सम्राट चौधरी का बड़ा दावा: क्या बिहार में यूनुस के सताए बांग्लादेशी छिपे हैं?
अरे भई, बिहार की राजनीति में फिर से एक नया तूफ़ान आ गया है! राज्य के उपमुख्यमंत्री और BJP के बड़े नेता सम्राट चौधरी ने तो आजकल कुछ ऐसा बोल दिया है जिसने सबको हिला कर रख दिया। सीमांचल के किशनगंज इलाके में बांग्लादेशी घुसपैठ का मामला उठाते हुए उन्होंने जो बयान दिया, उसने न सिर्फ़ वोटर ID वाली पुरानी बहस को फिर से जिंदा कर दिया, बल्कि ये सवाल भी खड़ा कर दिया कि क्या राज्य में फिर से सांप्रदायिक तनाव बढ़ने वाला है? असल में, मामला इतना गर्म है कि हर कोई इस पर अपनी-अपनी राय दे रहा है।
पूरा माजरा क्या है?
देखिए, सीमांचल का ये इलाका – खासकर किशनगंज, अररिया और पूर्णिया – लंबे समय से इस तरह के आरोपों का शिकार रहा है। आपको याद होगा, पिछले कुछ सालों में कई बार ऐसी खबरें आईं जहाँ बांग्लादेश से आए लोगों ने भारतीय पहचान पत्र हासिल कर लिए। अब सवाल ये है कि क्या ये सच में कोई बड़ी साजिश है या फिर राजनीति का एक और खेल? एक तरफ तो कुछ लोग इसे राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा बता रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ ये आरोप भी लग रहे हैं कि कुछ लोग सिर्फ़ अल्पसंख्यकों को टारगेट कर रहे हैं। और हाँ, इस पूरे मामले में BSF और स्थानीय प्रशासन की भूमिका पर भी सवाल उठना लाज़मी है।
सम्राट चौधरी ने क्या बोला?
अब आते हैं मुख्य मुद्दे पर। सम्राट चौधरी ने तो बिल्कुल सीधे शब्दों में कह दिया कि “यूनुस के सताए लोग” (यानी बांग्लादेश से आए कुछ लोग) किशनगंज में छिपे हुए हैं और स्थानीय प्रशासन उन्हें बचा रहा है। भई, ये बयान ऐसा था जैसे चिड़ियाघर में शेर छोड़ दिया हो! उन्होंने तुरंत जांच की मांग करते हुए केंद्र और राज्य सरकार से हस्तक्षेप की गुहार लगाई। पर सच कहूँ तो, राजनीति के जानकार इसे चुनावी चाल समझ रहे हैं, खासकर जब लोकसभा चुनाव को अब ज्यादा दिन नहीं बचे हैं। और विपक्ष? उनका तो पहले से ही ये मानना है कि BJP सांप्रदायिक कार्ड खेल रही है।
किसने क्या कहा?
अब जैसा कि होना ही था, सबने अपनी-अपनी राय रख दी। BJP वालों ने तो सम्राट जी के बयान को पूरी तरह सही ठहराया और कहा कि अवैध घुसपैठ देश की सुरक्षा के लिए खतरा है। वहीं RJD और JDU जैसे दलों ने इसे सिर्फ़ एक “झूठा नैरेटिव” बताया है। स्थानीय लोगों की राय? वो भी बँटी हुई है। कुछ लोगों को डर है कि इससे सामाजिक तनाव बढ़ेगा, तो कुछ NRC जैसे सख्त कदमों की मांग कर रहे हैं। सच कहूँ तो, हर कोई अपने-अपने राजनीतिक हितों के हिसाब से बोल रहा है।
अब आगे क्या?
अब जब चुनाव नज़दीक हैं, तो ये मुद्दा और भी गरमा सकता है – खासकर सीमांचल की सीटों पर जहाँ जनसंख्या का समीकरण बहुत मायने रखता है। कुछ विश्लेषकों का तो यहाँ तक कहना है कि केंद्र सरकार NRC या CAA को लेकर कोई बड़ा कदम उठा सकती है। और हाँ, किशनगंज में पहचान पत्रों की जांच भी शुरू हो सकती है। पर असली सवाल ये है कि क्या ये सब सिर्फ़ चुनावी रणनीति है या फिर कोई स्थायी बदलाव होने वाला है? समय ही बताएगा।
आखिर में, इतना तो तय है कि सम्राट चौधरी के इस बयान ने बिहार की राजनीति में एक नया तूफ़ान खड़ा कर दिया है। सीमांचल का ये नाज़ुक इलाका, जहाँ सामाजिक और राजनीतिक समीकरण बहुत संवेदनशील हैं, अब फिर से सुर्खियों में है। और हाँ, जैसे-जैसे चुनाव नज़दीक आएँगे, ये मुद्दा और भी गरमाता जाएगा – दोनों तरफ़ के नेता इसे अपने-अपने तरीके से भुनाने की कोशिश करेंगे। देखते हैं, आगे क्या होता है!
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Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com