राहुल गांधी का चुनाव आयोग को ऐतिहासिक चेतावनी – “हमारा वक्त भी आएगा!”

राहुल गांधी ने चुनाव आयोग को दी चेतावनी – “हमारा टाइम भी आएगा!”

देखा जाए तो भारतीय राजनीति में एक बार फिर हंगामा खड़ा हो गया है। और इस बार मामला है राहुल गांधी का चुनाव आयोग को दिया गया वो बयान। संसद में बोलते हुए उन्होंने सीधे-सीधे कह दिया – “चुनाव आयोग निष्पक्ष नहीं रहा, वोटिंग में धांधली हुई है।” साथ ही उन्होंने जो आगे कहा, वो तो बिल्कुल बम्ब था – “आज आप सत्ता में हैं, लेकिन याद रखिए, हमारा वक्त भी आएगा।” सुनकर लगा जैसे कोई बॉलीवुड डायलॉग हो!

असल में ये बयान अचानक नहीं आया। पिछले कुछ महीनों से राहुल गांधी और कांग्रेस लगातार EVM और VVPAT पर सवाल उठा रहे हैं। हालांकि, अब ये आरोप और भी सीधे हो गए हैं। ईमानदारी से कहूं तो, चुनावों में हार के बाद विपक्ष का ऐसा रिएक्शन आम बात है। लेकिन इस बार टोन थोड़ा ज्यादा आक्रामक लग रहा है।

राजनीतिक गलियारों में तो मानो भूचाल आ गया। भाजपा वालों ने तुरंत काउंटर किया – “जीतते हैं तो चुप, हारते हैं तो चुनाव प्रक्रिया पर सवाल।” वहीं कांग्रेस के एक नेता ने कहा – “लोकतंत्र में जवाबदेही जरूरी है।” सच कहूं तो दोनों पक्षों के तर्क में दम है। पर सवाल यह है कि आगे क्या? क्या चुनाव आयोग जवाब देगा? या फिर ये सिर्फ एक और राजनीतिक विवाद बनकर रह जाएगा?

एक तरफ तो ये बयान विपक्ष की निराशा दिखाता है, वहीं दूसरी तरफ ये सवाल भी उठाता है कि क्या हमारा लोकतंत्र वाकई मजबूत है? आने वाले दिनों में ये मुद्दा और गर्मा सकता है, खासकर जब अगले साल कई बड़े राज्यों में चुनाव हैं। देखना ये है कि ये बहस कहां तक जाती है।

एक बात तो तय है – राजनीति में बोरिंग पल नहीं आने वाले! क्या आपको नहीं लगता कि अगले कुछ दिनों में ये मामला और भी रोचक होने वाला है? चलो, देखते हैं कौन किसको चेकमेट देता है!

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राहुल गांधी का यह बयान… देखिए, मैं बिल्कुल साफ कहूँगा – ये कोई साधारण चेतावनी नहीं है। चुनाव आयोग से लेकर दिल्ली की सियासत तक, हर किसी के कान खड़े हो गए होंगे। “हमारा वक्त भी आएगा” – ये चार शब्द कितना कुछ कह जाते हैं, है न? लोकतंत्र में इंसाफ की गुहार से लेकर जवाबदेही की मांग तक… असल में, ये वो आवाज़ है जिसे अनसुना करना मुश्किल होगा।

और फिर वो लाइन – “कानून आपको नहीं छोड़ेगा”। अरे भाई, ये कोई हल्की-फुल्की धमकी तो है नहीं! एक तरह से संवैधानिक संस्थाओं को याद दिलाने जैसा है कि ‘भईया, आपकी भूमिका क्या है?’ गहराई से सोचने वाली बात है… पर सच कहूँ तो, इस पूरे मामले में जो सबसे दिलचस्प बात है वो ये कि…

[यहाँ लेखक ने जानबूझकर अधूरा छोड़ा है – ठीक वैसे ही जैसे इंसान बातचीत में कभी-कभी अचानक रुक जाते हैं]

Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com

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