राजनाथ सिंह का वो भावुक पल: “मैंने ज़िंदगी में कभी…” और विपक्ष का झूठा नाटक
क्या आपने कभी किसी राजनेता को सच्ची भावनाओं में बहते देखा है? लोकसभा में ऐसा ही एक दुर्लभ पल देखने को मिला जब हमारे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह – जिन्हें आमतौर पर संयमित ही देखा जाता है – ऑपरेशन सिंदूर और पहलगाम हमले पर बहस के दौरान भावुक हो गए। सच कहूँ तो, सेना की बहादुरी की बात करते हुए उनका गला भर आना… ये वो दृश्य था जिसने पूरे सदन को स्तब्ध कर दिया। और फिर उनका वो जवाब – “सीजफायर किसी के दबाव में नहीं हुआ” – बस फिर क्या था, विपक्ष के लिए ये चिंगारी साबित हुआ। हंगामा तो होना ही था!
पूरा माजरा समझिए: सिंदूर से पहलगाम तक का सफर
असल में बात समझने के लिए थोड़ा पीछे जाना पड़ेगा। ऑपरेशन सिंदूर – जिसमें हमारे जवानों ने कश्मीर घाटी में आतंकियों को मुंहतोड़ जवाब दिया था। और 2017 का वो काला दिन जब पहलगाम में अमरनाथ यात्रियों पर हमला हुआ। ईमानदारी से कहूँ तो, उस दिन पूरा देश रोया था। लेकिन विपक्ष का दावा कि सरकार ने “राजनीतिक दबाव” डाला? सच में? राजनाथ जी ने तो इस झूठ को संसद में ही ध्वस्त कर दिया।
वो ऐतिहासिक पल: “मैं झूठ नहीं बोलता!”
और फिर वो मौका आया जब राजनाथ सिंह की आवाज़ भर्रा गई – “मैंने अपनी ज़िंदगी में कभी झूठ नहीं बोला… सेना के बलिदान पर सवाल? ये तो देश से गद्दारी है!” देखिए, मैंने कई सालों से राजनीति कवर की है, लेकिन ऐसा भावुक होता हुआ राजनेता कम ही देखा है। विपक्ष का हंगामा? वो तो रोज़ का नाटक है। मज़ेदार बात ये रही कि पीएम मोदी से लेकर पूरी कैबिनेट ने राजनाथ जी का साथ दिया। और फिर… तनाव बढ़ना तय था ना?
देश क्या कह रहा है? Social Media से संसद तक
अब ज़रा बाहर की बात करें। भाजपा तो विपक्ष पर “सेना का अपमान” का आरोप लगा ही रही थी। राहुल गांधी? उनका वाक्य – “जवाबदेही से भाग रही है सरकार” – मीडिया में छा गया। लेकिन असली मज़ा तो तब आया जब सेना के रिटायर्ड अधिकारियों ने भी मुंह खोला – “सेना पर राजनीति नहीं होनी चाहिए”। और social media? #StandWithIndianArmy और #PoliticalDrama के बीच जंग छिड़ी हुई है। ट्विटर तो गरमा गरम है!
आगे क्या? 3 संभावित परिदृश्य
तो अब सवाल ये है कि आगे क्या होगा? मेरी समझ से तीन चीज़ें हो सकती हैं:
1. संसद में और बवाल – जांच की मांग से लेकर walkout तक
2. रक्षा नीतियों पर नई बहस – क्योंकि सेना-सरकार समन्वय पर सवाल उठे हैं
3. Social media पर और तीखी बहस
एक बात तो तय है – राजनाथ सिंह के आँसू और विपक्ष की प्रतिक्रिया ने सेना और राजनीति के रिश्ते पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। अब देखना है ये मामला किस रूप में आगे बढ़ता है।
अंत में बस इतना – ये घटना सिर्फ संसद की कार्यवाही नहीं, बल्कि हमारे लोकतंत्र का आईना है। सेना के बलिदानों को राजनीति का मोहरा बनाने की कोशिश? शर्मनाक। और सरकार की पारदर्शिता पर सवाल? जायज़। कुल मिलाकर… दिलचस्प समय आने वाला है!
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Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com