“ऑपरेशन सिंदूर पर राजनाथ सिंह का बयान: भगवान हनुमान का जिक्र क्यों किया?”

राजनाथ सिंह का ‘ऑपरेशन सिंदूर’ वाला बयान: हनुमान जी का ज़िक्र कहाँ से आ गया?

अरे भाई, क्या बात है ना? हमारे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने तो लोकसभा में ऐसा बयान दिया कि पूरा मीडिया और राजनीतिक गलियारा हलचल में आ गया। 2008 के मुंबई हमले के बाद हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर बात करते-करते अचानक हनुमान जी का उदाहरण क्यों दे दिया? सच कहूँ तो ये बयान इतना मसालेदार है कि समझने के लिए थोड़ा पीछे जाना पड़ेगा।

वो ब्लैक फ्राइडे जिसने देश को हिला दिया

याद है ना वो 26/11? मुंबई पर हुए उस आतंकी हमले ने तो जैसे पूरे देश की नींद उड़ा दी थी। Lashkar-e-Taiba के लोगों ने शहर के दिल पर हमला बोला था – टाटा हॉस्पिटल, ताज होटल, लियोपोल्ड कैफे… और 166 बेगुनाहों की जान चली गई। पर सबसे दुखद क्या था? UPA सरकार की वो सुस्त प्रतिक्रिया। राजनाथ जी तो बिल्कुल सही कह रहे हैं – BRICS summit के दस्तावेज़ों में तक मुंबई हमले का ज़िक्र नहीं था! ये तो वैसा ही है जैसे कोई आपके घर में घुसकर मारपीट करे और आप FIR तक न लिखवाएं।

और फिर आता है ‘ऑपरेशन सिंदूर’… वो भारतीय सेना की वो गुप्त कार्रवाई जिसने पाकिस्तान को साफ संदेश दिया – “अब बस हो गया!” पर एक सवाल तो उठता ही है – क्या ये ऑपरेशन वाकई में इतना प्रभावी था? कुछ एक्सपर्ट्स तो मानते हैं, कुछ नहीं। असल में, यहीं से शुरू होती है असली कहानी।

हनुमान जी और भारतीय सेना: क्या है कनेक्शन?

अब राजनाथ सिंह ने क्या कहा? उन्होंने तो सीधे हनुमान जी का उदाहरण दे डाला! कहने लगे कि हमारी सेना अब हनुमान जी जितनी ताकतवर हो गई है। सुनकर अच्छा लगा, पर साथ ही एक झटका भी लगा। क्यों? क्योंकि विपक्ष तो इस पर टूट पड़ा – “ये तो धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ है!”

देखिए ना, एक तरफ BJP का कहना है कि ये तो सिर्फ भारत की सैन्य शक्ति का प्रतीक है। वहीं कांग्रेस वालों का कहना है कि धार्मिक प्रतीकों को राजनीति में घसीटा जा रहा है। और सच्चाई? शायद इन दोनों के बीच कहीं है। सेना के कुछ वरिष्ठ अधिकारी भी मानते हैं कि फौजी ऑपरेशन्स को धार्मिक संदर्भों से जोड़ना ठीक नहीं। आखिरकार, हमारी सेना तो हिंदू-मुस्लिम-सिख-ईसाई सबको बराबर देखती है ना?

2024 से पहले का ये नया मुद्दा: क्या होगा असर?

अब सवाल ये उठता है कि आने वाले चुनावों में ये मुद्दा कैसे खेलेगा? विपक्ष तो मीडिया में इसे उछालेगा ही, वहीं सरकार इसे अपनी सख्त आतंकवाद-विरोधी छवि के तौर पर पेश करेगी। और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर? Pakistan तो रिएक्ट करेगा ही, बाकी पड़ोसी देश भी अपनी-अपनी राय देंगे।

पर सबसे बड़ा सवाल तो ये है – क्या राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों को धार्मिक प्रतीकों से जोड़ना चाहिए? एक तरफ तो ये देश की ताकत दिखाने का तरीका हो सकता है, पर दूसरी तरफ ये समाज के कुछ वर्गों को अलग-थलग भी कर सकता है। और भारत जैसे देश में, जहाँ राजनीति और धर्म का रिश्ता बेहद नाज़ुक है, ये मुद्दा आगे कई बहसों को जन्म दे सकता है।

तो कुल मिलाकर? राजनाथ सिंह का ये बयान कोई साधारण बयान नहीं है। ये तो उस बड़ी बहस की शुरुआत है जहाँ हमें तय करना होगा कि राष्ट्रीय सुरक्षा और धार्मिक भावनाओं के बीच संतुलन कैसे बनाया जाए। और हाँ, ये बहस अभी बस शुरू हुई है – आगे और भी मसालेदार मोड़ आने वाले हैं!

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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का हालिया बयान तो सच में काबिले-गौर है। ऑपरेशन सिंदूर पर बात करते हुए उन्होंने भगवान हनुमान का उदाहरण दिया – और सोचिए, यह सिर्फ एक धार्मिक संदर्भ नहीं था। असल में, यह हमारे सैनिकों के उसी साहस और समर्पण की बात कर रहा था जो हनुमान जी में था। मजेदार बात यह है कि ऐसे उदाहरण हमारे नेताओं को अक्सर याद आते हैं… शायद इसलिए कि ये जनता से सीधे जुड़ते हैं?

अब सवाल यह है कि इसका असल मतलब क्या है? देखा जाए तो यह सिर्फ एक भाषण नहीं, बल्कि दो बड़े संदेश हैं – एक तो हमारी सेना की ताकत को सलाम, और दूसरा… हमारी संस्कृति और सुरक्षा नीतियों का गहरा नाता। ईमानदारी से कहूं तो, जब नेता ऐसे उदाहरण देते हैं तो लोगों का जोश देखने लायक होता है। सोशल मीडिया पर तो मानो आग लग गई थी!

लेकिन एक चीज साफ है – भारत की सुरक्षा की बात हो या देशभक्ति की भावना, हमारी सांस्कृतिक जड़ें हमेशा से इसमें शामिल रही हैं। और यह कोई नई बात नहीं… बस, अब इसे खुलकर कहा जा रहा है। क्या आपको नहीं लगता कि ऐसे संदेशों से आम आदमी का जुड़ाव बढ़ता है? मेरा तो यही मानना है।

Operation सिंदूर और राजनाथ सिंह का बयान – जानिए पूरी कहानी

Operation सिंदूर क्या है? और ये इतना चर्चा में क्यों है?

देखिए, 2019 का वो वक्त याद है जब पुलवामा हमले के बाद पूरा देश गुस्से में था? तभी भारतीय वायुसेना ने एक surgical strike की थी – जिसे हम Operation सिंदूर के नाम से जानते हैं। असल में ये कोई सामान्य military operation नहीं था। ये वो पल था जब भारत ने साफ संदेश दिया कि अब बस हो गया! आतंकवादी camps को तबाह करने वाली इस ऑपरेशन ने हमारी सुरक्षा नीति का पूरा नक्शा ही बदल दिया। सच कहूँ तो, ये उतना ही important था जितना कि किसी war में पहला attack।

राजनाथ सिंह ने हनुमान जी का example क्यों दिया? समझिए असली मतलब

अब यहाँ थोड़ा interesting twist आता है। हमारे रक्षा मंत्री जी ने जब हनुमान जी की बात की, तो ये सिर्फ religious reference नहीं था। इसे ऐसे समझिए – जैसे हनुमान जी ने लंका में असंभव काम किया था, वैसे ही हमारे जवानों ने भी mission impossible को possible बना दिखाया। राजनाथ सिंह का message साफ था – हमारी सेना में वही दिव्य शक्ति है। थोड़ा poetic, लेकिन सच्चाई यही है!

क्या Operation सिंदूर वाकई successful रहा? या सिर्फ दिखावा?

अच्छा सवाल! सरकार और army का दावा तो यही है कि ये 100% कामयाब रहा और terrorists को करारा जवाब मिला। पर… हमेशा की तरह कुछ international media वालों को शक था। मतलब, एक तरफ तो हमारे reports हैं, दूसरी तरफ उनके doubts। पर सच ये है कि ground reality कुछ और ही कहती है। जब तक हमारे soldiers safe हैं और दुश्मन को नुकसान हुआ है, बस इतना ही काफी है। है न?

Operation सिंदूर Vs बालाकोट एयर स्ट्राइक – क्या फर्क है?

वैसे तो दोनों ही anti-terror operations थे, लेकिन इनमें कुछ key differences हैं जो समझना जरूरी है। पहली बात तो timeline की – सिंदूर 2016 में हुआ, जबकि बालाकोट strike 2019 में पुलवामा के बाद। दूसरा, location अलग था। और सबसे बड़ी बात? सिंदूर में हमने सीमा पार करके strike किया, जो अपने आप में एक बड़ा statement था। सीधे शब्दों में कहें तो, दोनों operations ने ये साबित किया कि अब हम पहले वाले भारत नहीं हैं!

एकदम clear? अगर कोई doubt हो तो पूछिएगा जरूर। आखिर, ये हमारे देश की सुरक्षा की बात है न!

Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com

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