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“झुग्गियां तोड़ने पर राहुल गांधी का बयान – ‘नहीं सिर्फ घर, गरीबों का सहारा छीना!’ | दिल्ली में BJP पर हमला”

राहुल गांधी का बयान: “झुग्गियां तोड़ने से गरीबों का सहारा छीना!” – क्या यह सचमुच विकास है?

अरे भई, राहुल गांधी फिर से सुर्खियों में हैं। और इस बार उन्होंने दिल्ली की झुग्गी बस्तियों के मामले में BJP सरकार को घेर लिया है। असल में बात ये है कि उन्होंने विस्थापितों से मिलकर एक ऐसा बयान दिया जो सीधे दिल पर चोट करता है – “सरकार गरीबों की रोटी छीन रही है।” सच कहूं तो, ये सिर्फ राजनीति नहीं, एक ऐसा मुद्दा है जो हर भारतीय को सोचने पर मजबूर कर देता है।

क्या सच में सिर्फ कानून की बात है? या कुछ और भी है?

देखिए, प्रशासन का कहना तो ये है कि ये सब अतिक्रमण हटाने के लिए किया गया। लेकिन सवाल ये उठता है – क्या बिना किसी पुनर्वास के ऐसा करना सही था? मैंने कुछ परिवारों से बात की तो पता चला, उनके छोटे-मोटे business भी चौपट हो गए। एक ऑटो चालक ने बताया, “साहब, हमारी गाड़ी तो नीचे दब गई, अब कमाएं कैसे?” ऐसे में सरकार के तर्क और जमीनी हकीकत में कितना फर्क है?

राहुल का दौरा: सिर्फ photo-op या असली चिंता?

अब यहां दिलचस्प बात ये है कि राहुल ने सिर्फ मीडिया के लिए शो नहीं किया। उन्होंने social media पर इन लोगों की आवाज़ को एक platform दिया। और सच कहूं तो, उनका ये वाक्य – “यह सिर्फ झोपड़ियाँ तोड़ने की बात नहीं…” – ने ट्विटर पर तूफान ला दिया। पर सवाल ये भी है कि क्या संसद में इसका कोई ठोस नतीजा निकलेगा? या फिर ये सब भी वोट बैंक की राजनीति का हिस्सा है?

राजनीति का पेंच: कौन किसके खिलाफ?

मजे की बात ये रही कि BJP ने इसे “छिछोरा ड्रामा” बताया तो AAP भी मौका नहीं चूकी। लेकिन असली सवाल तो ये है कि इन सबके बीच गरीबों का क्या होगा? कुछ social workers ने सही कहा – “भाई, झुग्गी तोड़ो तो ठीक है, पर पहले वैकल्पिक इंतजाम तो करो।” एकदम सटीक बात, है न?

आगे क्या? क्या मिलेगा न्याय?

अब नजर इस पर है कि सरकार कोई नया policy लाएगी या नहीं। कुछ विश्लेषक कह रहे हैं कि protest बढ़ सकते हैं। और सच तो ये है कि ये मुद्दा अब दिल्ली से बाहर निकल चुका है। पूरे देश में बहस छिड़ गई है – development और humanity के बीच का ये conflict कैसे सुलझेगा? एक तरफ सुव्यवस्थित शहर की जरूरत, दूसरी तरफ बिना adequate alternative के विस्थापन। कठिन सवाल है। बहुत कठिन।

अंत में सिर्फ इतना कहूंगा – चाहे जिस पार्टी को सपोर्ट करो, पर इतना तो मानो कि गरीब की रोटी से खिलवाड़ किसी भी development में justify नहीं हो सकता। सच ना?

Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com

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