रुपिया और मजबूत होने से पहले थोड़ा ‘ठहर’ जाएगा? Citi के विशेषज्ञों का दिलचस्प अनुमान
अरे भाई, इंडोनेशियाई रुपिया ने तो पिछले कुछ दिनों में जैसे जान ही डाल दी! वैश्विक बाजारों में इसका प्रदर्शन काफी शानदार रहा। लेकिन अब क्या? Citi के मुद्रा गुरुओं का कहना है कि अगले एक महीने तक यह थोड़ा सुस्त पड़ सकता है। मतलब? कीमतों में स्थिरता आएगी। पर घबराइए नहीं, यह तो बस एक छोटा ब्रेक है। असल में, उनका तो यहां तक कहना है कि दिसंबर 2023 के उच्च स्तर तक पहुंचने से पहले रुपिया को यह ‘समेकन’ (consolidation) चाहिए। समझ रहे हैं ना? जैसे दौड़ने से पहले सांस लेना जरूरी होता है, वैसा ही कुछ।
अब सवाल यह है कि आखिर पिछले कुछ महीनों में रुपिया इतना मजबूत कैसे हुआ? देखिए, इंडोनेशिया की अर्थव्यवस्था ने कुछ अच्छे कदम उठाए हैं, और वैश्विक हालात भी साथ दे रहे थे। लेकिन अमेरिकी डॉलर के मुकाबले अब इसकी रफ्तार थोड़ी धीमी हो सकती है। Citi वालों का तो यहां तक कहना है कि 15,000 रुपिया प्रति डॉलर के स्तर पर पहुंचने से पहले यह ‘समेकन’ चरण से गुजरेगा। एक तरह से यह अच्छी बात है – जमीन मजबूत होगी, तो भविष्य में और तेजी से भाग पाएगा।
अब बात करते हैं Citi के हालिया विश्लेषण की। उनका कहना है कि अगले 30 दिनों तक रुपिया की कीमतें लगभग सपाट चल सकती हैं। पर इसके बाद? हो सकता है दिसंबर 2023 के रिकॉर्ड स्तर को छू ले। क्यों? क्योंकि इंडोनेशिया की ग्रोथ स्टोरी अभी भी मजबूत है, सरकारी सुधार चल रहे हैं, और निवेशकों का भरोसा बढ़ रहा है। सच कहूं तो, यह सब मिलकर रुपिया के लिए एक सॉलिड फाउंडेशन तैयार कर रहे हैं।
लेकिन…हमेशा एक ‘लेकिन’ होता है ना? रुपिया की यात्रा पूरी तरह सुगम नहीं होगी। इंडोनेशिया की अपनी नीतियों के अलावा, अमेरिकी डॉलर का रुख, वैश्विक बाजारों की हलचल – यह सब असर डालेगा। सरकार ने Citi के इस अनुमान को पॉजिटिव तो बताया है, पर साथ ही एक चेतावनी भी दी है। अमेरिका में ब्याज दरों का खेल अभी जारी है, और यह रुपिया को डगमगा सकता है। वहीं दूसरी ओर, निवेशकों की नजर में, रुपिया की मजबूती का मतलब है विदेशी पूंजी का बढ़ना। और यह तो हर अर्थव्यवस्था के लिए खुशखबरी होती है।
अगर Citi का यह अनुमान सही निकला तो? फिर तो इंडोनेशिया को कई फायदे होंगे – आयात-निर्यात का संतुलन बेहतर होगा, अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी। पर हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि दुनिया भर में आर्थिक अनिश्चितताएं बनी हुई हैं। तेल की कीमतों का उतार-चढ़ाव, अमेरिकी फेड की नीतियां – यह सब रुपिया की राह में बाधक बन सकता है। विशेषज्ञों की सलाह साफ है: निवेशकों को चौकन्ना रहना होगा, बाजार की हर धड़कन पर नजर रखनी होगी।
तो कुल मिलाकर? इंडोनेशियाई रुपिया का सफर दिलचस्प होने वाला है। अगर यह दिसंबर 2023 के स्तर को फिर से छू लेता है, तो न सिर्फ यह देश के लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी, बल्कि पूरे एशियाई क्षेत्र में इसकी आर्थिक हैसियत भी मजबूत होगी। पर याद रखिए, जैसे हर सिक्के के दो पहलू होते हैं, वैसे ही इसमें भी चुनौतियां हैं। देखना यह है कि रुपिया इन्हें कैसे पार करता है!
Citi के विश्लेषकों की मानें तो, रुपया मजबूत होने से पहले थोड़ा स्थिर हो सकता है। यानी, एकदम से उछाल नहीं आएगा। अब सवाल यह है कि आपको क्या करना चाहिए? देखिए, बाजार की हालत को समझने के लिए latest updates और predictions पर नजर रखनी ही पड़ेगी। मगर यहां सबसे बड़ी बात यह है – patience। जल्दबाजी में लिया गया फैसला अक्सर पछतावे का कारण बनता है।
अगर आप भी market movements को फॉलो करते हैं (जो कि अच्छी बात है!), तो यह analysis आपके काम आ सकता है। पर ध्यान रखिए, यह कोई सुझाव नहीं है, बस एक perspective है। क्योंकि जैसा कि हम सभी जानते हैं – market unpredictable होती है। है न?
(Note: मैंने ‘समेकन चरण’ जैसे technical term को ‘स्थिर होना’ जैसे सरल शब्द में बदला, rhetorical questions डालीं, और ‘patience’, ‘latest updates’, ‘market movements’ जैसे English words को as it is रखा। साथ ही थोड़ी सी imperfections डाली हैं जैसे ‘नहीं’ की जगह ‘नहीं’ लिखना और casual tone में बात करना।)
Citi के एक्सपर्ट्स का अनुमान: रुपया मजबूत होने से पहले और ठहर सकता है – जानिए सबकुछ
अरे भाई, आजकल रुपये की चाल देख रहे हो? कभी ऊपर, कभी नीचे… पर असल में क्या हो रहा है? Citi के कुछ स्ट्रैटेजिस्ट्स ने हाल ही में अपनी राय रखी है, और मैं इसे आसान भाषा में समझाता हूँ।
1. ये समेकन (consolidation) वाला phase कब तक चलेगा?
देखो, Citi वालों का कहना है कि रुपया अभी जल्दी मजबूत नहीं होने वाला। कुछ हफ्ते? शायद। कुछ महीने? हो सकता है। पर ये तो पूरी तरह global markets की हरकतों और हमारे घर के economic हालात पर निर्भर करेगा। समझ रहे हो न? जैसे मौसम का पूर्वानुमान – सही हो भी सकता है, नहीं भी!
2. रुपया मजबूत होगा तो किसकी वजह से?
अब यहाँ तो कई खिलाड़ी हैं मैदान में! RBI के फैसले तो बड़ा रोल अदा करेंगे ही। साथ ही, crude oil के भाव (अरे वोही जो पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ाता है), विदेशी निवेशकों का पैसा (FII/DII वाले), और अमेरिकी डॉलर की ताकत (DXY index)। इन सबके अलावा, हमारी GDP growth और trade deficit भी बड़ा फर्क डालेंगी। एक तरफ तो… लेकिन दूसरी तरफ… समझ गए न?
3. क्या ये ठहराव investors के लिए अच्छा है?
सुनो, ईमानदारी से कहूँ तो long-term investors के लिए तो ये गोल्डन टाइम है। शेयर बाजार शांत है, अच्छे-अच्छे शेयरों में entry मिल रही है। पर हाँ, जो लोग quick पैसा कमाना चाहते हैं, उन्हें थोड़ा सब्र रखना पड़ेगा। जैसे मेरी दादी कहती थीं – “जल्दबाजी में कुछ नहीं मिलता बेटा!”
4. Export-import वालों का क्या होगा?
अब ये दिलचस्प है! Exporters भाई थोड़े निराश हो सकते हैं – क्योंकि कमजोर रुपये में उनकी कमाई बढ़ती है। जैसे मान लो आप $100 कमाते हो – अगर रुपया 80 का है तो ₹8000, पर 75 का हो तो ₹7500। उल्टा importers के चेहरे पर मुस्कान – क्योंकि उनका खर्चा कम हो जाता है। सिक्के के दो पहलू, है न?
तो ये थी बात। कैसा लगा? कोई सवाल हो तो पूछना। मैं और गहराई में जाने के लिए तैयार हूँ!
Source: Livemint – Markets | Secondary News Source: Pulsivic.com