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रूस ने मेदवेदेव के परमाणु युद्ध के बयान से पीछे हटा, ट्रंप ने कहा- “अमेरिकी परमाणु पनडुब्बियां मास्को के करीब”

मेदवेदेव का परमाणु युद्ध वाला बयान और फिर रूस का पीछे हटना – ट्रंप ने दिया जवाब!

अरे भई, क्या मजाक चल रहा है? रूसी सरकार ने सोमवार को अचानक ही दिमित्री मेदवेदेव के उस विवादास्पद बयान से दूरी बना ली जिसमें परमाणु युद्ध की बात की गई थी। और अमेरिका? उसने तो बस इंतजार ही किया था। ट्रंप साहब ने तुरंत दो परमाणु पनडुब्बियों को मास्को के पास भेजने का आदेश दे दिया। क्रेमलिन का कहना है कि वो “जिम्मेदार” हैं, लेकिन सच्चाई ये है कि अब तनाव और बढ़ गया है। ऐसा लगता है जैसे कोई बच्चा माचिस से खेल रहा हो।

असल में बात ये है कि मेदवेदेव, जो पहले राष्ट्रपति रह चुके हैं और अब सुरक्षा परिषद में बड़ा पद संभालते हैं, ने पश्चिमी देशों को लेकर बहुत ही आग उगलने वाला बयान दिया था। और वो भी ऐसे समय में जब रूस और यूक्रेन का मामला पहले से ही गरमाया हुआ है। NATO वाले तो पहले से नाराज़ थे, अब ये नया विवाद। परमाणु हथियारों को लेकर तनाव? वो तो पहले से था ही। मेदवेदेव ने तो जैसे आग में घी ही डाल दिया।

लेकिन यहाँ मजेदार बात ये हुई कि क्रेमलिन ने अचानक अपना रुख बदल लिया। “हम तो शांति चाहते हैं” वाली बातें करने लगे। पर ट्रंप? उन्होंने तो मानो इस मौके का इंतजार ही किया हो। दो परमाणु पनडुब्बियाँ? तैनात कर दीं रूस की सीमा के पास! अमेरिकी रक्षा विभाग का कहना है कि ये “सावधानी” है। सच कहूँ तो, ये सावधानी नहीं, धमकी लगती है। और अब तो पूरी दुनिया की नींद उड़ गई है।

देखा जाए तो अब हर कोई अपनी-अपनी राय दे रहा है। रूसी विदेश मंत्रालय कहता है अमेरिका शांति भंग कर रहा है। अमेरिकी विदेश मंत्री? उनका कहना है कि वो रूस को “गंभीरता” से लेते हैं। यूरोपीय संघ वाले बीच-बचाव करने में लगे हैं। मतलब साफ है – कोई भी असल में ये नहीं चाहता कि हालात और बिगड़ें। पर सवाल ये है कि क्या ये सब दिखावा है या फिर सच में कोई बड़ी टक्कर होने वाली है?

अब आगे क्या? अगर ये तनाव और बढ़ा, तो क्या सच में कोई युद्ध हो सकता है? विश्लेषक कह रहे हैं कि संयुक्त राष्ट्र को बीच में आना पड़ेगा। परमाणु समझौतों पर फिर से बातचीत हो सकती है। पर सच तो ये है कि अभी स्थिति बहुत नाजुक है। एक गलत कदम… और फिर? पूरी दुनिया इस पर नजर गड़ाए बैठी है। आखिरकार, ये कोई मजाक तो है नहीं।

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रूस-अमेरिका परमाणु तनाव: क्या सच में है कोई खतरा? (FAQs)

अरे भाई, आजकल न्यूज़ चैनल्स और सोशल मीडिया पर बस एक ही बहस चल रही है – क्या रूस और अमेरिका वाकई परमाणु युद्ध की तरफ बढ़ रहे हैं? सच कहूं तो मैं भी पिछले कुछ दिनों से इसी सवाल से परेशान हूं। तो चलिए, इस मसले को थोड़ा आसान भाषा में समझते हैं।

1. मेदवेदेव का वो विवादित बयान – सच या सिर्फ धमकी?

देखिए, रूस के पूर्व राष्ट्रपति मेदवेदेव ने तो बड़ी मुश्किल खड़ी कर दी थी। उन्होंने साफ-साफ कह दिया कि अगर यूक्रेन में रूस को हार मिली तो… (यहां उन्होंने थोड़ा रुककर कहा होगा शायद) परमाणु युद्ध तक की नौबत आ सकती है। लेकिन यहां सवाल यह है – क्या यह सच में खतरा था या फिर सिर्फ वेस्ट को डराने की कोशिश? क्योंकि बाद में रूसी अधिकारियों ने इस बयान को थोड़ा सॉफ्ट भी किया।

2. ट्रंप का दावा – क्या अमेरिकी पनडुब्बियां वाकई मास्को के इतने करीब हैं?

अब यहां मजा आ गया! डोनाल्ड ट्रंप, जिनके बयानों को लेकर हमेशा कुछ न कुछ चर्चा रहती है, उन्होंने तो बड़ा दिलचस्प दावा किया। कहा कि अमेरिकी Nuclear Submarines रूस की राजधानी के बिल्कुल नाक के नीचे तैनात हैं। सच कहूं? यह क्लासिक ट्रंप स्टाइल है – बिना किसी प्रूफ के बड़े-बड़े दावे। लेकिन इसका मकसद साफ था – रूस को यह दिखाना कि अमेरिका भी कोई कमजोर नहीं है।

3. सबसे बड़ा सवाल – क्या हमें सच में परमाणु युद्ध (Nuclear War) से डरना चाहिए?

ईमानदारी से? मेरी राय में नहीं। एक्सपर्ट्स भी यही कह रहे हैं। हां, तनाव बढ़ा है – यह सच है। लेकिन यह 1962 के क्यूबा मिसाइल क्राइसिस जैसा कुछ नहीं है। दोनों देशों को पता है कि Nuclear War का मतलब होगा ‘म्युचुअल अस्स्योरड डिस्ट्रक्शन’। यानी दोनों की बर्बादी। फिर भी… थोड़ी चिंता तो स्वाभाविक है न?

4. यूक्रेन युद्ध (Ukraine War) से क्या है कनेक्शन? समझिए पूरा मामला

असल में यह पूरा झगड़ा यूक्रेन को लेकर ही तो है। अमेरिका और NATO यूक्रेन को हथियार दे रहे हैं, रूस को यह अपनी सुरक्षा के लिए खतरा लग रहा है। ठीक वैसे ही जैसे आपके पड़ोसी आपके दुश्मन को हथियार दें तो आपको कैसा लगेगा? लेकिन यहां समस्या यह है कि रूस ने खुद यूक्रेन पर हमला किया था। तो सवाल यह उठता है कि क्या Nuclear Weapons की बात करना जायज है? मेरे हिसाब से तो बिल्कुल नहीं!

आखिर में बस इतना कहूंगा – हालांकि स्थिति गंभीर है, लेकिन अभी पैनिक करने की कोई जरूरत नहीं। Diplomacy अभी भी चल रही है, और उम्मीद है कि स्थिति और नहीं बिगड़ेगी। आप क्या सोचते हैं इस बारे में? कमेंट में जरूर बताइएगा!

Source: NY Post – World News | Secondary News Source: Pulsivic.com

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