चीन के दबाव में फंसा रूस? S-400 डिलीवरी में देरी और भारत की सुरक्षा पर सवाल
देखिए, मामला कुछ ऐसा है – भारत को रूस से मिलने वाले S-400 सिस्टम्स की डिलीवरी फिर से लटक गई है। और ये कोई पहली बार नहीं है। 2018 के उस बड़े डील के मुताबिक तो 2023 तक सारे पांच सिस्टम मिल जाने चाहिए थे। लेकिन अभी तक? सिर्फ तीन। सवाल यह है कि आखिर क्यों? क्या सच में चीन का दबाव इतना बढ़ गया है कि रूस अपने पुराने दोस्त के साथ भी ऐसा कर रहा है?
याद कीजिए वो 2018 का डील
असल में बात ये है कि S-400 दुनिया की सबसे खतरनाक (मतलब अच्छे तरीके से) एयर डिफेंस सिस्टम है। 5.43 बिलियन डॉलर का ये समझौता भारत के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकता था। पहले तीन सिस्टम तो ठीक-ठाक समय पर आ भी गए। लेकिन उसके बाद? रूस का रवैया अजीब होता गया। और हां, ये मानने में कोई हर्ज नहीं कि चीन का इसमें हाथ हो सकता है। आखिर वो भारत-रूस की इस दोस्ती को अपने लिए खतरा तो मानता ही होगा, है न?
अब क्या चल रहा है?
रूस वालों का कहना है – “अरे भई, तकनीकी दिक्कतें हैं, logistics में प्रॉब्लम है।” लेकिन भारत सरकार इन बातों से संतुष्ट नहीं दिखती। और अमेरिका? वो तो CAATSA लेकर पहले से ही खड़ा है। हालांकि अच्छी बात ये है कि भारत-अमेरिका रिश्ते अब पहले जैसे नहीं हैं, तो शायद प्रतिबंधों का खतरा कम है।
लेकिन असली चिंता की बात ये है कि चीन और पाकिस्तान मिलकर क्या-क्या कर रहे हैं, ये तो सबको पता है। और ऐसे में हमारे पास एयर डिफेंस का पूरा सिस्टम न होना… समझदार लोग समझ ही गए होंगे।
तो अब आगे क्या?
सच कहूं तो हमें plan B पर काम करना ही पड़ेगा। Israel का Iron Dome हो या फ्रांस की Aster मिसाइल्स – विकल्प तो हैं। पर सबसे बेहतर होगा कि हम अपना खुद का सिस्टम बनाएं। Make in India, याद है न?
एक बात तो तय है – ये पूरा मामला साबित करता है कि अंतरराष्ट्रीय राजनीति में दोस्ती और दुश्मनी सब अपने-अपने फायदे की बात है। और हमें अब सोचना होगा कि आगे का रास्ता क्या होगा। क्योंकि सुरक्षा के मामले में कोई समझौता नहीं चल सकता। बिल्कुल नहीं।
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S-400 डिलीवरी में देरी: क्या भारत की सुरक्षा दांव पर है?
अरे भाई, ये S-400 का मामला तो हर दिन नया मोड़ लेता दिख रहा है! आखिर क्यों रूस हमें इंतज़ार करवा रहा है? और सबसे बड़ा सवाल – क्या हमारी सुरक्षा को इससे कोई खतरा है? चलिए, बात करते हैं…
1. रूस ने S-400 डिलीवरी में देरी क्यों की? असलियत क्या है?
देखिए, यहां दो-तीन बातें एक साथ चल रही हैं। पहला तो ये कि चीन हमेशा से ही नाक में दम किए हुए है। उसे बिल्कुल पसंद नहीं कि रूस हमें S-400 जैसी शानदार तकनीक दे रहा है। लेकिन सच ये भी है कि Russia-Ukraine war ने उनकी पूरी supply chain ही ध्वस्त कर दी है। मतलब साफ है – रूस के पास खुद के लिए भी समस्या है।
2. सुरक्षा का सवाल: कितना बड़ा खतरा?
सच कहूं तो? थोड़ा तो खतरा है ही। वो भी तब जब China और Pakistan जैसे पड़ोसी हमेशा मौके की ताक में बैठे रहते हैं। S-400 तो हमारी air defense का दिल है, लेकिन ये मत सोचिए कि हम बिल्कुल नंगे हैं! हमारे पास कुछ और defense systems भी हैं जो temporary तौर पर काम चला सकते हैं। पर सच्चाई यही है – S-400 जैसी चीज़ का कोई विकल्प नहीं।
3. क्या भारत सिर्फ बातें ही कर रहा है या कुछ action भी ले रहा है?
अरे नहीं भाई! हमारी सरकार सोती तो नहीं है। High-level talks तो चल ही रही हैं, और हमने रूस को साफ़-साफ़ कह दिया है – “भाई, timeline का ख्याल रखो वरना…”। असल में, diplomacy में कभी-कभी ज़ोरदार बातें पर्दे के पीछे ही होती हैं।
4. Plan B क्या है? क्या हमारे पास कोई बैकअप है?
तो अब सवाल यह उठता है – अगर रूस पूरी तरह पीछे हट जाए तो? देखिए, विकल्प तो हैं… USA के Patriot missiles हो या Israel का Arrow system। पर एक मिनट! क्या ये S-400 जितने effective हैं? शायद नहीं। अच्छी खबर ये है कि हमारा अपना BMD program भी तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। लेकिन उसमें अभी वक्त लगेगा। सच तो ये है कि S-400 जैसी चीज़ का कोई सही replacement नहीं। एकदम ज़बरदस्त। सच में।
तो ये थी पूरी कहानी। अब आप ही बताइए – क्या हमें ज़्यादा चिंता करनी चाहिए? या फिर भारत ने पहले ही सबकुछ संभाल लिया है? कमेंट में बताइएगा ज़रूर!
Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com