राज्यसभा 2026: हरदीप पुरी से लेकर दिग्विजय सिंह तक – क्या ये रिटायरमेंट्स NDA और I.N.D.I.A गठबंधन का गेम बदल देंगे?
अरे भाई, 2026 में तो राजनीति का पूरा नक्शा ही बदलने वाला है! अप्रैल से नवंबर तक चलने वाले इन राज्यसभा चुनावों में 75 सीटों पर जंग होगी, और सच कहूं तो ये कोई सामान्य चुनाव नहीं होगा। क्यों? क्योंकि हरदीप पुरी जैसे केंद्रीय मंत्री से लेकर दिग्विजय सिंह जैसे कांग्रेस के दिग्गज तक – सबका राज्यसभा का सफर खत्म हो रहा है। और ये सिर्फ नेताओं की बात नहीं है… NDA और I.N.D.I.A गठबंधन दोनों की पूरी संसदीय रणनीति ही पलट सकती है।
राज्यसभा चुनाव: ये ‘सीनियर्स क्लास’ क्यों इतनी अहम है?
देखिए, राज्यसभा को अक्सर ‘सेकेंड हाउस’ समझने की गलती होती है। लेकिन असलियत? ये वो जगह है जहां कानून बनाने की रफ्तार तय होती है। छह साल के कार्यकाल वाले इन सदस्यों में से एक-तिहाई हर दो साल में रिटायर होते हैं। और इस बार? मल्लिकार्जुन खड़गे से लेकर हरदीप पुरी तक – सारे हेवीवेट खिलाड़ी मैदान छोड़ रहे हैं। ये वही लोग हैं जो पार्टी लाइन पर सरकार को घेरते रहे हैं… या फिर सरकार के पक्ष में खड़े रहे हैं। अब सवाल यह है कि इनकी जगह कौन लेगा?
राजनीति का नया मैथ्स: UP, कर्नाटक, महाराष्ट्र में क्या होगा?
असली मैच तो बड़े राज्यों में होगा। NDA और I.N.D.I.A – दोनों ही अपनी पूरी ताकत झोंक रहे हैं। भाजपा की बात करें तो वो नए चेहरों की बात कर रही है… पर क्या वाकई? वहीं कांग्रेस वालों को तो ये मौका हाथों-हाथ लगा है। एक तरफ जहां BJP युवाओं की बात कर रही है, वहीं I.N.D.I.A गठबंधन राज्यसभा में अपनी गिनती बढ़ाने की फिराक में है। और हां, ये सिर्फ सीटों का खेल नहीं है… जो भी जीतेगा, उसके लिए बिल पास कराना कितना आसान या मुश्किल होगा, ये तो चुनाव के बाद ही पता चलेगा।
दलों की चालें: क्या कह रहे हैं दोनों पक्ष?
भाजपा वालों का कहना है – “हमारी सभी सीटें सुरक्षित हैं” (हंसते हुए)… मतलब साफ है न? वहीं कांग्रेस के किसी वरिष्ठ नेता ने इसे ‘सुनहरा मौका’ बताया है। पर सच्चाई? अभी तो सीटों के बंटवारे को लेकर मोलभाव का दौर शुरू भी नहीं हुआ है। और उम्मीदवारों की लिस्ट? वो तो अभी बननी बाकी है। एक बात तय है – आने वाले महीने राजनीति के ‘गेम ऑफ थ्रोन्स’ जैसे होंगे!
लॉन्ग टर्म इफेक्ट: क्या ये चुनाव 2029 तक का रास्ता तय कर देगा?
देखिए, ये सिर्फ 2026 की बात नहीं है। राज्यसभा में बहुमत का जो भी नया समीकरण बनेगा, वो अगले तीन-चार साल तक सरकार के हर फैसले को प्रभावित करेगा। विशेषज्ञों की मानें तो… अगर विपक्ष मजबूत हुआ तो सरकार को हर बिल के लिए दोनों सदनों में तालमेल बिठाना पड़ेगा। और ये तो सिर्फ शुरुआत है! ये चुनाव नए नेतृत्व को प्लेटफॉर्म देगा, पुराने समीकरण बदलेगा… शायद नई राजनीतिक धाराएं भी बनाएगा। सीधे शब्दों में कहूं तो – 2026 राजनीति का वो पासवर्ड होगा जो 2029 तक का गेम अनलॉक कर देगा!
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