Site icon surkhiya.com

FDA के रोकने के आदेश को ठुकराया Sarepta ने, Elevidys की सप्लाई जारी रखने पर अड़ा

sarepta refuses fda halt elevidys shipments 20250719040443631831

Sarepta ने FDA को झटका दिया! Elevidys की सप्लाई रोकने से इनकार, अब क्या होगा?

अरे भई, जीन थेरेपी की दुनिया में तूफान आ गया है! Sarepta Therapeutics ने FDA के आदेश को ठेंगा दिखाते हुए अपनी दवा Elevidys की सप्लाई जारी रखने का फैसला किया है। सच कहूं तो ये कोई छोटी-मोटी बात नहीं है। शुक्रवार को FDA ने खुलासा किया कि इस थेरेपी से जुड़े तीन मौतों के मामले सामने आने के बावजूद कंपनी ने मानने से इनकार कर दिया। अब सवाल यह है कि आखिर ये टकराव इतना बढ़ क्यों गया? और सबसे बड़ी बात – मरीजों की सुरक्षा का क्या होगा?

पूरी कहानी समझिए

देखिए, Elevidys कोई आम दवा नहीं है। ये Duchenne Muscular Dystrophy (DMD) नाम की एक दुर्लभ बीमारी के इलाज के लिए बनी है – वो भी जीन थेरेपी से! सीधे शब्दों में कहें तो ये बीमारी बच्चों की मांसपेशियों को धीरे-धीरे खोखला कर देती है। 2023 में FDA ने इसे सशर्त मंजूरी दी थी, पर निगरानी जारी थी। और अब तीन मौतें? ये तो बड़ी चिंता की बात है ना? लेकिन कंपनी का कहना है कि मौतों का सीधा संबंध उनकी दवा से नहीं है।

कंपनी की जिद – सही या गलत?

अब यहां दिलचस्प मोड़ आता है। Sarepta पूरी तरह अड़ी हुई है – “हमारी दवा सुरक्षित है, FDA गलत है!” उनका तर्क है कि जिन मरीजों की मौत हुई, वे पहले से ही बहुत बीमार थे। पर FDA की चिंता भी तो वाजिब है न? उनका कहना है कि ऐसे में रिस्क लेना ठीक नहीं। एक तरफ कंपनी का दावा, दूसरी तरफ नियामक की चेतावनी – ये टकराव अब खुला युद्ध बनता जा रहा है।

किसका पक्ष सही? विवाद गहराया

इस पूरे मामले ने सबको दो खेमों में बांट दिया है। FDA का प्रवक्ता तो बिल्कुल साफ कह रहा है – “सुरक्षा मानकों से समझौता नहीं!” वहीं Sarepta के CEO का जवाब – “हमारा डेटा क्लियर है।” और तो और, रोगी अधिकार समूह भी अब मैदान में कूद पड़े हैं। कुछ का कहना है कि FDA को और सख्त होना चाहिए, वहीं कुछ मरीजों के परिवार दवा की उपलब्धता चाहते हैं। बड़ा उलझन भरा मामला है न?

अब आगे क्या? भविष्य पर सवाल

तो अब सबसे बड़ा सवाल – आगे क्या? विशेषज्ञों की मानें तो FDA कंपनी पर भारी जुर्माना ठोक सकता है। या फिर… दवा की मंजूरी ही वापस ले सकता है। अगर ऐसा हुआ तो? फिर तो कोर्ट-कचहरी का लंबा चक्कर शुरू हो जाएगा। और हां, इस पूरे विवाद का असर पूरे जीन थेरेपी सेक्टर पर पड़ सकता है। नियम और सख्त होंगे, प्रक्रिया और लंबी होगी।

सच कहूं तो ये केस सिर्फ एक दवा कंपनी और नियामक की लड़ाई नहीं है। ये तो उस बड़ी दुविधा को उजागर करता है जहां एक तरफ इनोवेशन है तो दूसरी तरफ मरीजों की सुरक्षा। अगले कुछ हफ्ते बताएंगे कि ये लड़ाई किस तरफ झुकती है। पर एक बात तो तय है – इसका असर लंबे समय तक रहने वाला है।

Source: Livemint – Companies | Secondary News Source: Pulsivic.com

Exit mobile version