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“राहुल गांधी को शशि थरूर का समर्थन, चुनाव आयोग पर ‘वोट चोरी’ को लेकर उठाए सवाल”

राहुल गांधी को शशि थरूर का समर्थन: ‘वोट चोरी’ का आरोप या सच्चाई?

कांग्रेस के युवा नेता राहुल गांधी ने गुरुवार को जो कुछ कहा, उसने राजनीतिक गलियारों में तूफान ला दिया है। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने चुनाव आयोग पर सीधा निशाना साधा – और ये कोई हल्के-फुल्के आरोप नहीं थे। उनका दावा? कई राज्यों में वोटर लिस्ट के साथ खिलवाड़ हुआ है। अब सवाल यह है कि अगर ये सच है, तो फिर हमारे चुनावों पर कैसे भरोसा करें? चुनाव आयोग ने तो इन आरोपों को झटक दिया है, लेकिन असली मजा तब आया जब कांग्रेस के ही एक और बुद्धिजीवी नेता शशि थरूर ने राहुल का खुलकर साथ दिया। अब ये मामला सिर्फ आरोप-प्रत्यारोप से आगे बढ़ चुका है।

असल में देखा जाए तो ये कोई नई बात नहीं। पिछले कुछ महीनों से विपक्षी दल ईवीएम और वोटर लिस्ट को लेकर सवाल उठाते रहे हैं। राहुल तो जैसे इस मुद्दे पर अपनी आवाज़ बुलंद करने में विश्वास रखते हैं। पर चुनाव आयोग का कहना है कि सब कुछ ठीकठाक है। तो फिर सच क्या है? ये टकराव अब एक ऐसे मोड़ पर आ पहुंचा है जहां दोनों तरफ से बयानबाजी का तापमान लगातार बढ़ता जा रहा है।

राहुल की प्रेस कॉन्फ्रेंस में कुछ चौंकाने वाले दावे सामने आए। लाखों वोटरों के नाम गायब? नए नाम गलत तरीके से जोड़े गए? अगर ये सच है तो ये सीधे-सीधे “वोट चोरी” जैसा मामला है। लेकिन चुनाव आयोग ने इन दावों को सिरे से खारिज कर दिया – “बिना सबूत के आरोप” बताया। भाजपा वालों ने तो राहुल पर संवैधानिक संस्था को बदनाम करने का आरोप लगा दिया। पर शशि थरूर ने जो कहा, वो सुनने लायक है – “लोकतंत्र में पारदर्शिता से समझौता नहीं किया जा सकता।” सच कहूं तो, ये बहस सिर्फ राजनीति से आगे की बात है।

अब देखिए न, हर पार्टी की प्रतिक्रिया उसके एजेंडे को ही दिखाती है। भाजपा कहती है – “राहुल संस्थाओं को कमजोर कर रहे हैं।” कांग्रेस का जवाब – “लोकतंत्र खतरे में है।” और थरूर साहब ने तो बात को और गहरा कर दिया। उनका कहना है कि चुनाव सुधारों पर गंभीर चर्चा होनी चाहिए। मतलब साफ है – ये मामला अब जल्द खत्म होने वाला नहीं।

तो अब क्या? सूत्रों की मानें तो विपक्ष चुनाव आयोग के खिलाफ सर्वदलीय बैठक करने की तैयारी में है। चुनाव आयोग ने जांच का वादा तो किया है, पर अभी तक कुछ हुआ नहीं। अगर ये मामला और उछला तो क्या पता, विपक्ष सुप्रीम कोर्ट या राष्ट्रपति तक जा पहुंचे। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि आने वाले चुनावों में ये मुद्दा बड़ा रोल अदा कर सकता है। खासकर ईवीएम और वोटर लिस्ट को लेकर उठ रहे सवाल तो अब बार-बार सुनाई देंगे।

अंत में बस इतना कि ये विवाद सिर्फ एक पार्टी या नेता की बात नहीं रह गया है। ये तो हमारे लोकतंत्र की मजबूती का सवाल है। एक तरफ राहुल और थरूर जैसे नेता सिस्टम में सुधार चाहते हैं, तो दूसरी तरफ सरकार इसे राजनीतिक हमला बता रही है। आने वाले दिनों में ये मामला और गरमाने वाला है – और शायद ये हमारे लोकतंत्र के लिए एक अहम परीक्षा साबित हो।

यह भी पढ़ें:

राहुल गांधी और शशि थरूर का साथ – कुछ सवाल जो दिमाग में आते हैं

1. शशि थरूर ने राहुल गांधी का साथ क्यों दिया? असल में क्या वजह है?

देखिए, शशि थरूर जैसे बुद्धिजीवी का राहुल गांधी को support करना कोई आम बात नहीं है। मेरी नज़र में, यह सिर्फ़ पार्टी लाइन से ज़्यादा है। थरूर साहब EVM और vote की सुरक्षा को लेकर उठाए गए सवालों से पूरी तरह सहमत हैं। और सच कहूँ तो, इन मुद्दों पर बहस होनी ही चाहिए।

2. चुनाव आयोग पर आरोप – क्या सच में कुछ गड़बड़ है?

अब यहाँ दिलचस्प बात यह है कि Congress ने सीधे-सीधे चुनाव आयोग पर उंगली उठाई है। उनका कहना है कि EVM के ज़रिए vote में हेराफेरी हो रही है। पर सवाल यह है कि अगर ऐसा है तो फिर चुनाव आयोग चुप क्यों है? थोड़ा अजीब लगता है, है ना?

3. क्या यह जोड़ी Congress को नई ऊर्जा दे पाएगी?

एक तरफ़ शशि थरूर का विद्वतापूर्ण व्यक्तित्व, दूसरी तरफ़ राहुल गांधी का जनता से जुड़ाव। अगर यह partnership ठीक से काम करे तो Congress के लिए game-changer हो सकती है। लेकिन याद रखिए, राजनीति में कुछ भी तय नहीं होता!

4. EVM विवाद पर चुनाव आयोग की चुप्पी – क्या मतलब निकालें?

सबसे हैरान करने वाली बात? चुनाव आयोग की ख़ामोशी। अब तक कोई official बयान नहीं। हालांकि पहले वे EVM को पूरी तरह सुरक्षित बता चुके हैं। पर सवाल तो वही रहता है – अगर कुछ गलत नहीं हो रहा, तो जवाब क्यों नहीं देते?

Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com

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