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“राहुल गांधी का झूठ पकड़ा गया! बेंगलुरु परिवार ने खोला सच का पर्दा”

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राहुल गांधी का दावा धरा का धरा रह गया? बेंगलुरु के एक परिवार ने किया बड़ा खुलासा!

अरे भई, कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी फिर सुर्खियों में हैं – लेकिन इस बार सही कारणों से नहीं। हाल ही में उन्होंने बेंगलुरु से 90 लाख वोटर गायब होने का जो बम फोड़ा था, वह अब खुद उनके मुंह पर फटने लगा है। और सच्चाई सामने लाने वाला कोई बड़ा नेता नहीं, बल्कि बेंगलुरु का एक साधारण middle-class परिवार! है न मजेदार?

क्या चल रहा है असल में?

देखिए न, पिछले हफ्ते राहुल जी ने एक प्रेस conference में ऐसा दावा किया कि सुनकर लगा जैसे बेंगलुरु की पूरी वोटर लिस्ट ही गायब हो गई हो। “लोकतंत्र पर हमला” जैसे भारी-भरकम शब्दों का इस्तेमाल करके उन्होंने चुनाव आयोग को भी नहीं छोड़ा। लेकिन… अब जब एक आम परिवार ने अपने original वोटर ID कार्ड दिखा दिए हैं, तो सवाल उठना लाजमी है – क्या यह सब सिर्फ एक political stunt था?

कैसे पलटी कहानी?

बात यूं हुई कि बेंगलुरु के रहने वाले शर्मा परिवार (नाम बदला हुआ है) ने मीडिया को अपने सारे documents दिखा दिए। परिवार के मुखिया ने बताया – “अरे भई, हम तो यहां पिछले 15 साल से वोट डाल रहे हैं। online चेक किया तो हम सबके नाम वोटर लिस्ट में मौजूद हैं!” और सचमुच, चुनाव आयोग ने भी इसकी पुष्टि कर दी।

एक तरफ तो यह खबर, दूसरी तरफ राहुल जी का दावा… किस पर यकीन करें? सच तो यह है कि आयोग ने तो special team बना कर जांच भी शुरू कर दी है।

राजनीति गरमाई

अब तो मजा आ गया! BJP के प्रह्लाद जोशी जी तो मानो मौके की तलाश में ही बैठे थे – “यह तो राहुल जी की आदत बन गई है, बिना सबूत के आरोप लगाना!” वहीं कांग्रेस के सुरजेवाला जी defensive हो गए – “हम जांच कर रहे हैं…” वाला रटा-रटाया जवाब।

लेकिन असल सवाल यह है – क्या civil society groups की मांग सही नहीं कि पूरी वोटर लिस्ट की independent audit होनी चाहिए? ADR जैसे संगठन तो यही कह रहे हैं। सच्चाई चाहे जो हो, पर transparent mechanism तो होना ही चाहिए न?

अब आगे क्या?

चुनाव आयोग ने तो पूरे कर्नाटक की वोटर लिस्ट review करने का फैसला कर ही लिया है। political analysts की मानें तो यह मामला राहुल गांधी की credibility के लिए बहुत बड़ा झटका साबित हो सकता है। खासकर तब, जब कांग्रेस के पास concrete evidence ही न हो।

और हां… BJP के sources कह रहे हैं कि पार्टी इस मुद्दे को national level पर उठाने वाली है। अब देखना यह है कि कांग्रेस इससे कैसे पार पाती है। क्या वे कोई solid data पेश कर पाएंगे? या फिर यह एक और उदाहरण बन जाएगा “फर्स्ट थिंक, थेन स्पीक” का?

एक बात तो तय है – अगले कुछ दिनों की राजनीति बहुत मसालेदार रहने वाली है! आपको क्या लगता है? कमेंट में बताइएगा जरूर।

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Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com

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