राजनाथ सिंह का वो बयान जिसने बदल दी ‘शांति’ की परिभाषा – क्या सच में शांति सिर्फ भ्रम है?
देखिए, राजनाथ सिंह जी ने तो बात कह दी है! भारत के रक्षा मंत्री का ये बयान – “शांति सिर्फ एक भ्रम है” – सुनकर मुझे भी चौंकाने वाला लगा। पर सोचिए, क्या ये सच में इतना चौंकाने वाला है? जब आपके पड़ोस में दो ऐसे देश हों जिनसे रोज़ नई टेंशन की खबरें आती हों, तो क्या आप बिना तैयारी के बैठ सकते हैं? मैं तो नहीं बैठ सकता। और शायद यही सोच है जो इस बयान के पीछे है।
ऑपरेशन सिंदूर: सिर्फ एक अभ्यास नहीं, एक मैसेज
असल में बात समझनी है तो ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को समझना ज़रूरी है। ये कोई रूटीन मिलिट्री एक्सरसाइज नहीं थी। हमारी वायुसेना ने जो कुछ दिखाया, वो ताकत का प्रदर्शन था। एक तरह से कहें तो – “देख लो हमारी ताकत” वाला मूड।
लेकिन यहाँ एक दिलचस्प बात – क्या आपने नोटिस किया कि पिछले कुछ सालों में हमारे रक्षा मंत्री का टोन कैसे बदला है? पहले वाले ‘सॉफ्ट स्पीच’ अब ‘स्ट्रॉन्ग स्टेटमेंट्स’ में बदल गए हैं। और ये बदलाव कोई एक दिन में नहीं आया। चीन की चालें, पाकिस्तान की हरकतें – इन सबने मिलकर हमारी सोच बदल दी है।
अब सवाल ये कि ये बयान क्यों अभी? मेरा मानना है कि ये कोई संयोग नहीं है। जब LAC पर तनाव हो और LOC पर गोलाबारी चल रही हो, तो ऐसे बयान सिर्फ बयान नहीं रह जाते। ये एक स्ट्रेटेजी का हिस्सा होते हैं। थोड़ा सा ‘माइंड गेम’ भी कह सकते हैं।
बयान का असली मतलब: क्या हम गलत समझ रहे हैं?
अब ज़रा ध्यान से सुनिए – राजनाथ सिंह ने जो कहा, उसका मतलब ये नहीं कि हम युद्ध चाहते हैं। बिल्कुल नहीं! असल में उनका कहना है कि “शांति के नाम पर नींद में मत रहो”। बड़ी सीधी सी बात है – जब तक आप मजबूत हैं, तभी तक शांति है। नहीं तो… आप खुद ही समझदार हैं।
और TEJAS, BRAHMOS जैसे प्रोजेक्ट्स पर जोर देना? ये कोई रैंडम बात नहीं है। मेरे एक फौजी दोस्त ने कहा था – “जब तक अपना खुद का नहीं होगा, तब तक दूसरों के सामने घुटने टेकने पड़ेंगे।” सच्ची बात है, है ना?
रिएक्शन्स: किसने क्या कहा?
अब ज़ाहिर है, ऐसे बोल्ड स्टेटमेंट पर रिएक्शन आएंगे ही। सेना वालों ने तो खुलकर सपोर्ट किया। उनका कहना है – “हमारा काम ही है तैयार रहना।” लेकिन विपक्ष? उन्हें तो मौका मिल गया सवाल उठाने का। एक नेता तो यहाँ तक कह गया – “क्या ये सरकार डर फैलाकर वोट मांग रही है?”
मेरा मानना? ऐसे बयानों को सिर्फ राजनीति की नज़र से देखना गलत है। हमारे देश की सुरक्षा इतनी सस्ती चीज़ नहीं है कि उसे पार्टी पॉलिटिक्स के चक्कर में उलझा दिया जाए।
आगे क्या? 3 बड़े बदलाव जो आ सकते हैं
मेरी राय में ये बयान सिर्फ बयान नहीं, एक ट्रेंड की शुरुआत है। देखिए न:
1. रक्षा बजट में बढ़ोतरी – खासकर स्वदेशी टेक्नोलॉजी के लिए
2. सीमाओं पर और ज्यादा तैयारी – चाहे LAC हो या LOC
3. राजनीतिक बहसें – जहाँ हर पार्टी अपना-अपना तीर चलाएगी
एक बात और – क्या आपने नोटिस किया कि अब हमारे नेता भी सीधे-सपाट बयान देने के बजाय स्ट्रेटेजिक मैसेज देने लगे हैं? मेरे ख्याल से ये अच्छा बदलाव है।
अंतिम बात: शांति या सतर्कता – क्या चुनेंगे हम?
सच कहूँ तो, ये कोई या-या वाला सवाल नहीं है। हमें दोनों चाहिए – शांति भी और सतर्कता भी। जैसे मैं अपने घर में शांति चाहता हूँ, लेकिन दरवाज़े पर ताला भी लगाता हूँ। सिंपल सी बात है।
राजनाथ सिंह का ये बयान हमें एक बार फिर याद दिलाता है कि दुनिया की रियलिटी क्या है। हम चाहें तो इसे नज़रअंदाज़ कर सकते हैं, लेकिन क्या ये समझदारी होगी? आप ही बताइए।
एक बात और – अगर ये बयान हमें थोड़ा सा भी जागरूक बनाता है, तो शायद इसका उद्देश्य पूरा हो गया। क्योंकि जागे हुए देश ही सच्ची शांति का आनंद ले पाते हैं। सोचिएगा ज़रूर…
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राजनाथ सिंह का ‘शांति सिर्फ भ्रम है’ वाला बयान – जानिए पूरा माजरा
अच्छा, तो राजनाथ सिंह ने ‘शांति सिर्फ भ्रम है’ ऐसा क्यों कह दिया?
देखिए, बात सीधी है। राजनाथ सिंह जी ने ये बयान हमारी सुरक्षा को लेकर दिया था। असल में उनका कहने का मतलब ये था कि “भैया, शांति के चक्कर में हमें नींद नहीं आनी चाहिए।” क्योंकि जब हम शांति को हमेशा के लिए मान लेते हैं, तो थोड़ा लापरवाह हो जाते हैं न? और यही वो पॉइंट था जिसे वो समझाना चाह रहे थे।
विवाद क्या है भई इस बयान को लेकर?
अरे, जैसा कि हमारे यहाँ हर बात का विवाद होता है! कुछ लोगों ने इसे पूरा का पूरा उल्टा समझ लिया। बोलने लगे कि ये तो अशांति फैलाने वाली बात है। जबकि सच तो ये है कि मंत्री जी सिर्फ ये कह रहे थे कि “जागो और सतर्क रहो।” पर आप जानते ही हैं न, कुछ लोगों का काम ही है चीजों को गलत तरीके से पेश करना।
क्या ये बयान किसी खास वजह से दिया गया था?
सुनिए, context तो साफ था – border पर चल रही हलचल और security के मुद्दे। हालांकि, राजनाथ सिंह ने कोई specific घटना का नाम नहीं लिया। पर आप समझ सकते हैं न? जब कोई मंत्री ऐसा बयान देता है तो उसके पीछे कोई न कोई वजह तो होती ही है। बस, इतना ही।
लोगों और opposition ने इस पर क्या रिएक्शन दिया?
अब यहाँ तो हमेशा की तरह दोनों तरफ के लोग अपना-अपना राग अलापने लगे। कुछ देशभक्त जनता ने इसे सही ठहराया, वहीं opposition वालों ने तो मानो मौका ही पा लिया – “ये तो बेवजह की बात है”, “लोगों को डराने की कोशिश” वगैरह-वगैरह। सच कहूँ तो, ये सब predictable था। है न?
Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com