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“स्थानीयों को हटाने से जंगल नहीं बचेंगे, Bhupender Yadav ने बताया क्यों जरूरी है मानवीय दृष्टिकोण”

जंगल बचाने का राज: भूपेंद्र यादव बता रहे हैं क्यों स्थानीय लोगों को हटाना समाधान नहीं

एक जरूरी बहस

अक्सर जंगल बचाने के नाम पर स्थानीय लोगों को हटाने की बात होती है। लेकिन केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने हाल में एक दमदार बयान दिया: “स्थानीयों को हटाने से जंगल नहीं बचेंगे।” असल में, ये बात पर्यावरण बचाने के पुराने तरीकों पर सवाल उठाती है। आज हम समझेंगे कि क्यों जंगल और लोगों का रिश्ता इतना अहम है।

जंगल और लोग: एक जीता-जागता रिश्ता

1. स्थानीय लोग ही असली रखवाले

देखा जाए तो आदिवासी और ग्रामीण समुदाय सदियों से जंगलों के असली संरक्षक रहे हैं। इनके पारंपरिक तरीके ही हैं जो पेड़-पौधों और जानवरों को बचाए हुए हैं। उदाहरण के लिए, ओडिशा के कुछ आदिवासी समुदाय तो पेड़ों को अपने पूर्वज मानते हैं – क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि वे कभी जंगल को नुकसान पहुंचाएंगे?

2. विस्थापन का उल्टा असर

यहाँ बात समझने वाली है – जब आप लोगों को जंगल से हटाते हैं, तो असल में जंगलों को खतरा और बढ़ जाता है। एक तरफ तो ये लोग बेघर हो जाते हैं, दूसरी तरफ बाहरी लोगों को जंगल लूटने का मौका मिल जाता है। आंकड़े बताते हैं कि जहाँ-जहाँ विस्थापन हुआ, वहाँ illegal mining और deforestation बढ़ा है।

भूपेंद्र यादव की सोच: इंसान और प्रकृति साथ-साथ

1. नीतियों में बदलाव की जरूरत

यादव साफ कह रहे हैं कि Forest Rights Act (2006) को और मजबूत करना होगा। सरकार की नई योजनाओं में अब स्थानीय लोगों को हिस्सेदार बनाने पर जोर है। ये सोच बिल्कुल सही है क्योंकि जंगल बिना लोगों के और लोग बिना जंगल के अधूरे हैं।

2. विकास vs संरक्षण: मध्यमार्ग क्या है?

असल समाधान है sustainable development। स्थानीय लोगों को eco-tourism, handicrafts और दूसरे रोजगार से जोड़कर ही हम दोनों मकसद पूरे कर सकते हैं। गुजरात का एक छोटा सा उदाहरण लें – वहाँ के आदिवासी अब wildlife guides बनकर अच्छा कमा रहे हैं और जंगल भी सुरक्षित हैं।

दुनिया से सीखने को मिले ये सबक

1. अमेज़न का सबक

ब्राज़ील में जब आदिवासियों को जंगलों पर अधिकार दिया गया, तो deforestation की रफ्तार आधी हो गई। ये साबित करता है कि local communities के बिना conservation असंभव है।

2. अफ्रीका ने कैसे संभाला?

केन्या और तंजानिया जैसे देशों ने स्थानीय लोगों को wildlife tourism से जोड़ा है। नतीजा? जंगल सुरक्षित और लोगों की आमदनी बढ़ी। ये win-win situation है।

आखिरी बात

जंगल बचाने का मतलब लोगों को हटाना नहीं, बल्कि उन्हें साथ लेना है। भूपेंद्र यादव का ये दृष्टिकोण दिखाता है कि development और conservation साथ-साथ चल सकते हैं। हम सबकी जिम्मेदारी है कि इस सोच को आगे बढ़ाएं।

FAQs: आपके सवाल, हमारे जवाब

1. क्या स्थानीय लोगों को हटाने से जंगल सुरक्षित हो जाएंगे?

बिल्कुल नहीं! बल्कि ऐसा करने से जंगलों पर बाहरी लोगों का कब्जा बढ़ेगा। स्थानीय लोग ही तो असली protectors हैं।

2. सरकार क्या कर रही है?

Forest Rights Act को लागू करने के अलावा, सरकार skill development programs और eco-friendly employment के जरिए मदद कर रही है।

3. हम आम लोग कैसे मदद कर सकते हैं?

आप tribal handicrafts खरीदकर, responsible tourism को बढ़ावा देकर और इस मुद्दे पर awareness फैलाकर योगदान दे सकते हैं। छोटे-छोटे कदम ही बड़ा बदलाव लाते हैं!

Source: Hindustan Times – India News | Secondary News Source: Pulsivic.com

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