जाति जनगणना पर राहुल गांधी ने क्या कहा? ‘BJP दबाव में झुकी, लेकिन…’
अब ये मामला गरमा गया है! कांग्रेस के राहुल गांधी ने Caste Census को लेकर एक ऐसा बयान दिया है जिसने दिल्ली की राजनीति को हिला कर रख दिया। उनका कहना है कि भाजपा सरकार जनता के दबाव में तो जाति जनगणना कराने को राजी हो गई है, मगर… और यहाँ एक बड़ा ‘मगर’ है… वो इसे पारदर्शी तरीके से नहीं करने वाली। सीधी सी बात है – मौका मिले तो हेराफेरी करेगी। ये बयान ऐसे वक्त में आया है जब पूरे देश में जाति के आँकड़ों को लेकर बहस जोरों पर है।
पीछे क्या है पूरा माजरा?
देखिए, जाति जनगणना की मांग कोई नया नहीं है। हम सब जानते हैं कि 2011 की Census में जाति के आँकड़े आखिर क्यों नहीं छापे गए? सालों से ये मुद्दा गर्म रहा है, पर अब तक सरकार ने कान खुले रखे थे। अब जबकि चुनाव नज़दीक आ रहे हैं, BJP और विपक्ष के बीच इस मुद्दे पर तीखी नोंकझोंक शुरू हो गई है। असल में, ये सियासत का वो पुराना खेल है जिसमें हर पार्टी अपनी रोटियाँ सेक रही है।
राहुल का बयान – क्या है असली मतलब?
राहुल गांधी ने जो दो बातें कहीं, वो सुनने में साधारण लग सकती हैं, पर हैं बेहद अहम। पहली – BJP दबाव में झुक गई। दूसरी – और ये ज्यादा चिंता की बात है – कि वो इसे सही से कराएगी नहीं। उनके शब्दों में – “दबाव में तो BJP मान गई है, पर ईमानदारी से काम करेगी? शक़ है।” ये बयान देते ही राजनीति के पंडितों के बीच नई बहस छिड़ गई है। सच कहूँ तो, ये सिर्फ़ जनगणना नहीं, सियासी चालबाज़ी का मामला बन चुका है।
कौन क्या बोला? राजनीतिक हलचल
इसके बाद तो जैसे तूफ़ान आ गया। कांग्रेस के नेता राहुल के साथ खड़े दिखे, वहीं BJP वालों ने इसे ‘बेबुनियाद’ बताया। पर सबसे दिलचस्प बात? OBC और दलित संगठनों ने भी इस मौके पर अपनी आवाज़ बुलंद की है। ये संगठन सालों से जाति आँकड़ों की मांग कर रहे हैं। अब देखना ये है कि ये मामला कितना आगे जाता है।
आगे क्या? भविष्य की गुत्थी
अब तो ये मुद्दा संसद से लेकर चाय की दुकान तक चर्चा का विषय बन चुका है। अगर जाति जनगणना हुई भी, तो क्या ये देश की Reservation System को बदल देगी? कई लोग कह रहे हैं – ये तो सिर्फ़ शुरुआत है। विपक्ष दबाव बनाए हुए है, और सरकार को जल्द ही कोई ठोस जवाब देना पड़ सकता है। एक बात तो तय है – अगले कुछ महीनों में ये मुद्दा और गरमायेगा। राजनीति का नया चेहरा बनकर उभरा है ये सवाल।
राहुल गांधी का यह बयान सिर्फ जाति जनगणना के आंकड़ों से आगे की बात करता है। असल में, मामला सामाजिक न्याय का है, है न? अब देखिए, BJP सरकार दबाव में यह गणना करा भी दे, तो क्या हमें विश्वास होगा कि यह पूरी तरह पारदर्शी होगी? मुझे तो संदेह है।
और सच कहूं तो, यह कोई छोटी-मोटी बहस नहीं है। देश का भविष्य दांव पर लगा है। जनता को सच्चाई पता चलनी ही चाहिए – वरना फिर क्या मतलब है इन सब राजनीतिक दावों-प्रतिदावों का?
एक तरफ तो ये आंकड़े ज़रूरी हैं… लेकिन दूसरी तरफ, क्या हम सच में इन्हें सही तरीके से इस्तेमाल कर पाएंगे? सोचने वाली बात है।
Source: NDTV Khabar – Latest | Secondary News Source: Pulsivic.com