ारों allegations की तरह इतिहास के पन्नों में खो जाएगा। सच्चाई? शायद डिनर टेबल पर ही छूट गई!
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