S-400 का ‘ऑपरेशन सिंदूर’ – कामयाबी तो मिली, लेकिन अब असली चुनौती क्या है?
वाह! भारत ने अपने S-400 एयर डिफेंस सिस्टम का पाकिस्तान के खिलाफ पहला इस्तेमाल करके धमाल मचा दिया। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत इस रूसी तकनीक ने लंबी दूरी की मिसाइलों को ट्रैक करके धराशायी कर दिया – बिल्कुल वैसे ही जैसे आप PUBG में स्नाइपर से दुश्मन को ढेर करते हैं! लेकिन सच कहूं तो, अब असली मुश्किल काम शुरू होता है – इस हाई-टेक सिस्टम को चलाए रखना। क्योंकि ये कोई साधारण बंदूक नहीं जो किसी दुकान से स्पेयर पार्ट्स मिल जाएं।
पीछे की कहानी: 40,000 करोड़ का ये ‘गेम-चेंजर’ डील कैसे हुआ?
2018 की बात है जब भारत ने रूस से ये S-400 सिस्टम खरीदने का फैसला किया। सुनकर हैरानी होगी कि इसकी कीमत लगभग 40 IPL टीमों के बराबर है! असल में ये डील सिर्फ हथियार खरीदने से ज्यादा थी – ये चीन और पाकिस्तान को साफ संदेश था। 400 किलोमीटर की रेंज वाला ये सिस्टम एक साथ कई टारगेट्स पर नजर रख सकता है। सोचिए, जैसे आपका मोबाइल एक साथ कई ऐप्स चला रहा हो, लेकिन ये तो मिसाइलों को ट्रैक कर रहा है!
क्या हुआ ऑपरेशन सिंदूर में?
पाकिस्तानी बॉर्डर के पास इसका पहला टेस्ट हुआ। और भईया, क्या परफॉरमेंस थी! ड्रोन्स से लेकर मिसाइल्स तक – सबका सफाया। पर जैसे नई कार खरीदने के बाद उसकी मेंटेनेंस की टेंशन शुरू होती है, वैसे ही यहां भी हालात हैं। स्पेशल स्पेयर पार्ट्स, ट्रेंड टेक्नीशियन्स – ये सब मिलना आसान नहीं। आपके iPhone के लिए जैसे ऑथराइज्ड सर्विस सेंटर चाहिए, वैसे ही इसे भी रूसी एक्सपर्ट्स की जरूरत है।
क्या कह रहे हैं एक्सपर्ट्स?
दिलचस्प बात ये है कि हर कोई अलग राय दे रहा है। हमारे डिफेंस एक्सपर्ट्स का कहना है कि ये सिस्टम तो जैसे ‘चेवलियर’ की तरह है जो हमारी सुरक्षा को नई ऊंचाई देगा। रूसी कंपनी Almaz-Antey मदद करने को तैयार है। वहीं पाकिस्तानी मीडिया तो बिल्कुल रोते हुए बच्चे की तरह है – “अरे यार, भारत ने तो बहुत बड़ा हथियार ले लिया!”
आगे की राह: मेंटेनेंस है की
अब हमें बाकी के S-400 यूनिट्स भी सेट अप करने हैं। पर याद रखिए – ये कोई ‘प्लग एंड प्ले’ डिवाइस नहीं है। रूस के साथ लंबे समय के maintenance एग्रीमेंट्स करने होंगे। और तो और, चीन-पाकिस्तान अब अपनी रणनीति बदलेंगे – जैसे कोई नया पैच आने पर गेमर्स अपना स्टाइल बदलते हैं।
सच कहूं तो, S-400 की ये सफलता हमारे लिए गर्व की बात है। लेकिन ये तो बस शुरुआत है। अब हमें इसे मेंटेन करने की ‘लॉन्ग टर्म रिलेशनशिप’ बनानी होगी – वैसे ही जैसे आप अपने सबसे अच्छे दोस्त के साथ रखते हैं। क्योंकि ये सिस्टम सिर्फ हथियार नहीं, हमारी सुरक्षा का एक विश्वसनीय साथी बन सकता है।
S-400 और ऑपरेशन सिंदूर – जानिए पूरी कहानी, बिना फिल्टर के!
S-400 की मेंटेनेंस – सिरदर्द या जरूरत?
देखिए, S-400 कोई साधारण गैजेट तो है नहीं जिसे आप ‘ऑन’ करके भूल जाएं। यह तो हमारी सुरक्षा का VIP बॉडीगार्ड है! सोचिए अगर आपका स्मार्टफोन कभी अपडेट न किया जाए तो? ठीक वैसे ही, बिना regular maintenance के यह सिस्टम धीरे-धीरे ‘स्लो’ हो जाता है। और भईया, जब बात देश की सुरक्षा की हो, तो हमें यह रिस्क लेने का कोई ऑप्शन ही नहीं!
ऑपरेशन सिंदूर: जब S-400 ने दिखाई अपनी असली ताकत
याद है न वो मिशन? असल में, S-400 ने तो जैसे अपनी पूरी ‘स्क्रीन प्रेजेंस’ दिखा दी थी। इसके advanced radar ने तो क्या कमाल किया – जैसे कोई सुपरहीरो की एक्स-रे विजन हो! लेकिन सच पूछो तो, इसकी सबसे बड़ी खूबी थी इसकी long-range missiles… जो हमारी सुरक्षा को दे दी थी एक अलग ही लेवल की गारंटी।
S-400 मेंटेनेंस: सिर्फ पोंछा-पौंछी नहीं, ये है असली कहानी
अरे भाई, ये कोई साधारण सफाई तो है नहीं! इसमें तो पूरा IT सेल लगा रहता है – software updates से लेकर missile testing तक। और हां, hardware की जांच तो बिल्कुल वैसे ही जैसे आप अपनी बाइक का सर्विस करवाते हैं… बस थोड़ा सा ज्यादा हाई-टेक! सबसे मजेदार बात? technical experts की वो फुल बॉडी चेकअप… जैसे कोई स्पेसशिप तैयार कर रहे हों!
क्या रूसी experts के बिना चलेगा काम?
सच कहूं तो शुरुआत में तो रूसी भाइयों की मदद लेनी ही पड़ी। लेकिन अब हमारे देश के technicians भी कम नहीं! धीरे-धीरे training लेकर वो भी बन रहे हैं S-400 के मास्टर। और क्यों न हो? आखिर हम भी तो… जय हिंद वाले हैं ना! Future में तो शायद हम रूस को ही टिप्स देने लगेंगे। क्या पता?
Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com