“चुनाव आयोग vs राहुल गांधी: संविधान का अपमान या राजनीतिक हथकंडा? पूरा विवरण जानें!”

चुनाव आयोग vs राहुल गांधी: असली मुद्दा क्या है? संविधान या सियासत?

अरे भई, बिहार चुनाव के बाद तो राजनीति में हंगामा मच गया है! राहुल गांधी ने चुनाव आयोग (EC) पर जो बयान दिया, उसने सबको हिला कर रख दिया। उनका कहना है कि EC अब सरकार के इशारों पर नाच रहा है – संविधान और लोकतंत्र की धज्जियां उड़ रही हैं। सुनकर लगता है जैसे कोई बड़ा बवाल होने वाला है, है न? पर सच तो ये है कि ये कोई नई बात नहीं। विपक्ष और संवैधानिक संस्थाओं के बीच ये टेंशन तो बरसों से चला आ रहा है।

पीछे का सच: ये ड्रामा नया नहीं

देखिए, मामला कुछ यूं है। EC पर पक्षपात के आरोप तो जैसे अब रोज़ का मेनू बन गया है। हर चुनाव में यही झगड़ा! लेकिन इस बार बिहार में जो हुआ, वो कुछ ज़्यादा ही था। मतदान केंद्रों पर गड़बड़ियां, प्रशासन का एकतरफा रवैया… शिकायतों का पुलिंदा ही बन गया। और फिर राहुल जी ने तो पूछ ही लिया – क्या हमारी संवैधानिक संस्थाएं अब सच में इतनी कमज़ोर हो गई हैं? सवाल तो वाजिब है, लेकिन जवाब कौन देगा?

क्या हुआ असल में? बयान से बवाल तक

अब ये मामला कहां से कहां पहुंच गया! राहुल ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में EC को ‘लोकतंत्र का दुश्मन’ तक कह डाला। भई ये तो बात बन गई! भाजपा वाले तो जैसे आग बबूला हो गए – “संविधान की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं!” वहीं EC चुपचाप बैठा है, लेकिन सूत्रों की मानें तो वो कानूनी रास्ता अपनाने की तैयारी में है। और तो और, कुछ एक्सपर्ट्स तो ये भी कह रहे हैं कि ये मामला सुप्रीम कोर्ट तक जा सकता है। अब ये सब देखने वाली बात होगी!

राजनीति का नया मैदान: कौन किसके साथ?

इस पूरे विवाद ने तो सियासत का नक्शा ही बदल दिया है। भाजपा वाले राहुल पर हमलावर – “ये तो हार का रोना है!” वहीं कांग्रेस अपने स्टैंड पर अड़ी हुई है। उनका कहना है कि जब संस्थाएं कमज़ोर होती हैं, तो लोकतंत्र खतरे में पड़ जाता है। और तो और, महागठबंधन वाले भी इस मौके पर एकजुट दिखे। लालू प्रसाद यादव ने तो सीधे बिहार में ‘चुनावी धांधली’ का आरोप लगा दिया। अब देखना ये है कि ये एकजुटता कब तक टिकती है!

आगे क्या? 2024 की तैयारी शुरू

असल में ये सिर्फ़ एक बयान-प्रतिबयान का मामला नहीं रहा। इसके बड़े नतीजे हो सकते हैं। EC कानूनी कार्रवाई करेगा? सुप्रीम कोर्ट हस्तक्षेप करेगा? और सबसे बड़ी बात – 2024 के चुनावों पर इसका क्या असर पड़ेगा? विपक्ष इस मौके को चुनाव सुधारों की मांग के लिए इस्तेमाल कर सकता है। सरकार पर दबाव बढ़ सकता है। राजनीति का पासा पलट सकता है!

सच कहूं तो, ये कोई साधारण राजनीतिक विवाद नहीं है। ये तो भारतीय लोकतंत्र की बुनियादी सवालों पर बहस है। एक तरफ सरकार संस्थाओं की ‘इज्ज़त’ की बात कर रही है, तो दूसरी तरफ विपक्ष पूछ रहा है – इज्ज़त तो तब होती है जब संस्थाएं स्वतंत्र हों! अब देखना ये है कि ये बहस कहां तक जाती है। एक बात तो तय है – आने वाले दिनों में राजनीति और गरमाने वाली है!

यह भी पढ़ें:

राहुल गांधी और Election Commission की यह टकराव सिर्फ एक सियासी झगड़ा भर नहीं है, बल्कि असल में हमारे संविधान की बुनियाद से जुड़ा सवाल है। देखा जाए तो, यहां दो बातें एक साथ चल रही हैं – एक तरफ तो संवैधानिक मर्यादा का मामला है, तो दूसरी ओर ये पूरा विवाद कहीं न कहीं चुनावी रणनीति का हिस्सा भी लगता है।

ईमानदारी से कहूं तो, इस पूरे प्रकरण ने हमारे लोकतंत्र की उन नाज़ुक नसों को छू दिया है जिन पर हमें गर्व होना चाहिए। पर सवाल यह है कि क्या हम वाकई निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया को लेकर गंभीर हैं?

अंत में तो जनता की समझदारी और न्यायपालिका पर भरोसा ही इसका हल होगा। वैसे भी, इतिहास गवाह है कि आखिरकार सच्चाई की ही जीत होती है। है न?

Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com

More From Author

“सुप्रीम कोर्ट ने Air India सेफ्टी ऑडिट याचिका खारिज, पूछा- ‘केवल एक एयरलाइन को ही क्यों निशाना बनाया?'”

“ट्रंप के टैरिफ का जबरदस्त तोड़! भारत की कमाई 10 गुना बढ़ने की संभावना”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Recent Comments