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ग्लोबल क्रूड ऑयल की कीमतों में गिरावट, रुपया 75 पैसे मजबूत होकर 86.03 पर बंद

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तेल सस्ता हुआ, रुपया मजबूत: क्या है पूरा मामला?

शुरुआत

पिछले कुछ दिनों से एक अच्छी खबर सुनने को मिल रही है – ग्लोबल मार्केट में क्रूड ऑयल के दाम गिरे हैं। और इसका फायदा हमारे रुपये को मिला है! देखिए न, रुपया डॉलर के मुकाबले 75 पैसे मजबूत होकर 86.03 पर पहुंच गया। आज हम बात करेंगे कि ये सब क्यों हुआ, हमारी इकोनॉमी पर इसका क्या असर पड़ेगा, और आगे क्या हो सकता है।

तेल के दाम गिरने की वजहें

मांग-आपूर्ति का खेल

OPEC+ ने तेल का प्रोडक्शन बढ़ा दिया है, जबकि दूसरी तरफ दुनिया भर में मंदी के डर से मांग कम हो रही है। Experts कह रहे हैं कि ये हालात अगले 2-3 महीने तक बने रह सकते हैं।

राजनीति का असर

यूक्रेन-रूस वॉर शुरू होने के बाद से तेल के दाम ऊपर-नीचे होते रहे हैं। अमेरिका और यूरोप ने रूसी तेल पर बैन लगाया, लेकिन मार्केट में तेल की कमी नहीं आई। साथ ही, अब इन देशों की एनर्जी पॉलिसी में भी बदलाव आ रहा है।

नई टेक्नोलॉजी

अब दुनिया रिन्यूएबल एनर्जी की तरफ बढ़ रही है। सोलर और हाइड्रोजन जैसे विकल्पों पर जोर बढ़ा है। इससे पारंपरिक तेल की डिमांड पर दबाव पड़ रहा है।

रुपया मजबूत क्यों हुआ?

तेल सस्ता हुआ तो फायदा हुआ

हमारा देश अपनी जरूरत का 85% तेल इम्पोर्ट करता है। तेल के दाम गिरने से हमारा इम्पोर्ट बिल कम हुआ है, जिससे ट्रेड डेफिसिट पर अच्छा असर पड़ा है। यही रुपये की मजबूती की बड़ी वजह है।

विदेशी पैसा आ रहा है

FII और FDI के रूप में विदेशी निवेशक भारतीय मार्केट में पैसा लगा रहे हैं। Market analysts का मानना है कि ये ट्रेंड आगे भी जारी रह सकता है।

RBI की चालाकी

RBI ने डॉलर के मुकाबले रुपये को स्थिर रखने के लिए कई स्मार्ट स्टेप्स लिए हैं। फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व को मजबूत करके और डॉलर सप्लाई को कंट्रोल में रखकर उन्होंने रुपये को सपोर्ट दिया है।

हमारी इकोनॉमी पर क्या असर?

अच्छी खबर

तेल सस्ता होने से इन्फ्लेशन कंट्रोल में आया है। पेट्रोल-डीजल के दाम कम होने से आम आदमी को राहत मिली है, जिससे उसकी खरीदारी करने की क्षमता बढ़ी है।

चिंता की बात

तेल निर्यातक देशों के साथ हमारे ट्रेड रिलेशन पर असर पड़ सकता है। साथ ही, ऑयल सेक्टर में नए इन्वेस्टमेंट धीमे हो सकते हैं, जिससे यहां जॉब्स पर भी असर पड़ेगा।

आगे क्या होगा?

तेल के दाम का भविष्य

यह OPEC+ की अगली स्ट्रैटेजी और ग्लोबल इकोनॉमिक ग्रोथ पर निर्भर करेगा। कुछ Experts का कहना है कि अगर मांग और सप्लाई बैलेंस बना रहा, तो प्राइस स्थिर रह सकते हैं।

रुपये का भविष्य

RBI की पॉलिसी और इंटरनेशनल मार्केट का रुख रुपये को प्रभावित करेगा। अगर विदेशी निवेश आता रहा और तेल के दाम कंट्रोल में रहे, तो रुपया मजबूत बना रह सकता है।

आखिर में

तेल के दाम गिरना और रुपया मजबूत होना – ये दोनों चीजें आपस में जुड़ी हुई हैं। हम सभी के लिए यह जानना जरूरी है कि ये ट्रेंड कैसे हमारी जेब पर असर डालेंगे। आने वाले समय में ही पता चलेगा कि यह सब हमारी इकोनॉमी को किस दिशा में ले जाएगा।

Source: Livemint – Markets | Secondary News Source: Pulsivic.com

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