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SCO मसौदे पर राजनाथ सिंह का इनकार! चीन-पाकिस्तान से अमेरिका तक, जानें भारत का बड़ा संदेश

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राजनाथ सिंह ने SCO के मसौदे पर कहा ‘ना’ – और ये सिर्फ एक इनकार नहीं, बल्कि चीन-पाक को एक साफ़ संदेश है!

अरे भाई, कभी-कभी ‘ना’ कहना ही सबसे बड़ी ताकत होती है। और यही किया हमारे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने जब उन्होंने SCO के उस विवादित मसौदे पर हस्ताक्षर करने से साफ़ मना कर दिया। असल में बात ये है कि ये कोई रूटीन डिप्लोमेसी नहीं थी – ये तो भारत का आतंकवाद के मामले में जीरो टॉलरेंस पॉलिसी का सीधा इजहार था। और सच कहूँ तो, चीन और पाकिस्तान के कान खड़े हो गए होंगे!

पूरा माजरा क्या है?

SCO यानी शंघाई सहयोग संगठन… नाम तो अच्छा है, लेकिन काम कुछ और ही चल रहा है। भारत, चीन, रूस, पाकिस्तान जैसे देश इसके मेंबर हैं। अब यहाँ पर बात आई एक मसौदे की जिसमें आतंकवाद को लेकर कुछ ऐसे पॉइंट्स थे जो सीधे-सीधे भारत की स्टैंड के खिलाफ थे। मतलब साफ़ है – पाकिस्तान के आतंकवाद को whitewash करने की कोशिश!

और भई, ये कोई नई बात तो है नहीं। कश्मीर से लेकर UN तक, चीन और पाक हमेशा आतंकवादी ग्रुप्स को सपोर्ट करते आए हैं। तो सवाल ये उठता है कि भारत ऐसे मसौदे पर साइन कैसे कर सकता था? बिल्कुल नहीं! और यही तो हुआ।

क्या हुआ, क्या बोले, क्या रिएक्शन आया?

राजनाथ सिंह ने बिना लाग-लपेट के साफ़ कह दिया – “हम नहीं मानेंगे!” देखा जाए तो ये भारत के लिए एक बड़ा डिप्लोमेटिक विंग था। एक तरफ तो अमेरिका और पश्चिमी देश इस फैसले की तारीफ़ कर रहे हैं, वहीं चीन-पाक की चुप्पी ही बता रही है कि उन्हें ये पसंद नहीं आया।

एक सीनियर ऑफिसर ने ठीक ही कहा – “हम आतंकवाद पर कोई कॉम्प्रोमाइज़ नहीं करेंगे।” सच कहूँ तो, ये वाक्य भारत की पूरी फॉरेन पॉलिसी को समेट देता है।

आगे क्या होगा?

अब ये दो तरह से प्ले हो सकता है। पहला – SCO में भारत की पोज़िशन और स्ट्रॉन्ग होगी क्योंकि दुनिया देख रही है कि हम अपने नैशनल इंटरेस्ट से कॉम्प्रोमाइज़ नहीं करते। दूसरा – चीन और पाक के साथ टेंशन बढ़ सकता है, खासकर बॉर्डर और टेररिज़्म के मुद्दों पर।

पर एक बात तो तय है – ये फैसला सिर्फ़ एक मीटिंग तक सीमित नहीं है। ये तो पूरी दुनिया को मैसेज है कि न्यू इंडिया अपने सिद्धांतों पर डटा रहेगा। जैसे मोदी जी कहते हैं – “हम ना तो डरते हैं, ना झुकते हैं।” और यही भावना इस फैसले में झलकती है।

एक लाइन में कहूँ तो – ये सिर्फ़ एक मसौदे पर साइन न करने की बात नहीं, बल्कि भारत के नए आत्मविश्वास का प्रतीक है। क्या आपको नहीं लगता?

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Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com

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